जबलपुर: हाई कोर्ट जस्टिस विनय सराफ की एकलपीठ ने आदेश देकर में कहा है "आवेदन की अंतिम तिथि के पूर्व में बने बीपीएल का लाभ ही अभ्यार्थियों को मिल सकता है. याचिकाकर्ता यह साबित करने में असफल रही कि आवेदन तिथि से पूर्व उनका नाम बीपीएल सूची में दर्ज था. इसलिए उसे अतिरिक्त 10 अंक का लाभ प्रदान नहीं किया जा सकता." एकलपीठ ने इस आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया.
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता भर्ती का मामला
मामले के अनुसार रीवा निवासी लक्ष्मी शुक्ला की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया "एकीकृत बाल विकास अधिकारी ने आंगनवाडी केन्द्र गौरी सहित अन्य केंद्र में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पद के लिए 16 अक्टूबर 2016 को विज्ञापन जारी किये थे. विज्ञापन की शर्तों के अनुसार आवेदन की अंतिम तिथि 27 अक्टूबर थी. आंगनवाडी केन्द्र गौरी के लिए उसने तथा अनावेदक शशिकला कुशवाह ने आवेदन किया था. इसका रिजल्ट जारी होने के बाद 7 दिन के अंदर उसने आपत्ति पेश करते हुए कहा था कि उसे बीपीएल वर्ग की उम्मीदवार होने के कारण 10 अतिरिक्त अंक का लाभ प्रदान नहीं किया गया."
नियुक्ति के बाद विरोध में लगाई याचिका
याचिकाकर्ता ने बताया "इसके बाद 24 अप्रैल 2017 को प्रकाशित अंतिम सूची में उसका स्थान प्रथम था. इसके बाद 27 अप्रैल को नियुक्ति प्रदान कर दी गयी. उसकी नियुक्ति को चुनौती देते हुए आयुक्त रीवा के समक्ष अपील दायर की गई थी. आयुक्त रीवा ने बीपीएल उम्मीदवार होने के कारण प्रदान किये गये अंक को निरस्त कर दिया. इस कारण याचिका दायर की गयी है." याचिका की सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने पाया "याचिकाकर्ता के नाम उसकी जेठानी के बीपीएल कार्ड में जुड़ा हुआ है. जेठानी के समग्र आईडी में उसका नाम 27 फरवरी 2017 को जुड़ा."
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हाई कोर्ट ने निरस्त की याचिका
इसके अलावा याचिकाकर्ता इस संबंध में कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सकी कि उसका नाम आवेदन की अंतिम तिथि से पूर्व बीपीएल श्रेणी में जुड़ा था. हाईकोर्ट ने साफ किया "आवेदक को बीपीएल श्रेणी का लाभ तभी मिलता है, जब उसका नाम आवेदन की अंतिम तिथि से पूर्व जुड़ा हो." सुनवाई के बाद एकलपीठ ने याचिका निरस्त कर दी.