मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

क्या किनारे कर दिए गए बुंदेलखंड के ये दिग्गज, बहुत कुछ बयां करती गोपाल भार्गव की ये पोस्ट - Bundelkhand BJP Politics - BUNDELKHAND BJP POLITICS

बुंदेलखंड में बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं की पार्टी से नाराजगी क्या अब भी खत्म नहीं हुई है. सागर में हुई इन्वेस्टर्स समिट से पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की जल्द रवानगी के सियासी गलियारों में चर्चे हैं. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पूर्व मंत्री इस बड़े आयोजन के बीच से ही क्यों चले गए. चर्चा पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिह को लेकर भी है. उनकी मौजूदगी भी इस कार्यक्रम में खास नहीं दिखी.

BUNDELKHAND BJP POLITICS
गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह एक ही वाहन में (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 28, 2024, 5:37 PM IST

भोपाल।गोपाल भार्गव की सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को लेकर भी अर्थ निकाले जा रहे हैं. जिसमें उन्होने लिखा "राजनीति और पद आपको अगर मान सम्मान देते हैं तो आपसे बहुत कुछ छीन भी लेते हैं."तो क्या क्या गोपाल भार्गव का राजनीति से मोह भंग हो चुका है. मुद्दा केवल इन्वेस्टर्स समिट का ही नहीं है. इस आयोजन में भी गोपाल भार्गव ज्यादा देर नहीं रुके. बताया जा रहा है कि मंच पर जो बैठक व्यवस्था थी, उसमें वरिष्ठता के क्रम का ध्यान नहीं रखा गया, जिसे लेकर मंत्रियों ने अघोषित रूप से नाराजगी जताई और बीच में ही कार्यक्रम से रवाना हो गए.

गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह एक ही वाहन में

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर चर्चा में है जिसमें पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री भूपेन्द्र सिंह एक साथ बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं. दरअसल, सागर में हुई बुदेलखंड इन्वेस्टर्स समिट से ये दोनों नेता एक साथ रवाना हुए. इस पूरी समिट में मंच पर बुंदेलखंड से मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और विधायक शैलेन्द्र जैन ही दिखाई दिए. इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं "बुंदेलखंड की राजनीति लंबे वक्त तक इन दो दिग्गज नेताओं के इर्द गिर्द ही रही है. लेकिन बदली हुई बीजेपी की तस्वीर आप इसे कह सकते हैं जिसमें ये दो दिग्गज ही दिखाई नहीं दे रहे. दोनों ने अपने ढंग से अपना एतराज भी दर्ज करा दिया है, ऐसा कहा जा सकता है."

नाती-पोतों को स्कूल लेने पहुंचे गोपाल भार्गव (ETV BHARAT)

क्या गोपाल भार्गव का राजनीति से मोह भंग हो गया

जिस दिन सागर में ये बड़ा आयोजन हुआ. उस दिन गोपाल भार्गव ने अपने नाती-पोतों के साथ की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की. वे उन्हे स्कूल लेने पहुंचे. एक तरफ तो इस तस्वीर के साथ उन्होने ये बताया कि वे किस तरह से फारिग हैं. दूसरा उन्होंने इस तस्वीर के साथ सोशल मीडिया पर ये लिखा "राजनीति और पद यदि आपको मान सम्मान देते हैं तो आपसे बहत कुछ छीन भी लेती है." गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक भार्गव ने भी इस पोस्ट के साथ लिखा "उनके पिता कभी उन्हे स्कूल लेने नहीं पहुंचे. लेकिन अपने नाती-पोते को स्कूल लेने पहुंचे."

नाती-पोतों को स्कूल से लेने पहुंचे गोपाल भार्गव

गोपाल भार्गव अपनी पोस्ट में लिखते हैं "भोर होते ही बच्चों को तैयार कर स्कूल छोड़ने तथा बाद में वापस लाने का आनंद और अनुभव बहुत ही अलग होता है, जिसका आज मुझे पहली बार एहसास हुआ. आज सागर में मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मुझे सम्मिलित होना था. सागर के ही एक स्कूल में मेरा नाती आशुतोष पहली कक्षा में पढ़ता है. सुबह स्कूल जाते समय उसने मुझसे कहा- दादू आप सागर जा रहें हैं. लौटते समय मुझे स्कूल से लेते आना, मैंने कहा ठीक है. समय मिला तो तुम्हे साथ ले आऊंगा. कार्यक्रम से फुर्सत होते ही जीवन में पहली बार बच्चे को लेने स्कूल पहुंचा."

ALSO READ :

मोहन मंत्रिमंडल का हिस्सा बनें ये विधायक, बिना रूके 110 किमी की पदयात्रा कर रहे समर्थक

घर बैठे नेताओं के मंत्री बनने की आस, कहीं यूपी के केशव मौर्य जैसे ना बन जाएं हालात?

गोपाल भार्गव ने राजनीति की मजबूरियां बताईं

गोपाल भार्गव लिखते हैं "स्कूल की छुट्टी होते ही बाहर निकलते मुझे देख आशुतोष मुझसे आकर लिपट गया. मेरे 71 साल के जीवन में यह पहला अनुभव था, क्योंकि मैं कभी अपने पुत्र अभिषेक और तीनों बेटियों को बचपन में एक बार भी कभी स्कूल भेजने या लेने नहीं गया, न ही कभी साथ घुमाने ले गया. अवकाश या जन्मदिन उस समय कोई जानता ही नहीं था. राजनीति के कठोर धरातल पर चलते हुए परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं लगभग शून्य हो चुकी थी. इस बीच आज एक हल्का सा पारिवारिक एहसास हुआ. मैं सन 1974 में जयप्रकाश जी के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन के माध्यम से राजनीति में आया था तथा इस वर्ष सक्रिय राजीनीति में मुझे पूरे 50 वर्ष हो चुके हैं."

ABOUT THE AUTHOR

...view details