भिवानीः भारत आने वाले समय में कपड़ा उत्पादन में ग्लोबल लीडर बनेगा. सिर्फ न परंपरागत कपड़ा उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनेगे बल्कि टेक्निकल टेक्सटाइल, जिसे फंक्शनल टेक्सटाइल के उत्पादन और निर्यात के मामले में भी आत्मनिर्भर बनेगा. इसके लिए कपड़ों के लिए जूट पैदा करने वाले किसानों, फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के साथ इंजीनियरों को को ट्रेंड किया जा रहा है. शोध के माध्यम से आधुनिक मशीनें तैयार किए जा रहे हैं. वहीं वैश्विक मानकों के अनुसार कपड़े के उत्पादन, टेस्टिंग, सर्टिफिकेशन सहित हर स्तर पर काम किया जा रहा है.
टेक्निकल टेक्सटाइल के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा देश:
भिवानी स्थित टीआईटी एंड एस में टेक्निकल टेक्सटाइल पर आयोजित एक दिवसीय इंटरनेशनल सेमिनार में जर्मनी सहित दुनिया भर से टेक्सटाइल सेक्टर के एक्सपर्ट जुटे हैं. सेमिनार में हिस्सा लेने पहुंचे कपड़ा मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय टेक्सटाइल मिशन के निदेशक अशोक मल्होत्रा ने कहा कि भारत आने वाले समय में टेक्निकल टेक्सटाइल के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा. हजारों करोड़ रुपये का बजट भारत सरकार की ओर से इसके लिए दिया गया है.
फ्लाइट में उपयोग होता है फायर प्रूफ कपड़ा:
निदेशक अशोक मल्होत्रा ने कहा का टेक्निकल टेक्सटाइल में हम ऐसे कपड़े को तैयार कर रहे हैं, जो न तो न जलेगा न फटेगा न ही खराब होगा. इसका उपयोग एयरक्राफ्ट में होगा. एयर क्राफ्ट के भीतर ऐसे कपड़ों की आवश्यकता होती है, जिसमें आग न लगे. इसका उपयोग फ्लाइट के सीट कवर सहित अन्य जगहों पर किया जाएगा. पहले ऐसे कपड़ों को टेस्ट करने के लिए भारत से बाहर भेजा जाता था. अब भारत में टेस्टिंग लैब भी तैयार हो रहा है. साथ ही उसी लैब से सर्टिफिकेट के आधार पर सिविल एविएशन सेक्टर में इसका उपयोग होगा.
आने वाले समय में भारत कपड़े का निर्यातक बनेगा:
टीआईटी एंड एस भिवानी के निदेशक प्रो. बी.के. बेहेरा ने बताया कि पहनने वाले कपड़ा निर्माण के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर है, जबकि आने वाले समय में सड़क निर्माण, पुल निर्माण, मेडिकल क्षेत्र, जियो टेक्सटाइल, कृषि क्षेत्र में प्रयोग होने वाले कपड़ों की वैश्विक मांग है. इसी को देखते हुए भारत ना केवल टेक्सटाइल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा, बल्कि दूसरे देशों को निर्यात की स्थिति में होगा.