भोपाल। आप किसी सांसद का पांच बरस का कार्यकाल याद करें तो आपके जहन में क्या आएगा, जाहिर है कि अपनी संसदीय सीट के लिए किया गया उनका काम. लेकिन, भारत में एक सांसद ऐसी भी हुई हैं जिनका काम काज नहीं पांच साल जिनके बयानों के चर्चे रहे. सांसद के काम काज का उल्लेख होता भी है तो जगहों के नाम बदलवाने को लेकर होता है. पांच साल में सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 36 सवाल संसद में पूछे. लेकिन उनके सवालों से ज्यादा सुने गए उनके वो विवादित बयान जो एक के बाद एक आए और बीजेपी के लिए मुसीबत बनते गए. ये तय है कि बीजेपी इस बार प्रज्ञा ठाकुर को टिकट देने का भूल सुधार हर हाल में करेगी.
पांच साल का हिसाब, बयान से आगे क्या दिया....
भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर संभवत: भारत की अकेली सांसद होंगी जिनके पांच साल के कार्यकाल में उनके काम काज का जिक्र बाद में आता है, लेकिन उनके विवादित बयानों की फेहरिस्त पहले आती है. चुनाव प्रचार के दौरान ही प्रज्ञा ठाकुर ने टीजर दे दिया था और गोडसे को देशभक्त बता दिया था. बयानों की लंबी फेहरिस्त है जिसमें वे एटीएस चीफ हेमंत करकरे को श्राप देने की बात कह चुकी हैं. फिर उन्होंने बयान दिया था कि वे अयोध्या के विवादित ढांचे को गिराने में शामिल रही थीं. इसके बाद तो उन पर कार्यवाही भी हुई और चुनाव आयोग ने 72 घंटे के लिए उनके चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी थी. गोडसे के बयान को लेकर तो पीएम मोदी ने भी नाराजगी जताई थी.
सांसद की सीख घर के चाकू तेज़ रखो...
सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने महात्मा गांधी को राष्ट्र पुत्र का संबोधन दिया था. बीजेपी की एक शोक सभा में तो उनके एक बयान से सन्नाटा खिंच गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें एक महाराज जी ने कहा कि बुरा समय चल रहा है इसलिए अपनी पूजा बढ़ाइये. उन्होंने बीजेपी नेताओं पर विपक्ष मारक शक्ति का प्रयोग करने को कहा था. इसके बाद जो आखिरी बयान उनका बहुत ज्यादा चर्चित रहा उसमें उन्होंने कर्नाटक में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि था कि सब्जी काटने वाले चाकू को तेज करने की जरुरत है. प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि अपने घर में हथियार रखना चाहिए, कुछ नहीं तो सब्जी काटने वाला चाकू ही तेज रखो पता नहीं कब कैसे हालात से सामना हो.
पांच साल सांसद जी केवल नाम बदलती रही