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छठ पूजा 2024: खरना आज, पूरे दिन निर्जल रहकर व्रती शाम को करेंगी खरना, जानें महत्व और नियम - CHHATH PUJA KHARNA

आज छठ का दूसरा दिन खरना है. पूरे दिन निर्जल रहकर व्रती शाम को खरना करेंगी. आइए जानते हैं खरना के नियम और महत्व.

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खरना आज (ETV Bharat)

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Nov 6, 2024, 6:55 AM IST

Updated : Nov 6, 2024, 9:06 AM IST

चंडीगढ़: नहाय खाय के दिन से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. आज छठ का दूसरा दिन खरना है. आज व्रती पूरे दिन निर्जल रहकर खीर और रोटी मिट्टी के चूल्हे पर पका कर छठ मैया को भोग लगाकर खरना करेंगी. इसके बाद कल संध्या अर्घ्य देकर व्रती दूसरे दिन उषा अर्ध्य के बाद पारण करेंगी.

क्या होता है खरना? कार्तिक माह की पंचमी तिथि का दिन खरना कहलाता है. खरना के दिन व्रती पूरे दिन निर्जल रहती है. सुबह स्नान के बाद शाम के खरना की तैयारी में जुट जाती हैं. सबसे पहले व्रती एक साफ जगह में मिट्टी का चूल्हा तैयार करती हैं. इस चूल्हे पर ही खीर और रोटी बनाई जाती है. खास बात यह है कि ये खीर या तो गन्ने के रस से बनती है या फिर गुड़ से. जिनके यहां जैसा नियम होता है, वो उसी अनुसार खरना का प्रसाद तैयार करते हैं. शाम को सूर्यास्त के बाद छठ मैया को खीर और रोटी का भोग लगाकर व्रती उसी प्रसाद को खाकर खरना करती हैं. इसके बाद व्रती का कठिन निर्जल व्रत शुरू हो जाता है, जो कि पूरे 36 घंटे का होता है.

छठ पूजा 2024 (ETV Bharat)

खरना का महत्व:खरना के दिन छठी मैया की उपासना की जाती है. यह व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए किया जाता है. खरना के दिन बनाए गए प्रसाद जैसे खीर का विशेष महत्व होता है. ये खीर पूरी तरह से प्राकृतिक होती है. इसमें विशेष प्रकार की चीजें नहीं दी जाती है. या तो ये गन्ने के रस से तैयार होता है या फिर गुड़ है. हालांकि हर जगह के अलग नियम हैं. लोग अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार खरना का प्रसाद बनाते हैं.

ये है खरना के नियम:

  • खरना के दिन मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर पकाई जाती है.
  • खीर बनाने के लिए पीतल के बर्तन का इस्तेमाल किया जाता है.
  • इस खीर को शुद्धता के साथ पकाया जाता है.
  • ये मिट्टी के चूल्हे पर ही पकाया जाता है.
  • खरना का प्रसाद व्रती ही पकाती हैं.
  • अगर व्रती खरना का प्रसाद बनाने में असर्मथ होती हैं तो घर की अन्य महिला पूरे दिन व्रत रखकर खरना का प्रसाद पकाती है.
  • शाम को केले के पत्ते पर खीर केला और रोटी के अलावा अपनी क्षमता अनुसार प्रसाद छठ मैया को भोग लगाया जाता है.
  • इसके बाद व्रती कमरा बंद करके ही खरना करती हैं.
  • इसके बाद पूरा परिवार व्रती के पैर छूकर आशीर्वाद लेती हैं.
  • खरना के बाद सुहागन महिलाएं व्रती से सिंदूर लगवाती हैं.
  • छठ व्रत के दौरान व्रती जमीन पर ही सोती है.
  • इस दौरान ब्रह्मचर्य का भी पालन किया जाता है.

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Last Updated : Nov 6, 2024, 9:06 AM IST

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