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सीएम से मंत्री बने चंपाई सोरेन की सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ी, जनसरोकार के मुद्दों पर हेमंत सोरेन को छोड़ा पीछे! - Hemant Soren Vs Champai Soren - HEMANT SOREN VS CHAMPAI SOREN

Champai Soren. पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री चंपाई सोरेन इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. पूरे राज्य से लोग अपनी समस्याएं उन तक पहुंचाते हैं, जिन पर चंपाई सोरेन संज्ञान भी लेते हैं. सक्रियता के मामले में उन्होंने हेमंत सोरेन को भी पीछे छोड़ दिया है.

HEMANT SOREN VS CHAMPAI SOREN
डिजाइन इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 8, 2024, 4:37 PM IST

रांची: झारखंड को आम बोलचाल की भाषा में राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाता है. कब सत्ता का समीकरण बदल जाए, इसका आकलन करना मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि 15 नवंबर 2000 को राज्य के रूप में अस्तित्व में आए झारखंड ने 24 वर्षों में 12 मुख्यमंत्री देख लिए. एक बार फिर यह राज्य चुनाव की दहलीज पर खड़ा है.

बहुत जल्द छठे विधानसभा के लिए चुनाव होना है. लेकिन 31 जनवरी 2024 को ईडी की कार्रवाई के बाद हेमंत सोरेन के सीएम पद से इस्तीफा देने और 4 जुलाई को दोबारा सीएम पद की शपथ लेने के बावजूद पांच माह तक सीएम रहे चंपाई सोरेन फुल फॉर्म में दिख रहे हैं. वे सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं. जनसरोकार के मसलों पर अधिकारियों को अड्रेस कर रहे हैं. इस मामले में उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन को भी पीछे छोड़ दिया है.

जनसरोकार के मामले में चंपाई आगे या हेमंत

इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने दोनों नेताओं के सोशल मीडिया को खंगाला तो नतीजा चौंकाने वाला दिखा. 2019 के चुनाव के बाद दूसरी बार सीएम बने हेमंत सोरेन, जनसमस्याओं से जुड़े मामलों को सोशल मीडिया के जरिए अधिकारियों को तत्परता के साथ एड्रेस करते थे. अपने आवास पर भी लोगों की समस्याएं सुनते थे. लेकिन इस काम में थोड़ी कमी जरुर आई है. वहीं सीएम की कुर्सी गंवाने के बाद भी चंपाई सोरेन की सोशल मीडिया पर सक्रियता बरकरार है. बेशक, चंपाई सोरेन अब हेमंत कैबिनेट में मंत्री बन गये हैं लेकिन उनके कामकाज के तरीके में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. वह लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए ताबड़तोड़ निर्देश दे रहे हैं.

लगातार अधिकारियों को डायरेक्शन दे रहे हैं चंपाई

4 जुलाई को पांचवें विधानसभा में दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन की सरकार ने 8 जुलाई को सदन में बहुमत हासिल किया था. इसके बावजूद चंपाई सोरेन की सक्रियता बरकरार रही. चंपाई सोरेन ने विश्वास मत के अगले ही दिन जन सरोकार के मुद्दे पर पहला डायरेक्शन दुमका के डीसी को दिया. मामला काठीकुंड निवासी प्रदीप मंडल की आंखों में कैंसर से जुड़ा था.

हालांकि सुतिब्रो गोस्वामी नामक शख्स ने सीएम हेमंत सोरेन को एड्रेस करते हुए प्रदीप की तकलीफ पर संज्ञान लेने का आग्रह किया था. उन्होंने चंपाई सोरेन को भी टैग किया था. इसपर चंपाई सोरेन ने दुमका डीसी को टैग करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के प्रावधानों के तहत, इनकी चिकित्सा का इंतजाम करें. 9 जुलाई को ही उन्होंने आदिवासी डॉट काम के एक पोस्ट को रि-पोस्ट किया, जिसमें लिखा था कि हर दिन की तरह अपने आवास पर आम जनता की समस्याएं सुनते पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन.

10 जुलाई को हमार सोना झारखंड का वीडियो साझा किया. उन्होंने कहीं न कहीं यह बताने की कोशिश की कि वह बतौर सीएम कितने सक्रिय थे. 11 जुलाई को बोकारो के परीक्षित प्रसाद मांझी को पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलने पर बोकारो के डीसी को टैग करते हुए सहायता करने का निर्देश दिया. खास बात है कि दोनों मामलों में दुमका और बोकारो के डीसी ने भी रिस्पॉन्ड किया.

चंपाई सोरेन ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा और जल संसाधन विभाग का चार्ज संभालते ही 11 और 12 जुलाई को दोनों विभागों की समीक्षा की. इसके बाद 16 जुलाई को रामगढ़ की बबीता कुमारी के पैर में कैंसर की सूचना पर वहीं के डीसी को टैग कर चिकित्सा इंतजाम का निर्देश दिया. उसी दिन गिरिडीह में छह माह बाद भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनने पर पंकज यादव के मैसेज को गिरिडीह डीसी तक पहुंचाया.

