एमसीबी के साजा पहाड़ में अंग्रेजों के जमाने का स्टॉप डैम, फिर भी पानी के लिए हाहाकार - MCB Saja Pahad People water Problem
एमसीबी जिला के नगर निगम चिरमिरी के साजा पहाड़ में ब्रिटिश कालीन स्टॉप डैम बना हुआ है. यहां डैम होने के बावजूद लोगों को पानी के लिए जूझना पड़ रहा है. सालों से यहां के लोग विकास की राह देख रहे हैं.
मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: नगर पालिक निगम चिरमिरी में 40 वार्ड हैं. चिरमिरी नगर पालिका निगम को बने 22 साल बीत चुका है. हालांकि यहां के 40 वार्डों में लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है, जिसके लिए कहीं ना कहीं प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही चुने गए जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं. बात अगर चिरमिरी नगर निगम के वार्ड क्रमांक 1 साजा पहाड़ की करें तो, यहां के रहने वाले साफ पीने के पानी के लिए आज भी तरस रहे हैं.
ब्रिटिश कालीन स्टाप डैम होने के बावजूद पेयजल संकट (ETV Bharat)
गंदा पानी पीने को मजबूर वार्डवासी:जहां एक ओर साजा पहाड़ के लोग नाली का गंदा पानी पीकर गुजर बसर कर रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर निगम प्रशासन टैंकर का हवाला दे रहे हैं. निगम प्रशासन का कहना है कि हम वहां पर पेयजल के लिए अस्थाई तौर पर टैंकर सुविधा भेजते हैं. इस वार्ड में सड़के भी हैं तो कच्ची वो भी दुर्गम प्रकृति निर्मित. यही कारण है कि यहां के लोगों को आवागमन में भी दिक्कतें होती है.साजा पहाड़ के घने जंगलों के बीच ब्रिटिश कालीन एक जलाशय बना हुआ है, जिसकी दीवारें वज्र की तरह मजबूत है. साथ ही जलाशय से कुछ दूरी पर ब्रिटिश कालीन टंकी भी बनी हुई है, लेकिन दुर्भाग्य है कि जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम प्रशासन उस जलाशय का उपयोग कर पाने में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे.
जानिए क्या कहते हैं वार्डवासी: वार्ड के लोगों का कहना है, "ब्रिटिश कालीन जलाशय को यदि प्रशासन संचालित कर देता है तो पानी की समस्या का समाधान हो सकता है. सबसे बड़ी बात है कि ब्रिटिश कालीन जलाशय की दीवारें आज भी इतनी मजबूती के साथ खड़ी है, जिसे देखकर महसूस होता है कि उस समय की तकनीकी और इंजीनियरिंग कितनी बेहतरीन रही होगी."
जनप्रतिनिधि ने नहीं दिया ध्यान:साल 2015-16 में नगर पालिका निगम के तत्कालीन महापौर के डमरु रेड्डी और अविभाजित कोरिया जिला के कलेक्टर नरेंद्र दुग्गा ने जलाशय का निरीक्षण भी किया. यहां के लोगों को जलाशय के जरिए आसपास के लोगों को स्वच्छ पेयजल के साथ कृषि कार्य के लिए पानी की सुविधा मिल सकती थी, जिसको लेकर जल संसाधन विभाग भी ब्रिटिश कालीन जलाशय का निरीक्षण किया, लेकिन उस समय के महापौर के डमरु रेड्डी के कार्यकाल का अंतिम दौर था. इसके साथ ही कलेक्टर नरेंद्र दुग्गा का स्थानांतरण होने के साथ यह पूरी परियोजना बंद फाइलों में दबकर रह गई. कोई भी जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दिए. यही कारण है कि आज भी साजा पहाड़ के रहवासी पेयजल के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.
जनप्रतिनिधियों के अनदेखी का शिकार हो रहे वार्डवासी: नगर पालिक निगम चिरमिरी के कमिश्नर राम प्रसाद अचला का कहना है, "वार्ड में पेयजल के लिए पानी का टैंकर भेजा जाता है, लेकिन साजा पहाड़ के दुर्गम रास्तों से लोगों तक टैंकर पहुंच ही नहीं पाएगा, क्योंकि वहां सड़क ही नहीं बनी है." कुल मिलाकर प्रशासनिक अधिकारियों और चुने गए जनप्रतिनिधियों के अनदेखी का शिकार हो रहा साजा पहाड़ के लोग सड़क और पानी की समस्या से जूझ रहे हैं.