छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

एक परंपरा जो जिदंगी की धूप में दे रही है मोहब्बत की मीठी छांव - Unique tradition of Chhattisgarh

छत्तीसगढ़िया परंपरा में मितान यानि दोस्त बनाने की परंपरा सदियों से निभाई जा रही है. लोग आज भले ही इसे नए रुप में फ्रेंडशिप डे के तौर पर जानते हैं. पर एक वक्त ऐसा भी रहा जब मितान बनाने की अनोखी परंपरा पूरे देश में जानी जाती रही. यादें थोड़ी जरूर धुंधली पड़ी लेकिन मितान परंपरा आज भी अपने मूल रुप में कायम है. इसका पालन करने वाले अपनी जान देकर भी दोस्ती निभाते हैं.

TRADITION OF MAKING MITAN
मितान बनाने की अनोखी परंपरा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 4, 2024, 3:11 PM IST

Updated : Aug 5, 2024, 7:27 PM IST

कांकेर:देश और दुनिया में प्रेम के साथ दोस्ती का दिन यानि फ्रेंडशिप डे मनाया जा रहा है. आज के युवाओं और बच्चों को शायद ही पता हो कि छत्तीसगढ़ में दशकों से मितान बनाने की परंपरा रही है. इस अनोखी परंपरा का पालन करने वाले आज भी लोग मौजूद हैं. दोस्ती की इस परंपरा का नाम भले बदल गया हो लेकिन इस दिन की अहमियत आज भी उसी तरह से बरकरार है.

मितान बनाने की अनोखी परंपरा (ETV Bharat)

मितान बनाने की अनोखी परंपरा: फ्रेंडशिप डे मनाने का जब चलन भी शुरु नहीं हुआ था. तब से छत्तीसगढ़ में मितान बनाने की अनोखी परंपरा चली आ रही है. मितान बनाने की अनोखी परंपरा में दोस्ती होती फिर ये दोस्ती एक अटूट रिश्ते में बदल जाती है. मितान की अनोखी परंपरा की पहचान गंगाजल, भोजली, जवारा और तुलसीजल बनकर दोस्ती निभाते हैं. जिस तरह से ये चीजें हमारे जिंदगी के आरंभ से लेकर अंत तक साथ निभाती हैं उसी तरह से मितान की अनोखी परंपरा जिंदगी से लेकर मौत तक निभाते हैं.

तुलसीजल का फर्ज निभा रहे दो दोस्त: कांकेर की ज्योति तिवारी और मंजू ठाकुर पिछले 16 सालों से मितान की परंपरा निभाते आ रहे हैं. दोनों तुलसीजल का फर्ज निभा रहे हैं. ज्योति और मंजू का कहना है कि ''जब भागवत होती है तब जो तुलसी का पत्ता चढ़ाया जाता है, उसको खिलाकर तुलसीजल का रिश्ता बनता है. वैसा ही रिश्ता हमारा भी है. इसी तरह से मितान के रिश्ते बनते हैं. इस रिश्ते को हम मरते दम तक निभाते हैं. हम भी गंगाजल पिलाकर एक दूसरे के दोस्त बने हैं. हमारी ये दोस्ती भगवान के घर जाने तक कायम रहेगी''.

कैसे हुई ज्योति और मंजू की दोस्ती: मंजू और ज्योति एक ही कॉलोनी में रहते हैं. गढ़िया महोत्सव में दोनों भागवत सुनने के लिए गए. बुजुर्ग सासू मां ने दोनों को तुलसी दल खिलाकर दोस्ती की मजबूत नींव रख दी. 16 सालों से ये दोस्ती उसी तरह चली आ रही है. मंजू और ज्योति कहती हैं कि ''मितान की ये परंपरा सबको बनानी और निभानी चाहिए''.

मितान परंपरा की अनोखी बातें: पूर्णिमा यादव बताती हैं कि ''मितान एक दूसरे का नाम नहीं लेते. मितान महाप्रसाद संबोधित कर पुकारते हैं. मितान की पत्नी का भी नाम नहीं लिया जाता है. जब दो लोग मितान बनते हैं तो दोनों की पत्नियां स्वत: मितानिन हो जाती हैं. बच्चे मितान बनते हैं तो उनके माता-पिता स्वत: मितान हो जाते हैं''.

परंपरा में गंगाजल का महत्व: गंगाजल को पवित्रता का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है. दो लोग जब मितान बदते हैं तो गंगाजल का आदान प्रदान कर समाज के सामने मितान बनते हैं. भोजली का मतलब है भू में जल होना. इसे उत्तर भारत में कजलइयां कहा जाता है. यह गेहूं के अंकुरित पौधे होते हैं जिसे सावन की शुक्ल अष्टमी को एक-दूसरे को कानों में लगाकर मितान बदा जाता है. छत्तीसगढ़ में मशहूर अभिवादन वाक्य (बधाई) ‘सीताराम भोजली’ इसी से बना है. मितान नवरात्रि के समय बदा जाता है क्योंकि उसी समय दुर्गोत्सव का जवारा बोया जाता है. जवारा का मतलब गेहूं के अंकुरित पौधे होते हैं. पौधों का आदान-प्रदान कर जवारा मितान बदा जाता है. जब दो व्यक्तियों का नाम एक ही जैसा होता है तो उन दोनों के बदे गए मितान परंपरा को सैनांव मितान कहा जाता है.

Friendship Day 2024: दिल के रिश्तों से बड़ा दोस्ती का रिश्ता, हरेक की जिंदगी में फ्रेंड क्यों होता है जरूरी ? - FRIENDSHIP DAY 2024
भक्ति भाव के साथ मनाया गया छत्तीसगढ़ का फ्रेंडशिप डे भोजली
Friendship Day 2023: फ्रेंडशिप डे पर अक्षय कुमार ने दोस्तों संग की खूब मस्ती, अनुपम खेर को भी आई अनिल कपूर-सतीश कौशिक की याद
Last Updated : Aug 5, 2024, 7:27 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details