आगरा : जिले में मुगल बादशाह औरंगजेब की कैद से निकलकर आगरा से छत्रपति शिवाजी महाराज जिस मार्ग से महाराष्ट्र पहुंचे थे, उसको अब 'शिवाजी सर्किट' के रूप में तैयार किया जाएगा. महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने आगरा किले के दीवान-ए-आम में आयोजित 394वें शिवजन्मोत्सव समारोह में यह घोषणा की. उन्होंने कहा है कि महाराष्ट्र में मौजूद किलों के साथ शिवाजी से जुड़ी हर धरोहर को सरकार संरक्षित करेगी.
बता दें कि आगरा किले के दीवान-ए-आम में अजिंक्य देवगिरी प्रतिष्ठान और महाराष्ट्र सरकार की ओर से लगातार दूसरे साल छत्रपति शिवाजी की जयंती का उत्सव मनाया गया. इसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज छत्रपति उदयनराजे महाराज भोसले, केंद्रीय रेल राज्यमंत्री रावसाहेब दानवे और महाराष्ट्र सरकार में सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार उपस्थित रहे. आगरा किला को छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वाभिमान का प्रतीक बताते हुए देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ये दीवान-ए-आम तब तक आम था, जब तक छत्रपति शिवाजी महाराज के कदम यहां नहीं पडे़ थे. जब शिवाजी महाराज यहां आए तो ये दीवान-ए-खास हो गया.
'शिवजी सर्किट' के लिए पैसे की कोई कमी नहीं :महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी के जितने किले हैं उन सभी को संरक्षित किया जाएगा. आगरा किले से निकलकर छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र तक पहुंचने में वे जहां-जहां गए उसे 'रामायण सर्किट' की तरह 'शिवाजी सर्किट' बनाया जाए. इससे शिवाजी के इतिहास के बारे में युवा जान सकें. उन्होंने सांस्कृतिक मंत्री से कहा कि, तीन दिन के अंदर प्रस्ताव बनाइए. सरकार पर पैसे की कोई कमी नहीं है. महाराष्ट्र सरकार शिवाजी की प्रेरणा से चल रही है. 'शिवाजी सर्किट' को केंद्र और महाराष्ट्र सरकार मिलकर तैयार कराएगी.
दांडपट्टा बना महाराष्ट्र का राजकीय शस्त्र :मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवाजी महाराज के शस्त्रागार के प्रमुख शस्त्र दांडपट्टा को महाराष्ट्र का राजकीय शस्त्र घोषित किया गया है. यह शिवाजी महाराज के समय की तलवार की तरह का ऐसा शस्त्र है जो बेहद लचीला और दोनों ओर धारदार है. शिवाजी महाराज के प्रमुख शस्त्रों में बघनखा और दांडपट्टा था. महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने दांडपट्टा को राजकीय शस्त्र घोषित करने का प्रस्ताव दिया था. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मराठा साम्राज्य का चलन नामक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया.
शिवाजी की शौर्य गाथा से गूंजा दीवान-ए-आम :जय भवानी, जय शिवाजी के उद्घोष से आगरा किले का वह दीवान-ए-आम गूंज उठा. मुगल बादशाह औरंगजेब ने छत्रपति शिवाजी को कैद किया था. उसी किले में दूसरे दिन छत्रपति शिवाजी की 394वीं जयंती समारोह हुआ. इसमें लेजर शो के जरिए शिवाजी की शौर्य गाथा को जीवंत किया गया. समारोह में महाराष्ट्र और आगरा के शिवभक्त साक्षी बने. कार्यक्रम में सबसे पहले महाराष्ट्र गीत हुआ.