लखनऊ: उत्तर प्रदेश की नौ सीटों पर 20 नवंबर को उपचुनाव होना है. निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के मुताबिक 18 नवंबर की शाम तक ही प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार प्रसार किया जा सकता है. ऐसे में अब सिर्फ प्रचार के पांच ही दिन शेष रह गए हैं. ज्यादातर राजनीतिक दलों ने प्रचार प्रसार में पूरी ताकत झोंक रखी है. बड़े नेता मैदान में उतरकर उम्मीदवारों के पक्ष में माहौल बना रहे हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता इस प्रचार प्रसार से दूर हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने यूपी की इन नौ सीटों में से एक भी सीट पर किसी प्रत्याशी के पक्ष में कोई जनसभा नहीं की है. यहां तक कि पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर और बीएसपी सुप्रीमो के भतीजे आकाश आनंद तक किसी उम्मीदवार के पक्ष में माहौल बनाने नहीं उतरे. बड़े नेताओं की बेरुखी से उम्मीदवारों का मनोबल पर असर पड़ रहा है और वे अकेले अपने दम पर माहौल बनाने में जुटे हैं.
सभी 9 सीटों पर उतारे प्रत्याशी, 40 स्टार प्रचारक :BSP ने यूपी की सभी नौ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं. पार्टी ने इन नौ सीटों पर प्रचार के लिए कुल 40 स्टार प्रचारकों की सूची तो जारी कर दी है,लेकिन अब तक धरातल पर कोई भी बड़ा नेता प्रचार करने नहीं पहुंचा है. बीएसपी प्रत्याशी अपने दम पर ही चुनाव लड़ रहे हैं. इस उपचुनाव में बसपा को भाजपा, सपा के साथ ही आजाद समाज पार्टी भी चुनौती दे रही है. आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाले हुए हैं. बीएसपी सुप्रीमो मायावती महाराष्ट्र और झारखंड में तो उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रही हैं, लेकिन यूपी में अभी तक उनकी कोई रैली नहीं हुई है. हरियाणा चुनाव के बाद पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने भी अभी तक यूपी के लिए कोई रैली या जनसभा नहीं की है. प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कुछ सीटों पर जरूर प्रचार किया है, लेकिन कोई भी बड़ा नेता उपचुनाव में एक्टिव नजर नहीं आ रहा है.
आजाद समाज पार्टी दे रही चुनौती:विधानसभा उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने अकेले चुनावी मैदान में उतरी है. बसपा ने दो मुस्लिम, चार सवर्ण, दो ओबीसी और एक दलित प्रत्याशी पर दांव लगाया है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने जिस तरह से अपने उम्मीदवार उतारे हैं, उन पर गौर करें तो सपा से ज्यादा भाजपा की मुश्किलें लग रही हैं. हालांकि बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेताओं के मैदान में न उतरने से अन्य पार्टियों की राहें आसान ही हो रही हैं. बीएसपी के प्रत्याशियों को तो आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी ही चुनौती देने लगे हैं.