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ब्रज की होली 2024: बरसाना में लट्ठमार होली में बरसेगा टेसू का रंग, तैयार किया जा रहा कई क्विंटल नेचुरल कलर

Mathura ब्रज में होली (Holi of Braj)बसंत पंचमी के दिन से ही शुरू हो जाता है. लेकिन बरसाना की लट्ठमार होली (Barsana Lath Maar Holi) की बात ही कुछ ओर है. जिसकी तैयारी भी जोर- शोर की जा रही है. कई क्विंटल टेसू के रंग (several quintals of tesu colors) तैयार किए जा रहे हैं. लट्ठमार होली देखने के लिए देश और दुनिया भर से लाखों लोग बरसाना पहुंचते हैं.

Lathmar Holi in Barsana with natural colors
बरसाना में लट्ठमार होली नेचुरल कलर के साथ

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 9, 2024, 4:02 PM IST

बरसाना में तैयार हो रहे टेसू के रंग

मथुरा:भगवान श्रीकृष्ण की नगरी ब्रज में होली की धूम मची है. मंदिरों से लेकर बरसाना की गलियां तक होली के रंग से सराबोर हैं. 18 मार्च को लट्ठमार होली खेलने के लिए मंदिर परिसर में कई क्विंटल टेसू के फूलों को भिगो कर रंग तैयार किए जा रहे हैं. लट्ठमार होली खेलने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. इस दिन बरसाना की गलियों में नजरा देखने लायक होता है. इस अनोखी होली को देखने के लिए कई देशों से विदेशी पर्यटक बरसाना पहुंचते हैं.

बसन्त पंचमी से होली की शुरुआत: ब्रज में बसंत पंचमी के दिन से रंगोत्सव का आगाज शुरू हो जाता है. जिले के अलग-अलग मंदिरों में होली के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं. मंदिरों में कहीं लड्डू की होली होती है, तो कहीं फूलों की और रंगों की विश्व विख्यात बरसाना में लट्ठमार होली के रंग भी देखने को मिलता है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु होली का आनंद लेने के लिए मथुरा पहुंचते हैं.

टेसू के फूल से बनाये जा रहे नेचुरल कलर:मध्य प्रदेश के शिवपुरी, भिंड और मुरैना से कई क्विंटल टेसू के फूल को मंगाए जाते हैं. फिर टेसू के फूलों से तैयार होते हैं हर्बल कलर. इसी नेचुरल कलर का इस्तेमाल होली के त्यौहार पर किया जाता है. ब्रज के मंदिरों में एक महीने पहले ही टेसू के फूलों से रंग बनाने की तैयारी शुरू हो जाती है. क्विंटलों की तादात में इन फूलों को पानी से भरे बड़े बड़े ड्राम में डाल दिया जाता है. जिसमें अद्भुत कलर आता है, यह रंग इतना पक्का होता है कई दिनों तक शरीर से छूटता नहीं है. लेकिन त्वचा को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता.

द्वापर युग से खेली जा रही होली:कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा और राधाजी की जन्म स्थली बरसाना में क्रीड़ा स्थली गोकुल, लीला स्थली वृंदावन में होली का अद्भुत आनंद और नजारा देखने को मिलता है. बरसाना में लट्ठमार होली खेलने के लिए नंद गांव के हुरियारे और बरसाना की हुरियारने प्रेम भाव की लाठियां बरसाते हैं. करीब 5000 सालों से होली ब्रज में खेली जा रही है. बरसाना में लट्ठमार होली खेलने के बाद दूसरे दिन बरसाना के हुरियारे ओर नंद गांव की हुरियारने नंद चौक पर लठमार होली खेलते हैं.

ब्रज में किस दिन कहां होली का आयोजन:

14 मार्च - कृष्ण की कीड़ा स्थल रमन रेती आश्रम में होली
17 मार्च - बरसाना के राधा रानी मंदिर में लड्डू मार होली
18 मार्च - बरसाना में लठ्ठमार होली
19 मार्च - नंद गांव में लठ्ठमार होली
20 मार्च - रंगभरनी एकादशी श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर परिसर में लठमार होली, शहर की द्वारकाधीश मंदिर और बांके बिहारी मंदिर में रंगों की होली
21 मार्च - गोकुल में छड़ीमार होली
24 मार्च - होलिका दहन, फालेन गांव की होली
26 मार्च - धुलेंडी रंगों की होली
27 मार्च - दाऊजी का हुरंगा बलदेव
27 मार्च - जाब का हुरंगा गांव जाब
27 मार्च - चरकुला मुखराई
31 मार्च - महावन में होली
2 अप्रैल - श्रीरंग जी मंदिर में होली वृन्दावन

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