लातेहारः जिले के सुकरी नदी पर पुल बनने के बाद लगभग दो दर्जन से अधिक गांव की तस्वीर बदल गई है. पूर्व में डीही, मुरूप, नेवाड़ी, अम्बाझारन आदि गांव पहुंचने में ग्रामीणों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी. नदी पर पुल नहीं रहने से कई गांव तक गाड़ी भी नहीं पहुंच पाती थी. ऐसे में सुकरी नदी पर बना पुल अब इलाके के ग्रामीणों के लिए वरदान साबित हो रहा है. अब ग्रामीणों को जिला मुख्यालय पहुंचने में परेशानी नहीं होती है. आवागमन के बेहतर संसाधन मिलने से ग्रामीणों का जीवन आसान हो गया है. साथ ही इससे विकास के रास्ते भी खुलने लगे हैं.
कई गांव टापू में हो जाते थे तब्दील
लातेहार के डीही, मुरुप, नेवाड़ी, अम्बाझारन, धोबिया झारन, मंगरा, पतरातू समेत दो दर्जन से अधिक गांव के ग्रामीणों का जीवन सुकरी नदी पर पुल बनने के बाद काफी आसान हो गया है. कुछ वर्ष पूर्व तक जब इस नदी पर पुल का निर्माण नहीं हुआ था तो यहां के ग्रामीणों को लातेहार जिला मुख्यालय जाने के लिए सोचना पड़ता था. गर्मी के दिनों में जब नदी में पानी नहीं होता था तो ग्रामीण किसी प्रकार आवागमन कर लेते थे, लेकिन बरसात के दिनों में पूरा इलाका टापू में तब्दील हो जाता था. वहीं आवागमन के बेहतर साधन नहीं रहने के कारण इलाके का विकास भी नहीं के बराबर हो पा रहा था.
विवाह के लिए रिश्ता भी आना था मुश्किल
सड़क और पुल के अभाव में ग्रामीणों की तकलीफ का आलम यह था कि इस इलाके में रहने वाले युवकों के विवाह के लिए रिश्ता आना भी मुश्किल हो गया था. रिश्ता लेकर जब कोई गांव पहुंचता था तो गांव तक पहुंचने में जर्जर सड़क और पुल के अभाव में इतनी परेशानी होती थी कि रिश्ता जुड़ने से पहले ही टूट जाता था.
आंदोलन के बाद पुल और सड़क का हुआ निर्माण
सड़क और पुल निर्माण के लिए ग्रामीणों के द्वारा लगातार कई वर्षों तक आंदोलन किया गया. इसके बाद सड़क और पुल का निर्माण पूरा हुआ. इस संबंध में ग्रामीण मुशर्रफ हुसैन, स्थानीय ग्रामीण कुलदीप राम आदि बताते हैं कि पुल निर्माण होने से उनका जीवन काफी आसान हुआ है. पुल नहीं रहने से बरसात के दिनों में पूरा गांव टापू के रूप में बदल जाता था. यदि कोई गांव से बाहर गया हो और बारिश हो गई तो फिर उसे व्यक्ति को बारिश रुकने के बाद नदी में पानी कम होने तक गांव के बाहर ही रहना पड़ता था. परंतु पुल निर्माण होने के बाद अब वे लोग आसानी से अपने गांव तक पहुंच पा रहे हैं.