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केले से बने गणपति बप्पा भक्तों का मोह रहे मन, पर्यावरण का संदेश दे रही ईको फ्रेंडली प्रतिमा - BURHANPUR UNIQUE GANESH IDOL - BURHANPUR UNIQUE GANESH IDOL

देश में हर तरफ गणेश उत्सव की रौनक देखने को मिल रही है. जगह-जगह पंडालों में बप्पा की प्रतिमाएं विराजमान हैं. लेकिन बुरहानपुर में केले के पेड़ से बनी गणेश जी की मूर्ति लोगों का आकर्षित कर रही है. श्रीराम नवयुवक मंडल के युवाओं द्वारा बनाई गई गणपति बप्पा की प्रतिमा लोगों को खास संदेश भी दे रही है.

Ganesh ji made from banana tree in Burhanpur
बुरहानपुर में ईको फ्रेंडली गणेश जी विराजमान (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 9, 2024, 2:01 PM IST

बुरहानपुर: महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिले बुरहानपुर में मुंबई और पुणे की तर्ज पर गणेश उत्सव मनाया जाता है. यहां 10 दिवसीय गणेश उत्सव की धूम है. इस बार युवाओं ने 750 स्थानों पर सार्वजनिक गणेश पंडालों में बप्पा को विराजित किया है. इस साल 250 समितियों ने आकर्षक व अलग अलग मुद्राओं में गणेश जी की प्रतिमाएं स्थापित की हैं. इसी कड़ी में नागझिरी वार्ड स्थित श्रीराम नवयुवक सार्वजनिक गणेश उत्सव समिति के दो युवकों ने केले के रेशे से ईको फ्रेंडली गणेश जी बनाकर विराजित किया है.

बुरहानपुर में केले के पेड़ से बने गणेश जी (ETV Bharat)

केले के फल, रेशे से बनाए ईको फ्रेंडली गणेश जी
उन्होंने केले के पौधे से गणेशजी की मूर्ति बनाई है. इसमें केलों से मुंह और सूंड, केले के तने से हाथ और पैर, तो केले के कंद से कान बनाए हैं. केले से बने पत्तल दोने से सजावट की है. इन दिनों यह प्रतिमा शहर में आकर्षण व जनचर्चा का विषय बन गई है. बड़ी संख्या में भक्त दूर दराज से गणेशजी के दर्शन के लिए पहुंच रहे है.

प्रतिमा बनाने में लगे 8 दिन, दे रही प्रेरणादायक संदेश
बता दें कि, रूपेश प्रजापति और अश्विन नवलखे ने केले के पौधे से रेशे व कंद निकाल कर, प्लाश के पत्तों का इस्तेमाल कर गणेशजी की प्रतिमा बनाई है. इसके लिए उन्हें 8 दिन का समय लगा है. उन्हें इस प्रतिमा को बनाने में 4 से 5 हजार की लागत लगी है. आश्विन और रूपेश ने अपनी रचनात्मक सोच से लोगों को जल प्रदूषण व वायु प्रदूषण नहीं करने के साथ साथ फिजुल खर्ची रोकने के उद्देश्य से ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति बनाकर प्रेरणादायक संदेश दिया है.

9 साल से ईको फ्रेंडली गणेश बना रहा श्रीराम नवयुवक मंडल
श्रीराम नवयुवक मंडल के रूपेश प्रजापति 22 वर्षों से गणेश जी की प्रतिमा बैठा रहे हैं. लेकिन पिछले नौ साल से ईको फ्रेंडली गणेश जी की मूर्ति बनाकर स्थापित कर रहे हैं. दरअसल नौ साल पहले इसकी प्रेरणा एक गणेश मंदिर में बर्तन से बनी गणेश जी की मूर्ति देखकर मिली. तबसे रूपेश अपने दोस्त अश्विन की मदद से खुद ईको फ्रेंडली गणेश जी बनाकर स्थापित करते आ रहे हैं. वह इन नौ वर्षों में बर्तन, नदी की मिट्टी, मसालों, फल फ्रुट्स सहित विभिन्न धागों से गणेश जी की प्रतिमाएं बना चुके हैं.

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पर्यावरण संरक्षण की दिशा में छोटा सा कदम
गौरतलब है कि बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए रूपेश प्रजापति और अश्विन नवलखे ने अनोखी पहल की है. एक किस्से से प्रेरित होकर उनके नजरिए में बदलाव आया है. उनका कहना है कि ताप्ती शुद्धिकरण के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया जाता है, लेकिन जब प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमाएं नदी में विसर्जित करेंगे तो यह अभियान कैसे कारगर सिद्ध होगा. इससे प्रेरित होकर मैंने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में छोटा सा कदम उठाया है. करीब 9 वर्षों से इको फ्रेंडली गणेशजी बैठाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने की कोशिश जारी है. इन 9 वर्षों में कई लोग इस मुहिम से जुड़कर नजरिया बदल चुके हैं. सैकड़ों लोगों ने घरों में मिट्टी के ईको फ्रेंडली गणेशजी बैठा शुरू किया है.

संस्था से प्रेरित हुए लोग, घर में बैठाए फ्रेंडली गणेश जी
भक्त गौरी शर्मा का कहना है कि, "रूपेश ने 9 वर्षों से इको फ्रेंडली गणेशजी बैठा कर लोगों के अंदर पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का बीड़ा उठाया है. उनकी इस पहल ने लोगों के नजरिए में व्यापक बदलाव लाया है. उनसे प्रेरित होकर हम भी अपने घरों में इको फ्रेंडली गणेशजी बैठा रहे हैं.

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