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इतनी गफलत क्यों है! मेडिकल स्टाफ की लापरवाही से मरीज की मौत तो दोषी कौन

इलाज के दौरान लापरवाही को लेकर मेडिकल स्टाफ को राहत दर राहत मिलती जा रही है. डॉक्टर्स के पक्ष में पिछले साल संसद में कानून में परिवर्तन किया गया. अब एक दिन पहली ही मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एक फैसला सुनाया. ऐसे में सवाल उठता है कि मेडिकिल स्टाफ की निरंकुशता पर कैसे लगाम कसी जा सकेगी. आइए देखते हैं मेडिकल स्टाफ की लापरवाही से मौत और उन मामले में हुई कार्रवाई...

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मेडिकल स्टाफ की लापरवाही से मरीज की मौत तो दोषी कौन

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Mar 15, 2024, 10:12 PM IST

भोपाल।मध्यप्रदेश के पास रीवा से सटे मऊगंज जिले में पिछले साल एक झोलाछाप डॉक्टर ने ऐसा कृत्य किया, जिसे सुनकर कलेजा कांप उठेगा. दरअसल, महिला को पेटदर्द की शिकायत थी. परिजनों के कहने पर घर आए झोलाछाप ने महिला की जांच की और इसके बाद ऑपरेशन के नाम पर महिला का पेट ही फाड़ डाला. इस दौरान महिला के गर्भाशय से आंतें बाहर आ गईं. महिला की मौत हो गई. इसके बाद आरोपी डॉक्टर कैंची और ब्लेड वहीं छोड़कर मौके से भाग गया. पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. ये एक नमूना है चिकित्सकीय व्यवस्था और लापरवाही का.

अस्पताल में इलाज के दौरान लापरवाही से मौत की शिकायतें

इसमें कोई शक नहीं कि डॉक्टर को धरती पर भगवान का रूप माना गया है. संकटकाल में मरीज व उनके परिजन डॉक्टर की हर सलाह को मानते हैं. लेकिन जहां सरकारी अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ द्वारा लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं तो वहीं, प्राइवेट अस्पतालों में मरीज के परिजनों से ज्यादा से ज्यादा वसूली के लिए अनाप-शनाप व गलत इलाज करने के मामले सामने आते रहते हैं. अस्पताल चाहे सरकारी हों या निजी अधिकांश जगहों पर लापरवाही व मनमाने इलाज की शिकायतें अब आम हो गई हैं. इस दौरान मरीज की मौत होने पर परिजन आपा खो देते हैं. हालांकि पीड़ितों परिजनों की शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई भी करती है.

ग्वालियर के बिड़ला अस्पताल का मामला खूब गरमाया

ग्वालियर के जाने माने अस्पताल बिड़ला चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र पर 10 जनवरी 2023 को शिवपुरी जिला उपभोरम ने 12.37 लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने के आदेश जारी किए. अरुण तोमर और उनके बेटे राघवेंद्र तोमर ने 97 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति की मांग की थी. शिवपुरी जिला उपभोक्ता फोरम ने अस्पताल प्रबंधन को इलाज में लापरवाही बरतने का दोषी माना और जुर्माना लगाया. ये मामला 2021 का है, जब कोविड का प्रकोप फैला था. अरुण तोमर की पत्नी को कोरोना के कारण बिड़ला अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन 29 अप्रैल को उनकी मौत हो गई. परिजनों ने अस्पताल का बिल भर दिया था. परिजनों ने तीन दिन बाद पाया कि मृतका के गहने गायब हैं. इसकी शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज किया था. पीड़ित परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही के आरोप के साथ अनाप-शनाप बिल बनाकर देने के साक्ष्य कोर्ट को सौंपे थे.

भिंड में नवजात के साथ ही प्रसूता की मौत, दोषी कौन

मध्यप्रदेश के भिंड में 4 जनवरी 2024 को जिला अस्पताल में महिला और नवजात की मौत हो गई. इससे भड़के परिजन ने बवाल काट दिया. मामला गर्माते देखकर ड्यूटी नर्स को सस्पेंड कर दिया गया. इसके साथ ही कलेक्टर ने मजिस्ट्रयल जांच के आदेश दिए. महिला को तीन बेटियों के बाद बेटे की चाहत पूरी हुई थी. लेकिन इलाज में लापरवाही के कारण खुशियां मातम में बदल गईं. परिजनों के अनुसार एक दिन पहले महिला को प्रसव पीड़ा उठी. परिजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. दिनभर महिला भर्ती रही, लेकिन डॉक्टर-नर्सों ने ठीक से इलाज नहीं किया, जिसके कारण उसकी हालत बिगड़ती गई. परिजन गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी. आखिर में महिला और नवजात की मौत हो गई.

