कांग्रेस की राह पर बीजेपी, छत्तीसगढ़ सरकार स्थानीय तीज त्योहारों के जरिए जनता से होगी इमोशनल अटैच - Chhattisgarh BJP copying Congress
छत्तीसगढ़ सरकार स्थानीय तीज त्यौहारों के जरिए जनता से इमोशनल जुड़ने की तैयारी कर रही है. यही कारण है कि साय सरकार तत्कालीन भूपेश बघेल की तरह स्थानीय तीज त्योहारों पर कार्यक्रम आयोजन करने जा रही है.
छत्तीसगढ़ सरकार स्थानीय तीज त्यौहारों के जरिए जनता से होगी इमोशनल अटैच (ETV Bharat)
रायपुर: छत्तीसगढ़ में नगरी निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव के लिए सियासी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी है. कांग्रेस सरकार ने हरेली उत्सव और दूसरे तिहार के जरिए लोगों के बीच अपनी पहुंच बनाई थी. अब बीजेपी भी इसी ट्रिक को आजमाने जा रही है. भाजपा सरकार ने भी हरेली तीज त्योहार सहित अन्य स्थानीय त्योहारों को मनाने का ऐलान किया है. इसके लिए शासन प्रशासन को निर्देशित किया गया है. वहीं, कांग्रेस इसे पूर्ववर्ती भूपेश सरकार की नकल बता रही है.
तीज-त्यौहार को बढ़ावा देगी साय सरकार: इस बारे में कांग्रेस का कहना है कि भाजपा अब स्थानीय तीज त्यौहार मानकर कांग्रेस सरकार की राह पर चल रही है. सियासी जानकारों की मानें तो पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने स्थानीय तीज त्योहारों को काफी बढ़ावा दिया है, जबकि उसके पहले रमन सरकार पर स्थानीय तीज-त्योहारों की उपेक्षा के आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब साय सरकार उस कमी को दूर करने का प्रयास कर रही है.
भूपेश बघेल ने तीज त्योहार को दिया था महत्व:दरअसल, पूर्ववर्ती भूपेश बघेल की सरकार के दौरान स्थानीय तीज त्योहारों को लेकर कई बड़े-बड़े आयोजन होने होते थे. यह आयोजन सार्वजनिक रूप से होते थे. यहां तक कि मुख्यमंत्री निवास में भी इन आयोजनों का चलन था. हरेली, तीजा पोरा सहित ऐसे कई त्योहार थे, इसका आयोजन मुख्यमंत्री निवास में होता था. इसके अलावा शासकीय आयोजन के तौर पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी बड़े-बड़े आयोजन होते रहे. यही कारण था कि उस दौरान स्थानीय तीज त्योहारों को लेकर लोगों में काफी उत्साह था. पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के इन तीज त्योहारों पर शासकीय अवकाश की भी घोषणा की थी, जिससे लोग इन तीज त्योहार पर होने वाले आयोजनों में शामिल हो सके.
त्योहारों से स्थानीय खेलों को भी जोड़ा: इतना ही नहीं तत्कालीन भूपेश सरकार में स्थानीय खेलकूद को भी महत्व दिया था. तीज त्योहारों के समय होने वाले आयोजनों में लट्टू चलाना, गेड़ी चढ़ना, बैल दौड़ सहित ऐसे अनेक खेल होते थे. स्थानीय तौर पर खेले जाने वाले खेलो को भी भूपेश बघेल ने बढ़ावा दिया था. छत्तीसगढ़ ओलंपिक का आयोजन किया गया, जो स्थानीय खेलकूद को प्रोत्साहित करने में कारगर साबित हुए. लोगों में इसे लेकर काफी अच्छा रुझान भी देखने को मिला. बच्चे, बूढ़े, जवान, महिला, पुरुष सभी इन आयोजनों में शामिल होते थे.
साय सरकार त्योहारों में करेगी आयोजन: हालांकि कांग्रेस सरकार के पहले 15 साल तक भाजपा की सरकार में इस तरह के आयोजन देखने को नहीं मिले और न हीं छत्तीसगढ़ी तीज त्योहार पर छुट्टी की घोषणा की गई थी. यहां तक की स्थानीय खेल-कूद को लेकर भी कोई बड़ी पहल 15 साल की भाजपा सरकार में नहीं की गई. शायद यही वजह है कि अब भाजपा सरकार इन चीजों को लेकर गंभीर है. उन्हें समझ में आ गया है कि स्थानीय तीज-त्यौहार खेल-कूद का आयोजन कितना जरूरी हैय इन आयोजन के जरिए ही कहीं ना कहीं वह सीधे जनता से जुड़ सकते हैं. यही कारण के भाजपा स्थानीय तीज-त्योहार और खेलकूद के आयोजन करने की तैयारी में जुट गई है.
