गिरिडीहः पर्यावरण संरक्षण के लिए सीसीएल गिरिडीह लगातार अभियान चला रहा है. इस अभियान के तहत पिछले दो वर्ष के दौरान कोलियरी प्रबंधन ने 8 लाख 12 हजार 250 पौधे लगाए हैं. सिर्फ वर्ष 2024 में 3,93,750 पौधे लगाए गए हैं. यह सब महाप्रबंधक बासब चौधरी के नेतृत्व में किया गया है. अभी भी पौधरोपण अभियान और पौधों के संरक्षण का काम चल रहा है. यह जानकारी महाप्रबंधक बासब चौधरी ने ईटीवी भारत से साझा की है.
पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण जरूरी
सीसीएल महाप्रबंधक बासब चौधरी ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए पौधरोपण निहायत ही जरूरी है. ऐसे में पौधरोपण पर पूरा जोर दिया गया. अधिकारियों संग लगातार बैठक कर रहे हैं. पौधरोपण अभियान में वन विभाग से भी सहयोग लिया जा रहा है.साथ ही स्कूल, कॉलेज, पंचायत के मुखिया, ग्रामीणों संग लगातार बैठक कर रूपरेखा तैयार की जा रही है. मिशन की तरह पौधरोपण का काम शुरू किया गया है.
2005 से लगातार सीसीएल चला रहा है अभियान
जीएम ने बताया कि वैसे वर्ष 2005 में पौधरोपण अभियान शुरू किया गया था. 2005 में 35 हेक्टेयर भूमि पर 87500, 2007 में 60 हेक्टेयर भूमि पर 150000, 2010 में 40 हेक्टेयर भूमि पर 100000, 2013 में 35 हेक्टेयर भूमि पर 87500, 2017 में 22 हेक्टेयर भूमि पर 55000, 2019 में 20 हेक्टेयर भूमि पर 50000, 2019 में 20 हेक्टेयर भूमि पर 50000 पौधे लगाए गए.
वहीं वर्ष 2021 में 28 हेक्टेयर भूमि पर 70000, 2022 में 23 हेक्टेयर भूमि पर 57500, 2023 में 40 हेक्टेयर भूमि पर 100000, 2023 में ही लीज एरिया के बाहर 155 हेक्टेयर भूमि पर 387500, 2024 में 17.50 हेक्टेयर भूमि पर 43750 तो 2024 में ही लीज एरिया के बाहर 140 हेक्टेयर भूमि पर 350000 पौधे लगाए गए हैं.
19 वर्षों में लगाए गए 15.38 पौधे
जीएम ने बताया कि 19 वर्षों में सीसीएल गिरिडीह एरिया द्वारा 615.50 हेक्टेयर भूमि पर 15.38 लाख पौधे लगाए गए हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में गिरिडीह एरिया ने दो वन क्षेत्र में पौधरोपण किया गया है. जहां गिरिडीह वन क्षेत्र के गंगापुर पुरनानगर, लोदी सरहच्चा और नावाडीह तो खुरचुट्टा वन क्षेत्र के भलपहरी में पौधे लगाए गए हैं. बताया कि जितने पौधे लगाए हैं उनमें हजारों पौधे तो अब पेड़ का रूप लेने लगे हैं.
लोगों को किया जा रहा जागरूक
जीएम ने बताया कि सीसीएल न सिर्फ पौधा लगा रहा है, बल्कि लोगों को पौधे के संरक्षण के लिए जागरूक किया जा रहा है. लोगों को जागरूक करने के लिए रैली निकाली जाती है, गांव गांव में जाकर लोगों को बताया जा रहा है कि पौधा को संरक्षित करें.