छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

झलमला के मां गंगा मैया मंदिर में आस्था की ज्योति, सुबह से लगी भक्तों की भीड़ - chaitra Navratri 2024

आज से हिंदू नववर्ष एवं नवरात्र पर्व की शुरुआत हो चुकी है. इस अवसर पर बालोद जिले के प्रमुख आस्था का केंद्र मां गंगा मैया मंदिर झलमला में विशेष पूजा अर्चना की गई. नवरात्रि के पहले दिन माता के दर्शन करने भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी.

CHAITRA NAVRATRI 2024
मां गंगा मैया मंदिर

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 9, 2024, 4:17 PM IST

झलमला के मां गंगा मैया मंदिर में उमड़ी भक्तों की भीड़

बालोद: जिले के झलमला स्थित मां गंगा मईया मंदिर में आज से चैत्र नवरात्रि और हिंदू नववर्ष की धूम देखने को मिल रही है. यहां नवरात्र की शुरुआत विशेष पूजा अर्चना के साथ की गई. गंगा मईया मन्दिर में 900 और शीतला माता मंदिर में 100 आस्था के ज्योति कलश जलाए गए हैं. सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी हुई है और देवी भजन का गायन भी किया जा रहा है.

नवरात्रि के पहले दिन भक्तों की लगी भीड़: मां गंगा मैया के भक्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. मंदिर का स्वरूप भी हर साल बदलता जा रहा है. भक्तों की भीड़ को देखते हुए पोलिस प्रशासन भी तैनात है. पूड़ी सब्जी सेवा से लेकर निशुल्क स्टैंड की भी व्यवस्था की गई है. आज आरती में सैंकड़ों भक्त शामिल हुए और आज से ही ट्रस्ट ने सभी सुविधाएं शुरू कर दी हैं. यहां अब देश विदेश से भी भक्त पहुंच रहे हैं.

134 साल पुराना है मंदिर का इतिहास:झलमला स्थित मां गंगा मईया मंदिर की स्थापना का इतिहास अंग्रेजी शासन काल से जुड़ा हुआ है. लगभग 134 साल पहले जिले की जीवन दायिनी तांदुला नदी पर नहर का निर्माण चल रहा था. सोमवार को वहां बड़ा साप्ताहिक बाजार लगता था. बाजार में दूर-दराज से पशुओं के झुंड के साथ बंजारे आया करते थे. पशुओं की संख्या अधिक होने की वजह से पानी की कमी महसूस होती थी. पानी की कमी को दूर करने के लिए बांधा तालाब की खुदाई कराई गई. गंगा मैया के प्रादुर्भाव की कहानी इसी तालाब से शुरू होती है.

केंवट के जाल में फंसी थी प्रतिमा: मंदिर के व्यवस्थापक सोहन लाल टावरी ने बताया, "एक दिन ग्राम सिवनी का एक केंवट मछली पकड़ने के लिए इस तालाब में गया. जाल में मछली की जगह एक पत्थर की प्रतिमा फंस गई. केंवट ने अज्ञानतावश उसे साधारण पत्थर समझ कर फिर से तालाब में डाल दिया. लेकिन अगली बार जाल में फिर वहीं प्रतिमा फंस गई. केंवट ने फिर मूर्ति को तालाब में डाल दिया. इस प्रक्रिया के कई बार पुनरावृत्ति से परेशान होकर केंवट जाल लेकर अपने घर चला गया.

सपने में केंवट को हुआ माता का अहसास: देवी ने गांव के गोंड़ जाति के बैगा को स्वप्न में आकर कहा कि मैं जल के अंदर पड़ी हूं. मुझे जल से निकालकर मेरी प्राण-प्रतिष्ठा करवाओ. स्वप्न की सत्यता को जानने के लिए तत्कालीन मालगुजार छवि प्रसाद तिवारी, केंवट और गांव के अन्य प्रमुखों को साथ लेकर बैगा तालाब पहुंचा. केंवट ने फिर जाल फेंका, जिसमें वही प्रतिमा फिर फंस गई. इसके बाद प्रतिमा को बाहर निकाला गया. उसके बाद देवी के आदेशानुसार छवि प्रसाद ने अपने संरक्षण में प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करवाई. जल से प्रतिमा के निकलने की वजह से यह धाम मां गंगा मैया के नाम से विख्यात हुई.

चैत्र नवरात्रि 2024, भगवती देवी की पूजा करते समय किन वास्तु और नियमों का रखें ध्यान, जानिए - Chaitra Navratri 2024
चैत्र नवरात्रि पर खरमास की छाया, इस दिन से फिर शुरू होंगे मांगलिक कार्य, जानिए - Chaitra Navratri 2024
रायपुर के महामाया मंदिर में इस नवरात्रि क्या रहेगा खास, जानिए - Chaitra Navratri 2024

ABOUT THE AUTHOR

...view details