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चेकअप के लिए डॉक्टर नहीं, पर्ची पर लिखी दवा नहीं, भगवान भरोसे देवघर के चितरा माइंस का अस्पताल - COLLIERY MANAGEMENT IN DEOGHAR

देवघर के चितरा माइंस में बने अस्पताल में कोई भी सुविधा नहीं है. लोगों को इलाज के लिए बाहरी अस्पताल पर निर्भर रहना पड़ता है.

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चितरा माइंस में बना अस्पताल खस्ता हालत में (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 8 hours ago

देवघर: जिले के सारठ स्थित चितरा माइंस में अस्पताल का निर्माण इसलिए किया गया था ताकि माइंस में काम करने वाले कर्मचारियों को बेहतर इलाज मिल सके. वर्तमान में अस्पताल की हालत को देखने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि भले ही मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल का निर्माण किया गया था, लेकिन आज भी यहां पर लापरवाही का आलम देखने को मिल रहा है. कर्मचारियों के लिए बने अस्पताल में कई महत्वपूर्ण सुविधाओं की खस्ता हालत है.


सारठ के चितरा माइंस में बने अस्पताल के अंदर लगे एक्स-रे मशीन पिछले 6 वर्षों से खराब हैं, लेकिन अभी तक इसे ठीक नहीं किया गया है. एक्स-रे मशीन खराब रहने के कारण अस्पताल में आने वाले मरीजों को बाहर के प्राइवेट स्वास्थ्य केंद्रों पर एक्स-रे करवाना पड़ता है.

संवाददाता हितेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट (ईटीवी भारत)

एक्स-रे मशीन खराब होने को लेकर अस्पताल के टेक्नीशियन से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मशीन खराब होने की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है. कागजी प्रक्रिया में वक्त लग रहा है. वहीं जब इस संबंध में चितरा माइंस के वरिष्ठ अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, तो सभी अधिकारियों ने इस पर कुछ भी कहने से परहेज किया.

अस्पताल में सिर्फ एक्स-रे मशीन ही नहीं बल्कि डॉक्टरों की भी घोर कमी है. अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर विकास बताते हैं कि वर्तमान में पूरे अस्पताल में दो डॉक्टर काम कर रहे हैं. जबकि कुल चार डॉक्टरों के पद की स्वीकृति मिली है. डॉ विकास बताते हैं कि पिछले डेढ़ साल से सिर्फ एक डॉक्टर के भरोसे अस्पताल चल रहा था. कुछ महीने पहले ही दूसरे डॉक्टर की नियुक्ति हुई है. इसके अलावा अस्पताल में स्पेशलिस्ट चिकित्सक भी मौजूद नहीं हैं. जिस वजह से गंभीर बीमारियों के मरीजों को दूसरे अस्पताल में रेफर करना पड़ता है.

6 साल से खराब है एक्स-रे मशीन (ईटीवी भारत)

अस्पताल में नर्सों की भी कमी की वजह से आने वाले मरीजों को जूझना पड़ता है. अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार एएनएम या नर्स के कुल तीन पद स्वीकृत हैं. लेकिन वर्तमान में सिर्फ एक ही नर्स काम कर रही है. डॉक्टरों और नर्सों की कमी के साथ-साथ अस्पताल में दवा भी पूर्ण मात्रा में मरीजों को नहीं मिल पाती है. कई बार मरीजों को अस्पताल से यह कहकर बाहर भेज दिया जाता है कि बाहर की दुकानों से दवा खरीद लें.

चितरा माइंस अस्पताल की खराब स्थिति पर झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सह पूर्व विधायक शशांक शेखर भोक्ता ने बताया कि चितरा माइंस में अधिकारियों की नाक के नीचे नियमों को ताक पर रखकर काम किया जा रहा है. लेकिन अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं.

गौरतलब है कि चितरा माइंस में सैकड़ों ऐसे कर्मचारी काम करते हैं जो स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए चितरा माइंस में बने अस्पताल पर निर्भर रहते हैं. लेकिन माइंस में अस्पताल की खराब स्थिति की वजह से काम करने वाले कनीय वर्गीय कर्मचारी स्वास्थ्य लाभ से वंचित हो रहे हैं.

जरूरत है कि स्वास्थ्य विभाग और सरकार अस्पताल की स्थिति को बेहतर करे. ताकि माइंस में काम करने वाले कर्मचारियों को बेहतर सुविधा के लिए परेशानियों का सामना करना न पड़े. साथ ही कनीय कर्मचारियों को बेहतर स्वास्थ्य लाभ मिल सके.


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