पटनाःनियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी बनने के लिए सक्षमता परीक्षापास करना है. साक्षमता परीक्षा के लिए आवेदन फॉर्म भरने की प्रक्रिया 1 फरवरी से शुरू हो गई है. लेकिन साक्षमता परीक्षा के कई प्रावधानों से नियोजित शिक्षकों को काफी आपत्ति है. भाजपा एमएलसी जीवन कुमार ने सक्षमता परीक्षा के प्रावधान में संशोधन की मांग को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखा है.
बीजेपी एमएलसी ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्रःजीवन कुमार ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों को स्थानांतरण की बात कही जा रही है और तीन जिलों के ऑप्शन उनसे मांगे गए हैं. 50 वर्ष से अधिक की आयु में शिक्षकों का स्थानांतरण उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षक किसी परीक्षा से नहीं डरते हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदेश में सरकार भी चाहती है और नियोजित शिक्षक हो या कोई शिक्षक सभी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना चाहते हैं. लेकिन सक्षमता परीक्षा के कई प्रावधान है जिसमें सुधार की आवश्यकता है.
वरिष्ठ शिक्षकों को होगी स्थानांतरण में समस्याःजिन शिक्षकों की सेवा 2 से 5 साल तक बची हुई है, उनसे यह कहना कि अब आप किसी अन्य जिले में जाकर सेवा दें अनुचित है. लंबे समय तक शिक्षक एक जगह पर रहकर अपनी सेवा देते हुए अपना एस्टेब्लिशमेंट कर चुके हैं. बाल बच्चे परिवार के साथ सेटल हो गए हैं. उनके लिए यह गंभीर समस्या है. ऐसे शिक्षकों के ऊपर वित्तीय बोझ भी बढ़ जाएगा. जो नौजवान शिक्षक हैं उन्हें दूसरे जिला में जाने से समस्या नहीं होगी, लेकिन वरिष्ठ शिक्षकों को उन्हीं के विद्यालय में राज्य कर्मी के तौर पर पदस्थापन की व्यवस्था करनी चाहिए.
"अतिथि शिक्षकों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. उन्हें नौकरी से बाहर करने के निर्णय को वापस लिया जाए. उनके लिए भी कोई प्रावधान किया जाए. अतिथि शिक्षकों को 11 महीने के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर सरकार ने बहाली की थी और 6 से 8 साल तक की लंबी सेवा ली गई है. कई अतिथि शिक्षक इस सोच में थे कि सरकार उन्हें सरकारी कर देगी इसलिए अन्य जगह नहीं गए. अब उनकी अन्य नौकरियों की उम्र भी खत्म हो गई है"-जीवन कुमार, एमएलसी, भाजपा
बीपीएससी परीक्षा से कठिन सक्षमता परीक्षा: जीवन कुमार ने कहा कि प्रदेश में जब शिक्षकों की कमी थी, तब अतिथि शिक्षकों ने प्रदेश के शिक्षा के मोर्चे को संभाले रखा. ऐसे में इन अतिथि शिक्षकों के परिवार को ध्यान में रखते हुए भी सरकार को इनके समायोजन की व्यवस्था करनी चाहिए, क्योंकि इनकी संख्या 5000 से भी कम है. इसके अलावा सक्षमता परीक्षा का जो प्रावधान किया गया है वह बीपीएससी परीक्षा से भी अधिक कठिन है. इसमें नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है जिसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव है कि 90 अंक यदि कोई प्राप्त कर लेता है तो नॉर्मलाइजेशन में उसका अंक 75 से कम हो जाता है.
'नियोजित शिक्षकों की गुणवत्ता में कमी नहीं': साक्षमता परीक्षा जब सिर्फ क्वालीफाइंग है तो नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया हटाई जानी चाहिए और ऑनलाइन के बजाए ऑफलाइन मोड में परीक्षा का आयोजन होना चाहिए. नियोजित शिक्षकों की गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं है क्योंकि प्रथम चरण की बहाली में फॉर्म भरने वाले 95% नियोजित शिक्षक और द्वितीय चरण की बहाली में 80% नियोजित शिक्षक उत्तीर्ण हुए हैं. उन्हें उम्मीद है कि उनके पत्र पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विचार करते हुए सक्षमता परीक्षा के प्रावधान में संशोधन का अधिकारियों को निर्देश देंगे.
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