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नहीं रहे शेखावाटी के प्रखर दलित नेता काका सुंदरलाल, कांग्रेस के गढ़ में सात बार लहराया था कमल का निशान - Dalit Leader Sundarlal No More

शेखावाटी के प्रखर दलित नेता और सात बार के विधायक सुंदरलाल काका का निधन हो गया है. उन्होंने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान आखिरी सांस ली. वे सात बार झुंझुनू के पिलानी और सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे थे. 92 वर्ष की उम्र में सुंदर लाल काका ने शुक्रवार सुबह इस दुनिया को अलविदा कह दिया. आज दोपहर 2 बजे पैतृक गांव बुहाना के पास कलवा में अंतिम संस्कार होगा.

Dalit Leader Sundarlal  No More
नहीं रहे शेखावाटी के प्रखर दलित नेता काका सुंदरलाल (Photo ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 13, 2024, 9:32 AM IST

Updated : Sep 13, 2024, 10:02 AM IST

जयपुर: शेखावाटी में दलित समाज के प्रखर नेता सुंदरलाल काका का निधन हो गया है. उन्होंने कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले शेखावाटी में भाजपा के पैर जमाने में अहम योगदान दिया था. अपनी ठेठ राजस्थानी छवि और हाजिर जवाबी के कारण उन्हें राजनीतिक हलको में अलग ही मुकाम हासिल था. जिस दौर में भारतीय जनता पार्टी के पास दलित नेतृत्व का भाव था, उस वक्त में सुंदरलाल काका ने दलित समाज के बीच भारतीय जनता पार्टी की जड़ें मजबूत करने का काम किया था. बीते दो हफ्ते से उन्हें तबीयत नासाज होने पर सवाई मानसिंह अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. यहां आईसीयू में उनका इलाज चल रहा था. इलाज के दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने अस्पताल पहुंचकर काका की मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से फोन पर बात भी करवाई थी. बड़ी संख्या में भाजपा नेता लगातार काका से मिलने अस्पताल पहुंच रहे थे. काका के निधन से भाजपा को बड़ा झटका लगा है.

काका सुंदरलाल के निधन पर सीएम ने जताया दुख :सीएम भजनलाल शर्मा ने काका सुंदरलाल के निधन पर दुख व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि पूर्व कैबिनेट मंत्री, राजस्थान भाजपा के वयोवृद्ध नेता आदरणीय श्री सुन्दरलाल "काका" जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है. उनका देवलोकगमन भाजपा परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है. परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना है कि उनकी पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणो में स्थान एवं परिवारजनों को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करें.

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काका का था लंबा राजनीतिक अनुभव: शेखावाटी में काका सुंदरलाल जनाधार वाले नेता माने जाते थे, वे क्षेत्र के अकेले ऐसे नेता थे, जो कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों से विधायक रहे. राजस्थान विधानसभा में सुंदरलाल काका सात बार के विधायक रहे थे. वे झुंझुनूं के सूरजगढ़ और पिलानी विधानसभा क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे. उन्हें राजस्थान सरकार में दो बार बतौर कैबिनेट मंत्री, एक बार राज्य मंत्री और एक बार संसदीय सचिव के रूप में कार्य करने का भी मौका मिला. वह अनुसूचित जाति आयोग के भी अध्यक्ष रहे थे.

2018 में की थी चुनाव से दूरी: साल 2018 में सुंदरलाल काका ने खराब सेहत का हवाला देकर विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था, लेकिन उनके हर दल के नेताओं के साथ अच्छे संबंध थे. एससी आयोग के अध्यक्ष रहे काका ने एक दौर में दलित वर्ग के मेघवाल समाज को भाजपा के साथ लाने का काम किया था.

भाजपा में शोक की लहर:उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा ने भी पूर्व मंत्री सुंदरलाल काका के निधन पर शोक जताया है. बैरवा ने कहा कि उनके राजनीति और समाजिक क्षेत्र में किए गए योगदानों को हमेशा याद रखा जाएगा. इस दुःख की घड़ी में शोक संतप्त परिवार, समर्थकों और सभी प्रशंसकों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं.

22 अगस्त को मनाया था अपना 92वां जन्मदिन : सुंदरलाल काका को फेफड़ों में इंफेक्शन और सांस लेने में तकलीफ के कारण 24 अगस्त को जयपुर में अस्पताल में भर्ती करवाया गया था. इसके कुछ दिन बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई थी और वे जयपुर में अपने आवास पर रह रहे थे. 22 अगस्त को ही उन्होंने अपना 92वां जन्मदिन मनाया था.

1972 में पहली बार बने विधायक :1972 में वे पहली बार कांग्रेस के टिकट से झुंझुनू जिले की सूरजगढ़ विधानसभा सीट से विधायक बने. इसके बाद कभी निर्दलीय, तो कभी कांग्रेस से विधानसभा में पहुंचे, लेकिन फिर 2003 में भाजपा के टिकट से जीते. भाजपा से ही 2018 तक विधायक रहे. 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से उन्होंने बेटे कैलाश मेघवाल के लिए टिकट मांगा और पार्टी ने जब टिकट नहीं दिया तो रोने लगे थे. बाद में बेटे ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए.

पंच से बड़ी पंचायत तक सफर :सुंदरलाल काका का जन्म 22 अगस्त, 1933 को झुंझुनू जिले की बुहाना तहसील के कलवा गांव में हुआ था. बेहद साधारण परिवार में जन्मे सुंदरलाल के पिता झुंथाराम खेती करते थे. 1964 में उन्होंने पंचायत समिति सदस्य के चुनाव से राजनीति की शुरुआत की और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा. इसके बाद वे सात बार विधायक रहे और राज्य सरकार में मंत्री भी बने. उन्होंने कुल दस बार विधानसभा चुनाव लड़ा, जिनमें तीन बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वहीं, पहली बार 1972 में सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक बने थे. इसके बाद सूरजगढ़ से पांच बार और पिलानी से तीन बार विधायक चुने गए.

काका का सियासी करियर

  • 1964 : पंचायत समिति सदस्य
  • 1972-77 : सूरजगढ़ से विधायक (कांग्रेस)
  • 1980-85 : सूरजगढ़ से विधायक (निर्दलीय)
  • 1985-90 : सूरजगढ़ से विधायक (कांग्रेस)
  • 1993-98 : सूरजगढ़ से विधायक (निर्दलीय)
  • 2003-08 : सूरजगढ़ से विधायक (भाजपा)
  • 2004-05: सदस्य, अनुसूचित जाति कल्याण समिति
  • 2003-08: सूरजगढ़ से विधायक (भाजपा)
  • 2008-13 : पिलानी से विधायक (भाजपा)
  • 2013-18 : पिलानी से विधायक (भाजपा)
  • 1985-89 : अनुसूचित जाति कल्याण समिति में सभापति
  • 1993-98 : सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति में सदस्य
  • 1998 : चार महीने के लिए ऊर्जा एवं मोटर गैराज राज्य मंत्री
  • 1989-90: मुख्यमंत्री सचिवालय में संसदीय सचिव
  • 2007 : राज्य अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष
  • 2015 : राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष
Last Updated : Sep 13, 2024, 10:02 AM IST

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