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अंग्रेजों ने जिस पुल को 17 लाख में बनाया, उसे 150 साल बाद तोड़ने में लगेंगे 30 करोड़ - KANPUR SHUKLAGANJ BRIDGE

कानपुर के उम्र पूरा कर चुके जर्जर पुल की कहानी; अंग्रेजों के जमाने में ईस्ट इंडिया कंपनी के इंजीनियरों ने 7 साल 4 महीने में पुल को बनाया था, जो कानपुर को उन्नाव से जोड़ता था. नवंबर 2024 में पुल अपने आप टूट गया था, जिसके बाद इसे पूरी तरह से तोड़ने का एस्टीमेट तैयार हुआ है.

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अंग्रेजों के जमाने में बना कानपुर-शुक्लागंज पुल. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 10, 2024, 11:42 AM IST

Updated : Dec 10, 2024, 11:52 AM IST

उन्नाव: यूपी के उन्नाव में गंगा नदी पर स्थित ब्रिटिश कालीन पुल को अब पूरी तरह से हटाने का निर्णय ले लिया गया है. इसके लिए अनुमानित 30 करोड़ रुपये का भारी-भरकम खर्च आएगा. यह खर्च पुल की समय पर मरम्मत न कराने की वजह से उठाना पड़ रहा है. पुल, जिसे 1874 में अवध एंड रुहेलखंड लिमिटेड कंपनी द्वारा बनाया गया था, 150 सालों से खड़ा था और यातायात के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी था.

रेजीडेंट इंजीनियर एसबी न्यूटन और एसिस्टेंट इंजीनियर ई वेडगार्ड के डिजाइन से बना यह पुल 800 मीटर लंबा था और 100 साल की मियाद के साथ तैयार किया गया था. 2021 में इसमें दरारें आने लगीं, जिससे इसे यातायात के लिए बंद करना पड़ा था. विशेषज्ञों ने उसी समय पुल की मरम्मत का प्रस्ताव रखा था, जिसकी लागत मात्र 1.90 करोड़ रुपये थी.

मरम्मत के प्रस्ताव को किया गया नजरअंदाज:वर्ष 2021 में दिल्ली स्थित सीआरआरआई के विशेषज्ञों ने पुल का निरीक्षण कर मरम्मत के सुझाव दिए थे. लेकिन, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इसे नजरअंदाज कर दिया. इसके कुछ ही महीने बाद, नवंबर 2021 में पुल का एक स्पैन गंगा नदी में गिर गया. इसके बाद स्थिति इतनी बिगड़ गई कि पुल को दोबारा उपयोग में लाने की संभावना समाप्त हो गई.

अंग्रेजों के जमाने में निर्माण पर आया था 17 लाख रुपए का खर्च:बता दें कि ईस्ट इंडिया कंपनी के इंजीनियरों ने 1874 में इस पुल को 7 साल 4 महीने में 17 लाख खर्च करके बनाया था. मैस्कर घाट पर प्लांट लगाया गया था. अंग्रेजों ने यातायात के लिए इस पुल का निर्माण कराया था. फिर 1910 में इसी पुल के करीब ही ट्रेनों के संचालन के लिए एक रेलवे ब्रिज बनवाया था.

कानपुर-शुक्लागंज पुल को तोड़ने में आएगा 30 करोड़ का खर्च:रोजाना 22 हजार चौपहिया-दोपहिया समेत 1.25 लाख लोग इस पुल से गुजरते थे. 12 मीटर चौडाई और 1.38 किलोमीटर के पुल पर लोगों का आवागमन होता था. अब पुल को पूरी तरह हटाने के लिए 25 से 30 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते मरम्मत का काम किया जाता, तो इतनी बड़ी आर्थिक और प्रशासनिक चुनौती से बचा जा सकता था.

यातायात और जाम की समस्या:पुल के बंद होने से उन्नाव में यातायात व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ा है. वैकल्पिक मार्गों की व्यवस्था पर्याप्त नहीं होने के कारण भारी जाम की समस्या सामने आ रही है. स्थानीय निवासियों और यात्रियों को गंभीर असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है.

जनता की नाराजगी:इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश है. विभाग की लापरवाही और समय पर मरम्मत न कराने की नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं. यदि मरम्मत का काम समय पर कर दिया जाता, तो ना केवल करोड़ों रुपए बचते, बल्कि यातायात की समस्या भी टल सकती थी.

प्रशासन के सामने चुनौती:अब प्रशासन के सामने पुल को हटाने और वैकल्पिक व्यवस्था करने की चुनौती है. यह मामला विभागीय लापरवाही और कमजोर योजना का प्रतीक बन गया है. सवाल यह है कि क्या भविष्य में ऐसी त्रुटियों से बचने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे या इतिहास फिर खुद को दोहराएगा.

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Last Updated : Dec 10, 2024, 11:52 AM IST

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