बुरहानपुर: महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिले बुरहानपुर में मुंबई और पुणे की तर्ज पर गणेश उत्सव मनाया जाता है. यहां 10 दिवसीय गणेश उत्सव की धूम है. इस बार युवाओं ने 750 स्थानों पर सार्वजनिक गणेश पंडालों में बप्पा को विराजित किया है. इस साल 250 समितियों ने आकर्षक व अलग अलग मुद्राओं में गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित की हैं. इसी कड़ी में नागझिरी वार्ड स्थित श्रीराम नवयुवक सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति के दो युवकों ने केले के रेशे से ईको फ्रेंडली गणेश जी बनाकर विराजित किया है.
केले के फल, रेशे से बनाए ईको फ्रेंडली गणेश जी
उन्होंने केले के पौधे से गणेशजी की मूर्ति बनाई है. इसमें केलों से मुंह और सूंड, केले के तने से हाथ और पैर, तो केले के कंद से कान बनाए हैं. केले से बने पत्तल दोने से सजावट की है. इन दिनों यह प्रतिमा शहर में आकर्षण व जनचर्चा का विषय बन गई है. बड़ी संख्या में भक्त दूर दराज से गणेशजी के दर्शन के लिए पहुंच रहे है.
प्रतिमा बनाने में लगे 8 दिन, दे रही प्रेरणादायक संदेश
बता दें कि, रूपेश प्रजापति और अश्विन नवलखे ने केले के पौधे से रेशे व कंद निकाल कर, प्लाश के पत्तों का इस्तेमाल कर गणेशजी की प्रतिमा बनाई है. इसके लिए उन्हें 8 दिन का समय लगा है. उन्हें इस प्रतिमा को बनाने में 4 से 5 हजार की लागत लगी है. आश्विन और रूपेश ने अपनी रचनात्मक सोच से लोगों को जल प्रदूषण व वायु प्रदूषण नहीं करने के साथ साथ फिजुल खर्ची रोकने के उद्देश्य से ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति बनाकर प्रेरणादायक संदेश दिया है.
9 साल से ईको फ्रेंडली गणेश बना रहा श्रीराम नवयुवक मंडल
श्रीराम नवयुवक मंडल के रूपेश प्रजापति 22 वर्षों से गणेश जी की प्रतिमा बैठा रहे हैं. लेकिन पिछले नौ साल से ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति बनाकर स्थापित कर रहे हैं. दरअसल नौ साल पहले इसकी प्रेरणा एक गणेश मंदिर में बर्तन से बनी गणेश जी की मूर्ति देखकर मिली. तबसे रूपेश अपने दोस्त अश्विन की मदद से खुद ईको फ्रेंडली गणेश जी बनाकर स्थापित करते आ रहे हैं. वह इन नौ वर्षों में बर्तन, नदी की मिट्टी, मसालों, फल फ्रुट्स सहित विभिन्न धागों से गणेश जी की प्रतिमाएं बना चुके हैं.