नई दिल्ली:दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन के रूप में जिस साधन का सबसे अधिक इस्तेमाल होता है, वे हैं DTC की बसें. एक आंकड़े के अनुसार दिल्ली में रोजाना 40 लाख से अधिक लोग बसों में सफर करते हैं. दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन (डीटीसी) के पास जो बसें हैं उनमें से 90 फीसदी से अधिक 2022 में ही ओवरएज हो चुकी हैं. लेकिन इन बसों के संचालन की अवधि 2025 तक के लिए बढ़ा दी गई हैं. बसें चल तो रही हैं लेकिन कब और कहां खराब हो जाएं यह पता नहीं होता है. रोजाना हर रूट पर 100 से अधिक बसें खराब हो रही हैं. इससे न सिर्फ यात्री परेशान हैं बल्कि चालक और परिचालक भी परेशान हैं.
रास्ते में खराब हो जाती हैं बसें, नहीं बनता है इंसेंटिव
डीटीसी के चालक दिनेश कुमार का कहना है कि, "बसें पुरानी होने के कारण स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई है. बसें रास्ते में खराब हो जाती हैं तो पब्लिक हमारे साथ अभद्रता करती है. कई बार गाली गलौच करने लगते हैं. जबकि ये हमारी नहीं दिल्ली सरकार की गलती है, जो गाड़ियों की ये हालत हुई है. हर रोज बसें सभी रूटों पर खराब हो रही हैं लेकिन नई बसें नहीं लाई जा रही हैं.
डीटीसी के परिचालक दीपक ने कहा कि, "धौलाकुंआ से नोएडा सेक्टर 62 तक रूट की बस लेकर चलते हैं. बस बहुत ज्यादा पुरानी होने के कारण एसी सही ढंग से काम नहीं करता है. सवारियों को परेशानी होती है."
डीटीसी के चालक नौशाद ने बताया कि, "वह 14 साल से बस चला रहा हैं. बसें इसलिए भी काम नहीं कर रहे हैं क्योंकि सीट से ज्यादा लोग बस में सवार हो जाते हैं. हम किसी को बस में बैठाने से मना नहीं कर सकते हैं. बस आए दिन खराब हो जाती है. इससे इंसेंटिव नहीं मिलता है सिर्फ 816 रुपये दिहाड़ी ही मिलती है.
इसलिए ड्यूटी पर नहीं आ रहीं महिला चालक
डीटीसी में महिलाएं बस चलाक महिला सशक्तिकरण का संदेश दे रहीं हैं. लेकिन आज स्थिति यह है कि वह बस नहीं चलाना चाहती हैं. बस चालक सरिता ने का कहना है कि वह ड्यूटी पर इसलिए नहीं आ रही हैं क्योंकि रोजाना उनकी बस एक या दो ट्रिप में खराब हो जाती थी. इससे इंसेंटिव नहीं बनता है. कई बार बस ऐसी जगह खराब हो जाती हैं, जहां पर पानी नहीं मिलता, बाथरूम तक जाने की व्यवस्था नहीं होती है. बस छोड़कर जा नहीं सकते हैं. ऐसे में वह परेशान हैं और ड्यूटी पर नहीं आ रही हैं.