बुरहानपुर: ऐतिहासिक शहर प्राचीन काल से ही गंगा-जमुनी तहजीब के लिए देशभर में मशहूर है. यहां हिंदू और मुस्लिम समाज के त्यौहारों में अक्सर हिंदू मुस्लिम कौमी एकता की मिसाल देखने को मिलती है. इस बार रक्षाबंधन पर्व को लेकर फरजाना शेख, शमीम, मरजीना सहित 24 मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से करीब 2000 ईको फ्रेंडली राखियां बनाई है, जो रक्षा बंधन पर हिंदू भाईयों की कलाई पर बांधेंगी. इस राखी को बांधकर बहने अपने भाईयों से उनकी रक्षा का वचन मांगेगी. यह राखी न केवल भाईयों के कलाई की शोभा बढ़ाएगी, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अनुकूल साबित होंगी.
बुरहानपुर में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर फतेहपुर गांव में 7 समूहों की 150 महिलाएं राखियां बना रही हैं. खास बात यह है कि इसमें 24 महिलाएं मुस्लिम है, जो अपने हाथों से हिंदू-भाईयों के कलाई के लिए राखी बना रही है. अब महिलाएं घरेलू जिम्मेदारियां निभाने के साथ ही आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काफी आगे निकल चुकी हैं, आजीविका मिशन से जुड़कर महिलाएं इको फ्रेंडली राखियां तैयार कर रही हैं, इन राखियों को बनाने में केले के तने से निकाले गए रेशों व अन्य प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग किया गया है.
ईको फ्रेंडली राखियां बना रहीं महिलाएं
देखने में आकर्षक और इको फ्रेंडली होने के कारण इनकी डिमांड भी बढ़ी है, करीब डेढ़ सौ महिलाओं ने अब तक 5000 से ज्यादा राखियां तैयार कर ली है. खास बात यह है कि इसमें मुस्लिम महिलाएं शामिल हैं. इसी तरह अन्य गांव में भी महिलाएं राखियां बना रही हैं. बीते 2 वर्षों से हर रक्षा बंधन पर यह काम किया जाता है, अब इस राखी की डिमांड आसपास के जिलों से भी आने लगी है. टीम लीडर खुशबू तिवारी का कहना है कि 'पहले समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया और अब उनके द्वारा बनाई गई राखियों को बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है.'