चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने बर्मिंघम विश्वविद्यालय संग समझौता किया है. सरकार ने एमओयू पर हस्ताक्षर भी किए हैं. इस समझौता का फायदा बागवानी किसानों को स्टोरेज में मिलेगा. दरअसल, हरियाणा के मुख्यमंत्री और हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा की उपस्थिति में हरियाणा-यूके सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन सस्टेनेबल क्रॉप पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट एंड कोल्ड चेन स्थापित करने के लिए बर्मिंघम विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
हरियाणा सरकार का बर्मिंघम विश्वविद्यालय संग समझौता: हरियाणा सरकार की ओर से समझौता ज्ञापन पर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजा शेखर वुंडरू ने हस्ताक्षर किए हैं. जबकि विश्वविद्यालय की ओर से बर्मिंघम विश्वविद्यालय के प्रो-वाइस चांसलर (अंतर्राष्ट्रीय) प्रोफेसर रॉबिन मैसन ने हस्ताक्षर किए.
नुकसान होगा कम: इस बारे में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, "भारत का खाद्यान्न भंडार होने के कारण हरियाणा तेजी से ताजे फलों और सब्जियों के उत्पादन में विविधता ला रहा है. इस विस्तार के लिए कोल्ड चेन के प्रभावी प्रबंधन की आवश्यकता है, ताकि इस बागवानी क्षेत्र में कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सके. उत्कृष्टता केंद्र गुणवत्ता सुनिश्चित करने, बर्बादी को कम करने और हरियाणा में कृषि समुदाय का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा."
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फसलों की कटाई के बाद होगा बेहतर प्रबंधन: आगे सीएम ने कहा कि, "उत्कृष्टता केंद्र एक छत के नीचे एक व्यापक अनुसंधान और परीक्षण केंद्र के रूप में काम करेगा, जो फलों और सब्जियों के कटाई के बाद के प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है. यह सीसीएस हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (सीसीएस एचएयू), हिसार और महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण अनुसंधान और परीक्षण सेवाएं भी प्रदान करेगा, जिससे उन्हें कटाई के बाद के प्रबंधन और कोल्ड चेन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अध्ययन और प्रयोग करने में मदद मिलेगी."
ये है उद्देश्य: हरियाणा के सीएम ने कहा, "इसका उद्देश्य हरियाणा-यूके सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के प्रमुख उद्देश्यों में दिशा-निर्देश और प्रोटोकॉल विकसित करके कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करना है. साथ ही बागवानी उत्पादों के लिए कुशल कोल्ड चेन सुनिश्चित करने के लिए परीक्षण सुविधाएं प्रदान करके और प्रगति का समर्थन करके कोल्ड चेन नवाचारों को बढ़ावा देना है. इसके अलावा कोल्ड चेन प्रौद्योगिकियों के लिए इनक्यूबेशन समर्थन प्रदान करके तकनीकी स्टार्ट-अप को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही ऊर्जा-कुशल कोल्ड चेन समाधानों पर अत्याधुनिक अनुसंधान और टिकाऊ व्यापार मॉडल के विकास के माध्यम से टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देना और बागवानी उपज की बर्बादी को रोकने के उद्देश्य से कोल्ड-चेन प्रथाओं और कटाई के बाद के प्रबंधन (पीएचएम) के लिए एक व्यापक राष्ट्रीय ढांचा स्थापित करना इसका उद्देश्य है.
विकास में मिलेगी मदद: इससे मुख्य शोध गतिविधियों के अलावा केंद्र व्यवसायों और किसानों के लिए प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन और ऊष्मायन सुविधाएं प्रदान करेगा. जिससे उन्हें तेजी से विकसित हो रहे कृषि परिदृश्य में अनुकूलन और विकास करने में मदद मिलेगी. हरियाणा सरकार ने CoE-SPMCC के विकास के लिए पंचकूला के सेक्टर 21 में बागवानी निदेशालय से सटी 15 एकड़ जमीन आवंटित की है. केंद्र में एक प्रशिक्षण केंद्र, प्रौद्योगिकी प्रदर्शन क्षेत्र, परीक्षण केंद्र और प्रौद्योगिकी ऊष्मायन केंद्र होगा. इस सहयोग से हरियाणा फसल कटाई के बाद टिकाऊ प्रबंधन और कोल्ड चेन प्रथाओं में एक बेंचमार्क स्थापित करने के लिए तैयार है, जो खाद्य अपशिष्ट को कम करने और बागवानी खेती की लाभप्रदता और स्थिरता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है.
इस प्रयास ने केंद्र के डिजाइन और स्थापना को प्रेरित किया: बर्मिंघम विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ पंचकूला में केंद्र के विकास में तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए यूके और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के एक संघ का नेतृत्व कर रहे हैं. इस संघ में हेरियट-वाट विश्वविद्यालय, क्रैनफील्ड विश्वविद्यालय, लंदन साउथ बैंक विश्वविद्यालय और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) शामिल हैं. इस सहयोगात्मक प्रयास ने केंद्र के डिजाइन और स्थापना को प्रेरित किया है, जिसमें बर्मिंघम विश्वविद्यालय ऊर्जा और शीतलन, ऊर्जा संक्रमण और भंडारण के लिए लचीले सिस्टम दृष्टिकोण और इन प्रौद्योगिकियों के सामाजिक प्रभावों को समझने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है.
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