छिन्दवाड़ा : जिले में राजाखोह छोटा सा गांव है, इस गांव की चार महिलाओं ने गांव ही नहीं जिले को नई पहचान दिला दी है. महिलाओं ने तीन साल पहले समूह बनाकर महुआ के फूल से कुकीज बनाने का काम शुरू कर रोजगार की शुरुआत की थी. वहीं अब इन महिलाओं के उत्पाद जिले में ही नहीं प्रदेश के बड़े-बड़े शहरों-नगरों में फेमस हो गए हैं. देश भर के लोग इस छोटे से गांव में महुआ वाले कुकीज का स्वाद चखने के लिए पहुंच रहे हैं. महुआ से बनी कुकीज इस गांव की पहचान बन गई है.
हिट हुआ महुआ से कुकीज बनाने के आईडिया
राजाखोह की देवकी चौरे, लता मर्सकोले, नीतू अहिरवार और मंजू चौरे सहित कुछ महिलाओं ने अन्यका महुआ उत्पादक समूह का गठन किया. इन महिलाओं ने 5-5 हजार रुपए इकट्ठे करके आदिवासी जीवन शैली से जुड़े व्यंजनों को व्यवसायिक स्वरूप देने की योजना बनाई. इसी के तहत उन्होंने महुआ के फूल से कुकीज बनाने का फैसला किया और ये आईडिया हिट हो गया.
मल्टीनेशनल कंपनी ने की मदद, 13 गांव के लोग जुड़े
गांव की महिलाओं का जज्बा देखकर एक मल्टीनेशनल कंपनी ने सीएसआर मद से इन महिलाओं को आधुनिक मशीनें उपलब्ध कराईं. इसके पहले महिलाओं ने सात दिन की ट्रेनिंग भी ली, जिसमें कुकीज बनाने का तरीका सीखा. उनके उत्पाद के लिए आसपास के 13 गांवों के ग्रामीणों से महुआ एकत्र कराया जाता है. इससे जुड़ी महिलाओं को भी रोजगार मिला है. महिलाओं की लगन से उनके उत्पाद की स्थानीय स्तर पर बड़ी डिमांड है. जिला स्तर पर लगने वाले कृषि मेला, वन मेला सहित अन्य आयोजनों में इस समूह के स्टॉल को आमंत्रित किया जाने लगा है. इनके महुआ के कुकीज की डिमांड अब दिल्ली, भोपाल, हरदा, जबलपुर, सूरत, मुंबई, नागपुर सहित दर्जनों शहरों में होने लगी है. इससे समूह का व्यापार भी बढ़ रहा है.