नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अलग-अलग विभागों से संबंधित CAG की कुल 14 लंबित रिपोर्ट को लेकर विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल कानूनी सलाह लेने के बाद कोई कार्यवाही करेंगे. सीएजी रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिए विपक्ष लगातार मांग कर रहा है. मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है. पिछली सुनवाई में दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि सभी रिपोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सौंप दी गई है. अब विधानसभा अध्यक्ष को कोर्ट में अपना पक्ष रखना है. इस पर सबकी नज़रें टिकी हुई है.
सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत करने के लिए सत्र बुलाई जाए या और क्या विकल्प हो सकते हैं, इस पर निर्णय लेने के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने कानूनी सलाह लेने की बात कही है. मामले की सुनवाई आठ जनवरी को हाईकोर्ट में होगी. जिसमें विधानसभा अध्यक्ष को भी अपना जवाब देना है. ऐसे में उन्होंने कानूनी सलाह लेकर नोटिस का जवाब कोर्ट को देने की बात कही है.
''विधानसभा की बैठक सरकार द्वारा कैबिनेट में निर्णय लेने के बाद ही बुलाई जाती है. लेकिन अब मामला कानूनी हो गया है, सीएजी रिपोर्ट को लेकर हाईकोर्ट में मामला विचार अधीन है. ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इस मामले में कानूनी सलाह लेना ही एक विकल्प है. क्योंकि वे भी इसमें जल्दबाजी नहीं करना चाहते हैं. इस मामले में सरकार और विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका क्या होगी? उनके क्या अधिकार हैं? इस पर कोर्ट को जवाब देना है. तो कानूनी सलाह ही एकमात्र विकल्प बनता है. जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष अपना जवाब भेज सकेंगे. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष चाहे तो इस मामले में अपने विशेष अधिकारियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.''- ओमेश सहगल, पूर्व मुख्य सचिव, दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार द्वारा लंबित कैग की रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत करने को लेकर विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता लंबे समय से मांग कर रहे हैं. पिछले दिनों संपन्न हुई विधानसभा सत्र के दौरान भी इस बात को जोर-शोर से उठाया था. बीजेपी के तमाम विधायकों ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन भी किया था. मगर उनकी मांगे नहीं मानी गई. जिसके बाद बीजेपी विधायक ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सख्त आदेश देने की मांग की है.