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भिलाई के सुपेला डिपो में खड़ी बसें हुई कबाड़, फिर से चलाने का प्रशासन कर रहा दावा - durg bhilai City bus Service

Buses become junk भिलाई के सुपेला डिपो में सिटी बसें खड़े-खड़े कबाड़ हो चुकी हैं. 50 से ज्यादा बसें इस हाल में नहीं की दोबारा चल सके.फिर भी प्रशासन ये दावा कर रहा है कि आने वाले दिनों में सिटी बसों का संचालन पहले की ही तरह होगा.अब ये कैसे होगा इसका जवाब डिपो में खड़ी बसों की तस्वीरें दे रही हैं.durg bhilai City bus Service

Buses become junk
सुपेला डिपो में खड़ी बसें हुई कबाड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jul 15, 2024, 5:12 PM IST

दुर्ग :केंद्र सरकार ने अर्बन ट्रांसपोर्ट योजना के तहत सस्ते ट्रांसपोर्ट के लिए सिटी बस की योजना दुर्ग जिले में भी शुरू की थी. लेकिन दुर्ग भिलाई और धमधा क्लस्टर को मिलाकर 115 सिटी बस संचालन करने की योजना पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई है. श्री दुर्गाबा प्राइवेट समिति के भरोसे शासन ने सिटी बस का संचालन शुरू किया था.लेकिन समिति ने सारी बसों को कंडम कर दिया. आज हालात ये हैं कि सुपेला बस डिपो में सारी बसें कबाड़ बनते जा रही हैं. लगभग 24.35 करोड़ रुपए की लागत से 115 सिटी बस का संचालन होना था.

सुपेला डिपो में खड़ी बसें हुई कबाड़ (ETV Bharat Chhattisgarh)

70 बसें दुर्ग जिले में हुईं संचालित :केंद्र सरकार ने ग्रामीण इलाकों को शहर से जोड़ने तथा सस्ते दर पर आवागमन के लिए दुर्ग भिलाई अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट समिति वर्ष 2014 में गठित की थी. दुर्ग भिलाई और धमधा क्लस्टर मिलाकर लगभग 115 सिटी बस का संचालन होना था. परंतु 70 बस ही दुर्ग जिले में आ सकी. इनके संचालन के लिए राज्य शासन एवं केंद्र सरकार ने संयुक्त रूप से राशि का आवंटन किया था. लगभग 24 करोड़ 35 लाख रुपए की लागत से परिवहन योजना शुरू हुई थी.

क्या था सरकार का उद्देश्य :सरकार का मुख्य उद्देश्य दुर्ग ग्रामीण के लोगों को शहर से जोड़ना पहली प्राथमिकता थी. इस उद्देश्य के लिए यातायात परिवहन सेवा शुरू की गई थी,. जिससे सस्ते दर पर ग्रामीण अंचल के लोगों को शहरी क्षेत्र के पोस्ट ऑफिस, बैंक, स्कूल, कॉलेज एवं अस्पताल के आवागमन में सुविधा मिल सके. लेकिन ये योजना दो साल में ही फ्लॉप हो गई. जिस एजेंसी को ये काम दिया गया था उस एजेंसी ने सारी बसों को कंडम कर दिया.

क्या है बसों की हालत ?:एजेंसी ने बसों को चलाने के बजाए उन्हें सुपेला डिपो में लाकर खड़ा कर दिया.कोविड काल के दौरान बसों के ज्यादातर सामान चोरी हो गए.वहीं जो बसें बचीं रहीं वो मेंटनेंस ना होने के कारण दोबारा नहीं चालू हो सकी. इस बारे में जब जिम्मेदारों से सवाल पूछे गए तो उनका कहना था कि शासन के पास बसों को चलाने के लिए प्रतिवेदन भेजा गया है. स्वीकृति मिलने के बाद सारी बसों को पहले की ही तरह चलाया जाएगा.

''पिछले दिनों 10 बस चालू की गई थी.जिनमें से चार बसें चल रहीं हैं. बाकी बसों को चलाने के लिए राज्य शासन को प्रतिवेदन भेजा गया है. जैसे ही स्वीकृति मिलती है, वैसे ही बस को चलाया जाएगा.''- अजय शुक्ला, जनसंपर्क अधिकारी भिलाई नगर निगम

वहीं स्थानीय लोगों को कहना है कि सिटी बस नहीं चलने से हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं स्टूडेंट्स भी बसें नहीं चलने से परेशान हैं.

''मुझे हमेशा कॉलेज जाना पड़ता है. पेट्रोल बहुत महंगा है. डेली बाइक में जाना संभव नहीं है. सिटी बस चलते समय कोई दिक्कत नहीं होती थी. राज्य सरकार से निवेदन है कि जल्द जल्द से सिटी बस चालू कराया जाए,ताकि स्टूडेंट और आम जनता को राहत मिल सके.''गौरव यादव,स्टूडेंट


आपको बता दें कि साल 2015 में बीजेपी शासन में मुसाफिरों को कम पैसे में सफर कराने के लिए सिटी बसों की शुरुआत हुई थी. तीन सालों तक तक ये सिटी बसों ने फर्राटा भरा.लेकिन कोविड के दौरान बसें सुपेला डिपो में खड़ी हो गईं.जहां 50 से ज्यादा बसें सड़ चुकी हैं.इस दौरान अफसरों के कान में बसों को लेकर किसी तरह की जूं तक नहीं रेंगी. आज किसी बस में पहिया है तो इंजन नहीं. किसी में इंजन है तो सीट नहीं . जिसको जहां मौका मिला बस के पुर्जे पुर्जे अलग कर ले गया.अब एक बार फिर निगम प्रशासन चिर निंद्रा से जागा है.जिसके बाद बसों को फिर से शुरु करने की बात की जा रही है.

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