झोलाछाप डॉक्टर ने महिला का पेट ही फाड़ डाला

मऊगंज में 18 अगस्त 2023 को मऊगंज जिले में एक झोलाछाप डॉक्टर ने महिला मरीज के घर जाकर उसके पेट का ऑपरेशन ही कर डाला. महिला के गर्भाशय से आंतें बाहर आ गईं और उसकी मौत हो गई. इसके बाद आरोपी डॉक्टर कैंची और ब्लेड वहीं छोड़कर भाग गया. पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. 26 अगस्त 2023 को इंदौर के एमवाय अस्पताल में इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई. परिजनों ने चिकित्सकों पर लापरवाही के आरोप लगाए परिजनों का आरोप था कि चिकित्सकों ने लीपापोती का प्रयास किया. परिजनों ने इसके विरोध में चक्काजाम कर दिया. उधर, राजगढ़ के सरकारी अस्पताल भी गजब है. सेवलान का उपयोग मरीज के घाव को संक्रमण से बचाने और कीटाणुओं से बचाव के लिए किया जाता है, लेकिन जीवनरक्षक यह दवाई ही जानलेवा बन गई है. दरअसल, सेवलान की बोतल में कीड़े थे, जिसका इस्तेमाल ड्रेसिंग में करने के कारण मरीज की हालत और बिगड़ गई.

इंदौर में 3 डॉक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज

इंदौर के लसूडिया थाना क्षेत्र में 29 मई 203 को एक युवक की डॉक्टर की लापरवाही से मौत हो गई. पुलिस अस्पताल के तीन डॉक्टरों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का प्रकरण पंजीबद्ध किया. सड़क हादसे में घायल युवक को राज्यश्री नर्सिंग होम ले जाया गया. डॉक्टरों ने उस इंजेक्शन लगाया था लेकिन इंजेक्शन लगाने के बाद ही युवक की मौत हो गई. इस मामले की शिकायत मृतक के पिता ने कलेक्टर ऑफिस में की. जांच करने पर यह पाया गया था कि इसमें अस्पताल की लापरवाही है. इसके बाद पुलिस ने तीन डॉक्टरों के खिलाफ केस दर्ज किया.

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में डॉक्टर्स की लापरवाही, सबूतों से छेड़छाड़

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक निजी अस्पताल के चार डॉक्टरों को 2016 में एक मरीज की मौत से संबंधित कथित लापरवाही और सबूतों से छेड़छाड़ की शिकायत के बाद 31 दिसंबर 2023 को गिरफ्तार किया गया. देवेंद्र सिंह, राजीब लोचन, मनोज राय और सुनील केडिया पर आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया. धाराएं जमानती होने के कारण बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया. राजस्थान के बीकानेर में 13 मार्च 2024 को गर्भवती महिला की डॉक्टरों की लापरवाही से मौत हो गई.

मेडिकल स्टाफ के पक्ष में संसद ने कानून बदला

अगर लापरवाही के कारण मरीज की मौत हो जाती है तो डॉक्टर के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान था. लेकिन पिछले साल ही भारतीय न्याय संहिता में डॉक्टर की लापरवारी से किसी मरीज की मौत होने पर सजा बदल गई है. इससे पहले डॉक्टरी लापरवाही से किसी मरीज की मौत होने पर डॉक्टरों पर गैर इरादतन हत्या का आरोप लगता था. लेकिन हाल ही में न्याय संहिता में हुए बदलाव में इस सजा में नरमी बरती गई है. गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में लोकसभा में आपराधिक न्याय प्रणाली से जुड़े कुछ नए विधेयक पास किए. नए कानून में डॉक्टर को अब केवल दो साल की सजा का प्रावधान है. अब डॉक्टर्स गैर इरादतन हत्या के आरोपी नहीं होंगे.

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एमपी हाईकोर्ट ने डॉक्टर की लापरवाही पर क्या दिया नया फैसला

एक दिन पहले ही मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि चिकित्सकीय इलाज में लापरवाही का केस डॉक्टर्स के विशेषज्ञ पैनल की सिफारिश के आधार पर ही दर्ज हो सकता है. कटनी के एक डॉक्टर के खिलाफ दर्ज एफआईआर निरस्त कर दी गई. हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने पाया कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते समय डॉक्टर्स की विशेषज्ञ समिति से रिपोर्ट प्राप्त नहीं की. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए एकलपीठ ने डॉक्टर के खिलाफ दर्ज एफआईआर तथा जिला न्यायालय में लंबित प्रकरण को खारिज करने के आदेश जारी किए. दरअसल, पथरी के इलाज में लापरवाहीपूर्वक इंजेक्शन लगाने का आरोप मरीज ने लगाया. मरीज के लंबे चले इलाज के बाद पैर कटवाना पड़ा था.

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