भोपाल। सीएम पद की शपथ लेने के बाद से ही डॉ. मोहन यादव की यात्रा शेड्यूल में पार्टी की ओर से यूपी जोड़ दिया गया था. सीएम मोहन यादव ने भी यूपी के आजमगढ़ से अपना 450 साल पुराना नाता निकाल कर ये बता दिया कि एमपी की सत्ता में बेशक हैं, लेकिन जड़ें यूपी तक फैली हैं. अब लोकसभा चुनाव के दौरान भी बीजेपी उम्मीदवार के समर्थन में सभा को पहुंचे मोहन यादव के जरिए बीजेपी समाजवादी पार्टी के कोर वोटर में अपनी जगह मजबूत कर रही है. जाहिर है कि इस बार के लोकसभा चुनाव के नतीजे एमपी के साथ यूपी में भी मोहन यादव का लिटमस टेस्ट होंगे.
सीएम मोहन यादव की परीक्षा यूपी में भी
यूपी में भी मोहन की परीक्षा बीजेपी जिस रणनीति के साथ सत्ता की राह पर बढ़ रही है, उसमें हर चुनाव के पीछे पूरा गणित होता है. मोहन यादव ने अगर सत्ता संभालते ही यूपी का दौरा किया तो ये इत्तेफाक नहीं था. मोहन यादव इस मकसद से पहुंचाए गए कि वो कैसे और कितना समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव को नुकसान पहुंचा सकते हैं. एमपी के सीएम डॉ. मोहन यादव ने पहला यूपी कनेक्ट बताया. बताया कि आजमगढ़ से साढे़ चार सौ साल पुराना रिश्ता है. फिर ये बताया कि क्यों यादवों की तरक्की के लिए उनका किसी एक परिवार से बाहर आना जरूरी है. बीच चुनाव में भी अगर मोहन यादव राजगढ लोकसभा और ग्वालियर लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों का नामांकन दाखिल कराने के बाद मैनपुरी में बीजेपी के उममीदवार जयवीर सिंह के समर्थन में सभा करने पहुंचे तो ये बीजेपी का यादव कार्ड ही है.
समाजवाजी पार्टी के गढ़ में मोहन यादव
मैनपुरी में पार्टी के मुख्य चुनाव कार्यालय का उद्घाटन मोहन यादव के हाथों हो और फिर उन्होने समाजवादी पार्टी के गढ़ सैफई का भी दौरा किया. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं "असल में चुनाव के दौरान मोहन यादव का यूपी पहुंचाया जाना बीजेपी का ये संदेश है कि कैसे कभी बनियों बामनों की पार्टी में पिछड़े और खासतौर पर यादव निर्णायक पदों तक पहुंचाए गए. हालांकि बीजेपी पिछड़ों की राजनीति में अलग-अलग वर्गों को मौका देकर इसे यादव से आगे पहुंचाया है . लेकिन समाजवादी पार्टी और यादव परिवार का चूंकि यूपी में खास प्रभाव है तो यादव की काट के लिए यादव ही पहुंचाए गए."