पौड़ी: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बुरांस और फ्यूंली या फ्योंली के फूलों का समय से पहले खिलना एक गंभीर पर्यावरणीय विषय बनता जा रहा है. हर साल की तरह इस बार भी बुरांस के फूल फरवरी माह में ही खिलते हुए दिखाई देने लगे हैं. वनस्पति वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह सब हो रहा है. इससे प्राकृतिक चक्र में असामान्य बदलाव देखे जा रहे हैं. एक तरफ इन फूलों का खिलना लोगों के लिए खुशी की बात है, तो वहीं वनस्पति वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए यह चिंता का विषय है. क्योंकि यह पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत हो सकता है.
बुरांस और फ्यूंली के फूल आमतौर पर गर्मी के मौसम में खिलते हैं, लेकिन कुछ वर्षों से यह बदलाव देखने को मिल रहा है कि ये फूल फरवरी महीने में ही खिलने लगे हैं. यह वनस्पतियों पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाता है जो प्राकृतिक तंत्र को बाधित कर रहा है.
वनस्पति वैज्ञानिक विक्रम सिंह का मानना है किजलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण वनस्पतियों के जीवन चक्र में इस तरह के असामान्य बदलाव भविष्य में और अधिक बढ़ सकते हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है. यदि यह स्थिति यूं ही बनी रही, तो आने वाले समय में इसका प्रभाव पर्यावरण और स्थानीय जीव-जंतुओं पर भी पड़ सकता है.