रांची: झारखंड को आम बोलचाल की भाषा में राजनीति की प्रयोगशाला कहा जाता है. कब सत्ता का समीकरण बदल जाए, इसका आकलन करना मुश्किल हो जाता है. यही वजह है कि 15 नवंबर 2000 को राज्य के रूप में अस्तित्व में आए झारखंड ने 24 वर्षों में 12 मुख्यमंत्री देख लिए. एक बार फिर यह राज्य चुनाव की दहलीज पर खड़ा है.
बहुत जल्द छठे विधानसभा के लिए चुनाव होना है. लेकिन 31 जनवरी 2024 को ईडी की कार्रवाई के बाद हेमंत सोरेन के सीएम पद से इस्तीफा देने और 4 जुलाई को दोबारा सीएम पद की शपथ लेने के बावजूद पांच माह तक सीएम रहे चंपाई सोरेन फुल फॉर्म में दिख रहे हैं. वे सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं. जनसरोकार के मसलों पर अधिकारियों को अड्रेस कर रहे हैं. इस मामले में उन्होंने सीएम हेमंत सोरेन को भी पीछे छोड़ दिया है.
जनसरोकार के मामले में चंपाई आगे या हेमंत
इसकी पड़ताल करने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने दोनों नेताओं के सोशल मीडिया को खंगाला तो नतीजा चौंकाने वाला दिखा. 2019 के चुनाव के बाद दूसरी बार सीएम बने हेमंत सोरेन, जनसमस्याओं से जुड़े मामलों को सोशल मीडिया के जरिए अधिकारियों को तत्परता के साथ एड्रेस करते थे. अपने आवास पर भी लोगों की समस्याएं सुनते थे. लेकिन इस काम में थोड़ी कमी जरुर आई है. वहीं सीएम की कुर्सी गंवाने के बाद भी चंपाई सोरेन की सोशल मीडिया पर सक्रियता बरकरार है. बेशक, चंपाई सोरेन अब हेमंत कैबिनेट में मंत्री बन गये हैं लेकिन उनके कामकाज के तरीके में कोई बदलाव नहीं दिख रहा है. वह लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए ताबड़तोड़ निर्देश दे रहे हैं.
लगातार अधिकारियों को डायरेक्शन दे रहे हैं चंपाई
4 जुलाई को पांचवें विधानसभा में दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद हेमंत सोरेन की सरकार ने 8 जुलाई को सदन में बहुमत हासिल किया था. इसके बावजूद चंपाई सोरेन की सक्रियता बरकरार रही. चंपाई सोरेन ने विश्वास मत के अगले ही दिन जन सरोकार के मुद्दे पर पहला डायरेक्शन दुमका के डीसी को दिया. मामला काठीकुंड निवासी प्रदीप मंडल की आंखों में कैंसर से जुड़ा था.
हालांकि सुतिब्रो गोस्वामी नामक शख्स ने सीएम हेमंत सोरेन को एड्रेस करते हुए प्रदीप की तकलीफ पर संज्ञान लेने का आग्रह किया था. उन्होंने चंपाई सोरेन को भी टैग किया था. इसपर चंपाई सोरेन ने दुमका डीसी को टैग करते हुए लिखा कि मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के प्रावधानों के तहत, इनकी चिकित्सा का इंतजाम करें. 9 जुलाई को ही उन्होंने आदिवासी डॉट काम के एक पोस्ट को रि-पोस्ट किया, जिसमें लिखा था कि हर दिन की तरह अपने आवास पर आम जनता की समस्याएं सुनते पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन.
10 जुलाई को हमार सोना झारखंड का वीडियो साझा किया. उन्होंने कहीं न कहीं यह बताने की कोशिश की कि वह बतौर सीएम कितने सक्रिय थे. 11 जुलाई को बोकारो के परीक्षित प्रसाद मांझी को पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलने पर बोकारो के डीसी को टैग करते हुए सहायता करने का निर्देश दिया. खास बात है कि दोनों मामलों में दुमका और बोकारो के डीसी ने भी रिस्पॉन्ड किया.
चंपाई सोरेन ने उच्च एवं तकनीकी शिक्षा और जल संसाधन विभाग का चार्ज संभालते ही 11 और 12 जुलाई को दोनों विभागों की समीक्षा की. इसके बाद 16 जुलाई को रामगढ़ की बबीता कुमारी के पैर में कैंसर की सूचना पर वहीं के डीसी को टैग कर चिकित्सा इंतजाम का निर्देश दिया. उसी दिन गिरिडीह में छह माह बाद भी जन्म प्रमाण पत्र नहीं बनने पर पंकज यादव के मैसेज को गिरिडीह डीसी तक पहुंचाया.
16 जुलाई को ही हजारीबाग के एक दिव्यांग बच्चे को व्हीलचेयर नहीं मिलने पर वहां के डीसी को निर्देशित किया. 16 जुलाई को ही गिरिडीह की एक विधवा को पेंशन नहीं मिलने पर डीसी को टैग किया. 18 जुलाई को गिरिडीह की मालती देवी के लिए चाईबासा की नंदी कुई को पति के अत्याचार से बचाने के लिए झारखंड पुलिस और चाईबासा डीसी को निर्देशित किया. उसके बाद सदा मुनि मुर्मू नामक बच्ची के इलाज के लिए पूर्वी सिंहभूम के डीसी, कोडरमा के खीरो ठाकुर को पेंशन के लिए वहां के डीसी, बोकारो की शकीला खातून को कैंसर के इलाज के लिए वहीं के डीसी, पलामू के दिव्यांग अरुण कुमार चौधरी को पेंशन के लिए वहां के डीसी, रांची की सहजादी बेगम को पेंशन के लिए डीसी, बोकारो के दिव्यांग नरेश गोस्वामी को व्हीलचेयर के लिए डीसी, धनबाद की बुजुर्ग महिला को पेंशन के लिए धनबाद के डीसी को सहायता के लिए निर्देशित किया.