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एडीए की तत्कालीन उपायुक्त समेत 6 लोगों के खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज, यह है प्रकरण

अजमेर में एसीबी ने सरकार को राजस्व हानि पहुंचाने के मामले में 6 लोगों को खिलाफ मामला दर्ज किया है.

Case Against 6 by ACB Ajmer
6 लोगों के खिलाफ एसीबी में मामला दर्ज (ETV Bharat Ajmer)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 8, 2024, 8:38 PM IST

अजमेरः सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाने के मामले में अजमेर की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्पेशल यूनिट चौकी में तत्कालीन उपायुक्त समेत 6 जनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इसमें आरोप है कि आरोपियों ने मिलीभगत करके व्यवसायिक भूमि का शुल्क वसूलने की बजाय आवासीय शुल्क वसूलकर सरकार को 2 लाख 10 हजार रुपए की चपत लगाई है.

अजमेर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की स्पेशल यूनिट चौकी में निरीक्षक दीनदयाल ने बताया कि 2017 को परिवादी ने शिकायत दी थी. मामले आरएएस अधिकारी एवं एडीए में तत्कालीन उपायुक्त दीप्ति शर्मा, तत्कालीन सहायक नगर नियोजक नवनीत कुमार शर्मा, कनिष्ठ प्रारूपकार संविदा कर्मी गुरजीत सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है. साथ ही कनिष्ठ सहायक करण सिंह, लाभार्थी जयपुर में जगतपुरा क्षेत्र निवासी देवेंद्र सिंघल और सरला देवी सिंघल के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ है। मामले में एसीबी का अनुसंधान जारी है.

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निरीक्षक दीनदयाल ने बताया कि जांच में सामने आया है कि थोक तेलियान के खसरा नंबर 118 में स्थित 221.67 वर्ग गज क्षेत्रफल के भूखंड सड़क से 50 फीट की दूरी पर है. आरोपियों ने उसे व्यवसायिक भूखंड नहीं मानकर रिहायशी भूखंड का शुल्क लाभार्थी से वसूल किया. इसके लिए लाभार्थी से झूठा शपथ पत्र और भूखंड स्थल की फोटो लेकर उसके आधार पर नक्शा भी जारी कर दिया.

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नियमों का किया उल्लंघनः उन्होंने बताया कि 18 सितंबर 2003 को राज्य सरकार की ओर से आनासागर सर्कुलर रोड की 120 फीट चौड़ी सड़क के बीच से 60 फीट सुनिश्चित करने के नियमों का उल्लंघन किया. साथ ही सड़क के बीच से 50 फीट मानकर नक्शा स्वीकृत कर दिया, जो राज्य सरकार के परिपत्र का उल्लंघन है. नियमों को ताक में रखकर लाभार्थी को फायदा पहुंचाया गया, जबकि अजमेर विकास प्राधिकरण के कनिष्ठ सहायक करण सिंह ने लाभार्थी पक्ष को 4 सितंबर 2015 को भूखंड की लीज डीड 2002 में ही जारी होना मानकर उसे वैध मानकर टिप्पणी की थी.

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षड्यंत्र कर वसूली आवासीय राशिः उन्होंने बताया कि आरोपियों ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए लाभार्थी को फायदा पहुंचाने के लिए षडयंत्रपूर्वक भूखंड के फोटोग्राफ्स और झूठा शपथ पत्र के जरिए व्यावसायिक भूखंड को आवासीय भूखंड बताया. साथ ही 1 लाख 87 हजार 382 राशि लाभार्थी से वसूल की, जबकि भूखंड की लीज डीड 2015 में ही जारी हो गई थी. मास्टर प्लान में भूखंड की मौका रिपोर्ट व्यवसायिक थी. लिहाजा लाभार्थी से 3 लाख 97 हजार 817 राशि वसूलनी थी.

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