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जानें कब है विजया एकादशी, शुभ मुहूर्त में इस विधि से करें भगवान विष्णु की पूजा, शत्रुओं पर होगी विजय - VIJAYA EKADASHI 2025

इस रिपोर्ट में जानिए कब है विजया एकादशी, जिसका व्रत करने से होती है शत्रुओं पर विजय.

VIJAYA EKADASHI 2025
जानें कब है विजया एकादशी (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Feb 19, 2025, 10:40 PM IST

करनाल: सनातन धर्म में एकादशी को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है. इस दिन विधिवत रूप से एकादशी का व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इस समय फाल्गुन महीना चल रहा है. फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखा जाता है. इंसान को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. तो आईए जानते हैं विजया एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और इसके व्रत का विधि-विधान क्या है.

कब है विजया एकादशी ? : इस एकादशी की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार 23 फरवरी को दोपहर बाद 1:56 पर हो रही है. इसका समापन 24 फरवरी को 1:45 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत में त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है, इसलिए एकादशी का व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा. व्रत का पालन करने का समय 25 फरवरी को सुबह 6: 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12:45 तक कर सकते हैं.

विजया एकादशी के व्रत का महत्व : पंडित ने बताया कि विजय एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है, जो भी इंसान इस दिन विधिवत रूप से एकादशी का व्रत करता है, वह सभी कामों में विजय हासिल करता है. अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त करता है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान श्री राम ने विजया एकादशी का व्रत किया था. उसके बाद उन्होंने लंका पति रावण पर विजय हासिल की थी, तब से ही विजया एकादशी का व्रत का महत्व चला आ रहा है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की भी पूजा-अर्चना की जाती है, इसेस घर में सुख समृद्धि आती है और इंसान को यह व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

व्रत का विधि विधान : एकादशी के व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या फिर साफ पानी में स्नान करें, जिसमें थोड़ा गंगाजल जरूर मिलाए. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें और फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें. उनको पीला रंग के फल फूल मिठाई वस्त्र अर्पित करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं. फिर व्रत रखने का प्रण लें. एकादशी का व्रत निर्जला व्रत रखा जाता है, इसलिए कुछ भी इस व्रत के दौरान न खाएं. दिन में एकादशी की कथा पढ़ें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें और उनको प्रसाद का भोग लगाएं. शाम को ब्राह्मण और जरूरतमंदों को खाना दें और अगले दिन व्रत के पारण के समय अपने व्रत का पारण कर लें.

एकादशी के दिन ना करें ये काम: एकादशी के व्रत के दिन भूलकर भी मांस मदिरा, चावल, तामसिक आहार से दूर रहे. इस दिन घर में लहसुन, मसूर की दाल और प्याज का सेवन भी नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ये चीज खाने से भगवान विष्णु रुष्ट हो जाते हैं.

इसे भी पढ़ें : महाशिवरात्रि पर इन खास चीजों से करें भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना, होगी हर मनोकामना पूरी, कुंवारी लड़कियां भूलकर भी न करें ये काम

करनाल: सनातन धर्म में एकादशी को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है. इस दिन विधिवत रूप से एकादशी का व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है. इस समय फाल्गुन महीना चल रहा है. फाल्गुन महीने की कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है. शत्रु पर विजय प्राप्त करने के लिए इस व्रत को रखा जाता है. इंसान को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है. तो आईए जानते हैं विजया एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा और इसके व्रत का विधि-विधान क्या है.

कब है विजया एकादशी ? : इस एकादशी की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार 23 फरवरी को दोपहर बाद 1:56 पर हो रही है. इसका समापन 24 फरवरी को 1:45 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत में त्योहार को उदया तिथि के साथ मनाया जाता है, इसलिए एकादशी का व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा. व्रत का पालन करने का समय 25 फरवरी को सुबह 6: 52 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12:45 तक कर सकते हैं.

विजया एकादशी के व्रत का महत्व : पंडित ने बताया कि विजय एकादशी का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है, जो भी इंसान इस दिन विधिवत रूप से एकादशी का व्रत करता है, वह सभी कामों में विजय हासिल करता है. अपने शत्रुओं पर भी विजय प्राप्त करता है. शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान श्री राम ने विजया एकादशी का व्रत किया था. उसके बाद उन्होंने लंका पति रावण पर विजय हासिल की थी, तब से ही विजया एकादशी का व्रत का महत्व चला आ रहा है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान विष्णु की भी पूजा-अर्चना की जाती है, इसेस घर में सुख समृद्धि आती है और इंसान को यह व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

व्रत का विधि विधान : एकादशी के व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदी में स्नान करें या फिर साफ पानी में स्नान करें, जिसमें थोड़ा गंगाजल जरूर मिलाए. उसके बाद भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें और फिर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें. उनको पीला रंग के फल फूल मिठाई वस्त्र अर्पित करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जलाएं. फिर व्रत रखने का प्रण लें. एकादशी का व्रत निर्जला व्रत रखा जाता है, इसलिए कुछ भी इस व्रत के दौरान न खाएं. दिन में एकादशी की कथा पढ़ें. शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें और उनको प्रसाद का भोग लगाएं. शाम को ब्राह्मण और जरूरतमंदों को खाना दें और अगले दिन व्रत के पारण के समय अपने व्रत का पारण कर लें.

एकादशी के दिन ना करें ये काम: एकादशी के व्रत के दिन भूलकर भी मांस मदिरा, चावल, तामसिक आहार से दूर रहे. इस दिन घर में लहसुन, मसूर की दाल और प्याज का सेवन भी नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि ये चीज खाने से भगवान विष्णु रुष्ट हो जाते हैं.

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