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चंबल के नायक कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया की याद में इटावा में बनेगा स्मारक, 2025 में शुरू होगा काम

कमांडर भदौरिया के गांव इटावा के लुहिया बहादुरपुर से बड़े क्रांतिकारियों का नाता रहा है. डॉ. राम मनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर का यहां आना-जाना था.

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 4 hours ago

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भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर, कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया तथा महात्मा गांधी के वर्धा आश्रम में रहकर स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाली सरला भदौरिया. (Photo Credit; Sudhindra Bhadauria)

लखनऊ: प्रसिद्ध क्रांतिकारी कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के इटावा स्थित पैतृक गांव लुहिया बहादुरपुर में जल्द ही स्मारक बनाया जाएगा. बता दें कि भारत रत्न से सम्मानित बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर, समाजवादी आंदोलन के प्रणेता डॉ. राम मनोहर लोहिया और चंबल के महानायक कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया निकट सहयोगी रहे हैं.

कमांडर भदौरिया के गांव लुहिया बहादुरपुर से देश के तमाम बड़े क्रांतिकारी नेताओं का नाता रहा है. यह गांव मध्य भारत में समाजवादी आंदोलन की नर्सरी के रूप में भी प्रसिद्ध है. यहां डॉ. राम मनोहर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव, जय प्रकाश नारायण और कर्पूरी ठाकुर का यहां प्राय: आना-जाना होता था. इस गांव पर कई पुस्तकें भी लिखी गई हैं. प्रसिद्ध अभिनेता मनोज बाजपेई ने अपनी आवाज देकर इस पर एक डाक्यूमेंट्री भी प्रस्तुत की है.

सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक सुधींद्र भदौरिया ने अपने पिता और चंबल के हीरो अर्जुन सिंह भदौरिया के बारे में बताया. (Video Credit; ETV Bharat)

सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक सुधींद्र भदौरिया ने बताया कि हाल ही में केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर से भदौरिया और उनकी पत्नी समाज विज्ञानी व महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली डॉ. रंजना कुमारी जी ने भेंट की थी. इस मुलाकात के दौरान मंत्री उनके पिता कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के पैतृक गांव लुहिया बहादुरपुर में जल्दी ही स्मारक का निर्माण कराए जाने की बात कही है.

इसके लिए सुधींद्र भदौरिया ने अपने गांव में निशुल्क भूमि देने का वादा भी किया है. मंत्री ने इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति प्रदान कर शीघ्र संग्रहालय निर्माण कार्य शुरू करने का आश्वासन दिया है. कर्पूरी ठाकुर और उनके पिता कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के बीच जो पुराने संबंध रहे हैं वह अविस्मरणीय हैं. हमारे पिता कर्पूरी ठाकुर ही नहीं, जय प्रकाश नारायण और डॉ. राम मनोहर लोहिया के भी सहयोगी थे. उन्होंने जनता की सेवा में पूरा जीवन बिताया.

सुधींद्र भदौरिया बताते हैं कि चंबल स्थित मेरे गांव में क्रांतिकारियों की बड़ी धरोहरें हैं. स्वतंत्रता आंदोलन में कई लोगों की जानें गईं, तो कुछ लोगों को फांसी हुई. हमारे पिता कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया को भी अंग्रेजों ने 44 साल की सजा सुनाई थी. यही नहीं वह आंदोलन के दौरान 52 बार जेल भी गए थे. लाल सेना के कमांडर अर्जुन सिंह अंग्रेजों के लिए मुसीबत बन गए थे. युवा पीढ़ी को इससे बहुत प्रेरणा मिलती है.

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर को पुस्तक भेंट करते सुधींद्र भदौरिया और उनकी पत्नी डॉ रंजना कुमारी. (Photo Credit; Sudhindra Bhadauria)

वहीं केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर हमेशा उनका स्वागत किया करते थे. अपने यहां रुकाया भी करते थे. विगत दिनों वह हमारे यहां आए और इच्छा जाहिर की कि कमांडर अर्जुन सिंह भदौरिया के पैतृक गांव लुहिया बहादुरपुर, जहां से लाल सेना का गठन हुआ था, में उनकी स्मृति का बहुत बड़ा केंद्र बने. इसकी जिम्मेदारी उन्होंने ली है. उन्होंने बताया है कि 2025 के शुरुआती महीनों में इस स्मारक के निर्माण का शुभारंभ किया जाएगा.

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