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छिंदवाड़ा में शहरी इलाकों में घटा वोटिंग परसेंटेज, आदिवासियों की बंपर वोटिंग से दोनों पार्टियां भर रहीं जीत का दंभ - Chhindwara Lok Sabha Voting Percent - CHHINDWARA LOK SABHA VOTING PERCENT

छिंदवाड़ा लोकसभा में इस बार वोटिंग प्रतिशत की बात की जाए तो साल 2019 के मुकाबले ढाई प्रतिशत कम मतदान हुआ है. इस बार शहरी इलाकों में वोटिंग प्रतिशत घट गया है और आदिवासी क्षेत्रों में बंपर वोटिंग हुई है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां ही आदिवासियों के भरोसे जीतने का दावा कर रही हैं.

CHHINDWARA LOK SABHA VOTING PERCENT
इस बार ढाई प्रतिशत कम मतदान

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Apr 24, 2024, 8:33 PM IST

छिंदवाड़ा। पहले चरण में हुए लोकसभा चुनाव में सबसे चर्चित छिंदवाड़ा सीट रही. मतदान के बाद अब यहां पर एक बार फिर से आदिवासी वोट बैंक के भरोसे दोनों पार्टियों जीत का दंभ भर रही हैं क्योंकि आदिवासी क्षेत्रों में ही बंपर वोटिंग हुई है. शहरी इलाकों में वोट परसेंटेज घटा है.

2019 में आदिवासियों ने कांग्रेस का दिया था साथ

2019 के लोकसभा परिणाम में अमरवाड़ा विधानसभा, जुन्नारदेव विधानसभा और पांढुर्णा विधानसभा से कांग्रेस को जीत मिली थी. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने इस चुनाव में आदिवासी नेता नत्थनशाह कवरेती को मैदान में उतारा था. इसके बाद भी आदिवासियों ने कांग्रेस का साथ दिया था. एक बार फिर कांग्रेस इन्हीं विधानसभाओं के भरोसे जीत का दंभ भर रही है. भारतीय जनता पार्टी इन इलाकों में केंद्र सरकार की योजनाओं और मध्य प्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ मिलने के कारण भाजपा के पक्ष में जाने की बात कर रही है.

छिंदवाड़ा में शहरी इलाकों में घटा वोटिंग परसेंटेज

पिछले चुनाव के मुकाबले ढाई प्रतिशत कम मतदान

2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले इस बार के लोकसभा चुनाव में करीब ढाई फीसदी कम मतदान हुआ है लेकिन इसके बाद भी ग्रामीण और आदिवासी इलाकों के मतदाताओं ने बंपर वोट किया है. छिंदवाड़ा विधानसभा सहित दूसरी विधानसभाओं में शहरी मतदाताओं का वोट परसेंटेज कम रहा है. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि ग्रामीण और आदिवासियों ने तो अपने मताधिकार का उपयोग किया लेकिन जो शहरी मतदाता है वह घरों से कम बाहर निकले.

छिंदवाड़ा लोक सभा चुनाव

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आदिवासियों के वोट तय करेंगे जीत का पैमाना

वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक मनीष तिवारी का कहना है कि "2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने आदिवासियों पर भरोसा जताया था, हालांकि कांग्रेस की लीड इस चुनाव में कम जरूर हुई थी क्योंकि कांग्रेस ने अपना लोकसभा का प्रत्याशी बदला था. उस दौरान कमलनाथ मध्य प्रदेश के तत्कालीन सीएम थे और उनके बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे. बीजेपी ने जीत के अंतर को कम करते हुए 37000 पर ला दिया था लेकिन सबसे बड़ी बात यह थी कि 7 विधानसभा में 3 आदिवासी विधानसभा में बीजेपी हार गई थी और कांग्रेस को ही आदिवासियों का परंपरागत वोट मिला था. इसलिए इस बार भी आदिवासियों पर ही छिंदवाड़ा के लोकसभा सीट का निर्णय निर्भर करता है."

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