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उत्तराखंड में अप्रैल की जगह फरवरी में ही खिलने लगे बुरांस और फ्योंली, पर्यावरणविदों ने जताई चिंता - BURANS AND FYONLI FLOWERS

बुरांस, फ्योंली के फूल आमतौर पर गर्मी में खिलते हैं, मौसम में बदलाव की वजह से इनका पहले खिलना चिंता का विषय बन गया है.

burans and Fyonli flowers bloomed in pauri in February-
ग्लोबल वार्मिंग का दिख रहा असर (SOURCE: ETV BHARAT)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 4, 2025, 1:56 PM IST

Updated : Feb 4, 2025, 2:14 PM IST

पौड़ी: उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में बुरांस और फ्यूंली या फ्योंली के फूलों का समय से पहले खिलना एक गंभीर पर्यावरणीय विषय बनता जा रहा है. हर साल की तरह इस बार भी बुरांस के फूल फरवरी माह में ही खिलते हुए दिखाई देने लगे हैं. वनस्पति वैज्ञानिकों का कहना है कि मौसम परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण यह सब हो रहा है. इससे प्राकृतिक चक्र में असामान्य बदलाव देखे जा रहे हैं. एक तरफ इन फूलों का खिलना लोगों के लिए खुशी की बात है, तो वहीं वनस्पति वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए यह चिंता का विषय है. क्योंकि यह पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत हो सकता है.

बुरांस और फ्यूंली के फूल आमतौर पर गर्मी के मौसम में खिलते हैं, लेकिन कुछ वर्षों से यह बदलाव देखने को मिल रहा है कि ये फूल फरवरी महीने में ही खिलने लगे हैं. यह वनस्पतियों पर पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाता है जो प्राकृतिक तंत्र को बाधित कर रहा है.

बुरांस और फ्योंली के फूल (SOURCE: ETV BHARAT)

वनस्पति वैज्ञानिक विक्रम सिंह का मानना है किजलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण वनस्पतियों के जीवन चक्र में इस तरह के असामान्य बदलाव भविष्य में और अधिक बढ़ सकते हैं, जिससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ सकता है. यदि यह स्थिति यूं ही बनी रही, तो आने वाले समय में इसका प्रभाव पर्यावरण और स्थानीय जीव-जंतुओं पर भी पड़ सकता है.

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के चलते पौड़ी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम के बदलने के कारण इस बार बर्फबारी में भी कमी देखी जा रही है और इस साल ठंड भी अपेक्षाकृत कम महसूस हुई है. यह स्थिति वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए एक चिंता का विषय बन रही है. पौड़ी में पहले जहां सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी होती थी, अब इसमें भी कमी आ रही है. बर्फबारी का घटना न सिर्फ पर्यावरणीय संतुलन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि क्षेत्र की जलवायु, कृषि और जल स्रोतों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. बर्फबारी से मिलने वाला पानी गर्मियों के दौरान जल स्रोतों को भरता था जो खेती की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलता था. अब इस पानी की कमी का असर गर्मियों में स्थानीय जीवन और कृषि पर साफ दिखाई देने लगा है.

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Last Updated : Feb 4, 2025, 2:14 PM IST

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