बीजेपी तीज-त्योहार से जरिए जनता से अटैच होना चाह रही:दरअसल, भाजपा 4 अगस्त को हरेली पर्व के मौके पर गेड़ी पर चलने की प्रतियोगिता और नारियल फेंक प्रतियोगिता आदि कार्यक्रम मंडल और बूथ स्तर पर करने जा रही है. 7 अगस्त को हरियाली तीज पर्व के मद्देनजर महिला मोर्चा के तत्वावधान में महिला मोर्चा प्रदेश से मंडल स्तर तक 'हरियर छत्तीसगढ़' के संदेश के साथ विभिन्न कार्यक्रम रख रही है. इसके अलावा भी छत्तीसगढ़ी तेज त्योहार पर कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. इसकी जानकारी हाल ही में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष किरण सिंहदेव ने एक पत्रकारवार्ता के दौरान दी थी, क्योंकि भाजपा जानती है कि लोगों का इमोशनल अटैचमेंट होना बहुत जरूरी है. इसीलिए इस बार भाजपा ने अपनी आगामी कार्य योजनाओं में स्थानीय त्योहारों को भी शामिल किया है.
कांग्रेस ने बीजेपी पर किया प्रहार:इस बारे में कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा, "यदि आज भाजपा की सरकार छत्तीसगढ़ के तीज-त्यौहार परंपरा-संस्कृति को मनाने की बात कर रही है, तो वह कांग्रेस सरकार की देन है. कांग्रेस सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ के पारंपरिक तीज- त्यौहार का सार्वजनिक और सरकारी योजना होता है. हरेली, बैला दौड़, गेड़ी दौड़ और भी अनेक जो परंपराएं हैं. छत्तीसगढ़ी ओलंपिक खेल-कूद होते रहे. यह सब कांग्रेस सरकार में शुरू हुआ है. 15 साल के भाजपा सरकार में छत्तीसगढ़ के तीज-त्योहार की उपेक्षा हुई थी.यहां की संस्कृति को दबा-कुचला गया था. कांग्रेस सरकार में इसे पुनर्जीवित किया. यदि आज भाजपा उस तीज-त्यौहार की बात कर रही है, तो कांग्रेस सरकार के द्वारा शुरू की गई परंपराओं के आगे बढ़ा रही है. अपने पिछले सरकार के दौरान जो उपेक्षा हुई थी, उसका प्रायश्चित भी कर रही है."
जानिए क्या कहते हैं जानकार: इस पूरे मामले में वरिष्ठ पत्रकार राम अवतार तिवारी का कहना है, "पहले की रमन सरकार के समय छत्तीसगढ़ी संस्कृति, तीज-त्यौहार की उपेक्षा के आरोप लगे थे. इस विषय को सत्ता परिवर्तन के बाद भूपेश बघेल ने लपक लिया और 5 साल तक छत्तीसगढ़िया की बात करते रहे. शायद यह बात विष्णु देव सरकार को अच्छी लगी. सरकार ने इसके लिए निर्णय लिया है. आगामी दिनों में इससे संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी में है, जिस तरह से भूपेश बघेल तीज-त्यौहार मना रहे थे, कार्यक्रम कर रहे थे, समाज के अलग-अलग वर्गों खुश करने के लिए, सबको सरकार से जोड़ने के लिए, उनको पार्टी की गतिविधियों और सोच से जोड़ने के लिए कार्यक्रम करते हैं. ठीक उसी प्रकार का कार्यक्रम वर्तमान में भाजपा की साय सरकार करने जा रही है. छत्तीसगढ़ के लोगों को एक अटैचमेंट देने का, उनकी संस्कृति के विकास के लिए, उनकी भाषा बोली के विकास के लिए, एक तरह से सरकार प्रतिबद्ध नजर आ रही है. जो पिछली बार की भाजपा सरकार की गलती थी, उसे खत्म करने का प्रयास है. वहीं, भाजपा के प्रयास का असर आगामी निकाय और पंचायत चुनाव में देखने को मिलेगा. इसका लाभ बीजेपी को आगामी दिनों में मिल सकता है."
ऐसे में साफ है कि साय सरकार भूपेश बघेल की तरह ही तीज-त्यौहारों के जरिए जनता को अपने पाले में लेने का प्रयास कर रही है. इसका कहीं न कहीं असर आगामी निकाय और पंचायत चुनाव में देखने को मिल सकता है.