पानीपत: इन दिनों शक्ति की देवी मां दुर्गा उपासना महापर्व चैत्र नवारात्रि को लेकर भक्त भारी संख्या में माता के मंदिर पहुंच रहे हैं. हरियाणा के ऐतिहासिक मंदिरों में से एक मंदिर है पानीपत का देवी मंदिर. यह मंदिर पानीपत में युद्ध के दौरान मराठों ने बनवाया था. हरियाणा के ऐतिहासिक धरोहर में से ऐतिहासिक देवी मंदिर भी एक धरोहर है. इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु मन्नत मांगने के लिए आते हैं.
क्या है तुलजा मंदिर का इतिहास?: देवी मंदिर के पुजारी लालमणि पांडेय ने बताया कि पानीपत के ऐतिहासिक एवं प्राचीन मराठा देवी मंदिर का इतिहास बहुत ही पुराना है. इस मंदिर का निर्माण 18वीं सदी में मराठा सरदार सदाशिव भाऊ द्वारा करवाया गया था. उन्होंने कहा कि मराठों में देवी मां की प्रति अटूट श्रद्धा थी. लोगों का मानना है कि इस प्राचीन मराठा देवी मंदिर में जो भी सच्ची श्रद्धा के साथ मनोकामना मांगते हैं, वह अवश्य पूर्ण होती है.
मंदिर के बाहर बने तालाब का निर्माण: जनश्रुतियों के अनुसार मराठों द्वारा ही इस मंदिर के बाहर बने तालाब का निर्माण करवाया गया था. इतिहासकार रमेश पुहाल के अनुसार यहां मंदिर पहले से ही कि बना हुआ था, लेकिन पहले यह मंदिर इतना विशाल नहीं था जितना आज के समय में है. 1761 में मुगलों और मराठों की लड़ाई में जब सदाशिव भाऊ अपनी फौज के साथ दिल्ली फतह करने के बाद पूरा फतह करने की तैयारी में कुरुक्षेत्र की ओर जा रहे थे, तभी वहां से सदाशिव भाऊ की फौज ने सुना कि अहमद शाह अब्दाली ने फिर से आक्रमण कर दिया है. मुहम्मद शाह अब्दाली की सेना सोनीपत के गन्नौर के पास पहुंच चुकी है तो वहां से मराठों की फौज वापस पानीपत आ गई और एक सुरक्षित स्थान ढूंढते हुए पानीपत के उस जगह पहुंच गई जहां आज यहां देवी मंदिर है.