16 जुलाई को ही हजारीबाग के एक दिव्यांग बच्चे को व्हीलचेयर नहीं मिलने पर वहां के डीसी को निर्देशित किया. 16 जुलाई को ही गिरिडीह की एक विधवा को पेंशन नहीं मिलने पर डीसी को टैग किया. 18 जुलाई को गिरिडीह की मालती देवी के लिए चाईबासा की नंदी कुई को पति के अत्याचार से बचाने के लिए झारखंड पुलिस और चाईबासा डीसी को निर्देशित किया. उसके बाद सदा मुनि मुर्मू नामक बच्ची के इलाज के लिए पूर्वी सिंहभूम के डीसी, कोडरमा के खीरो ठाकुर को पेंशन के लिए वहां के डीसी, बोकारो की शकीला खातून को कैंसर के इलाज के लिए वहीं के डीसी, पलामू के दिव्यांग अरुण कुमार चौधरी को पेंशन के लिए वहां के डीसी, रांची की सहजादी बेगम को पेंशन के लिए डीसी, बोकारो के दिव्यांग नरेश गोस्वामी को व्हीलचेयर के लिए डीसी, धनबाद की बुजुर्ग महिला को पेंशन के लिए धनबाद के डीसी को सहायता के लिए निर्देशित किया.

अच्छी बात यह रही है कि सभी जिलों के डीसी ने उनके निर्देश का पालन करते हुए लाभुकों को सहायता पहुंचाने की जानकारी भी सोशल मीडिया पर दी. खास बात है कि सोशल मीडिया के जरिए जरुरतमंदों को प्रशासन के जरिए सहयोग पहुंचाने का चंपाई सोरेन का सिलसिला लगातार जारी है. अब तक वह अलग-अलग विभागों से जुड़े दर्जनों लोगों को एक्स के जरिए सहायता पहुंचा चुके हैं.

वहीं, 4 जुलाई को तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन की भी सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ी है. उनके सोशल मीडिया पर मंदिरों में पूजा-पाठ, सदन में भाषण, 8 जुलाई को कैबिनेट विस्तार, पर्व त्यौहार की शुभकमनाओं, दिवंगतों के लिए शांति की कामना, समीक्षा बैठक, नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने, योजनाओं का उद्घाटन, परिसंपत्तियों का वितरण, झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के प्रचार-प्रसार और उत्साह, राजनीतिक टिप्पणियों पर जवाब, पीएम से मुलाकात, पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण से जुड़े पोस्ट प्रमुखता से साझा किए गये.

हालांकि, 4 जुलाई से अब तक सीएम हेमंत सोरेन ने समय-समय पर जन सरोकार से जुड़े कई मामलों के निष्पादन के लिए एक्स के जरिए विभागीय मंत्री और अधिकारियों को निर्देशित किया है. इस लिस्ट में सांसद ढुल्लू महतो के समर्थकों द्वारा महिलाओं को पीटे जाने पर वहां के डीसी, पलामू की कविता कुमारी का राशन कार्ड नहीं बनने पर वहीं के डीसी, ओरमांझी में आदिवासी महिला की मौत पर रांची पुलिस, रांची स्थित एक प्राइवेट अस्पताल की गलत बिलिंग के खिलाफ स्वास्थ्य मंत्री, धनबाद के दीपक कुमार दुबे के इलाज के लिए स्वास्थ्य मंत्री, कैमरून में फंसे मजदूरों की वापसी की पहल, रांची के राजाराम मुंडा को पेंशन नहीं मिलने पर डीसी को निर्देशित करने से जुड़ा पोस्ट शामिल है. लेकिन, यह जरूर है कि 2019 में सीएम बनने के बाद जन समस्याओं के समाधान से जुड़े पोस्ट की संख्या ज्यादा हुआ करती थी.

क्या था चंपाई सोरेन के स्पीच में

8 जुलाई को विश्वास मत के दिन सदन में दिए अपनी स्पीच में चंपाई सोरेन ने पक्ष और विपक्ष दोनों को आईना दिखाया था. उन्होंने कहा था कि मुझे कुछ दिनों के लिए नेतृत्व की जिम्मेदारी मिली थी. उसी दौरान तीन माह लोकसभा चुनाव में बीता. दोनों पक्ष सत्ता में रहा है. लेकिन प्रदेश में किसी तरह का बदलाव नहीं आया. इसके लिए किसको दोषी बनाएंगे. किसके ऊपर आरोप लगाएंगे. किसी न किसी रूप में दोनों पक्ष को सत्ता में रहकर काम करने का मौका मिला है. पांच माह तक सत्ता चलाने का मौका मिला. लेकिन लोकतंत्र में पार्टी के निर्णय के साथ चलना पड़ता है. एक दूसरे पर लांछन लगाने से काम नहीं चलेगा. सकारात्मक विचार के साथ आगे बढ़ना चाहिए. एक दूसरे का सहयोग करके झारखंड जैसे सुंदर प्रदेश को आगे बढ़ाना है.

खास बात है कि चंपाई सोरेन के कार्यकाल की विपक्ष भी खुले दिल से सराहना करता आ रहा है. चंपाई सोरेन भी सदन के भीतर अपने भाषण में विपक्ष के खिलाफ खुलकर बोलने से बचते दिखे हैं. हालांकि, राजनीति के जानकार इसे पॉलिटिकल गेम बताते हैं. वैसे, विपक्ष के रुख से साफ है कि आगामी विधानसभा चुनाव में चंपाई सोरेन की विदाई एक मुद्दा जरूर बनेगा.

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