भोपाल। बीस साल बाद एमपी बीजेपी संगठन और सरकार के बीच समन्वय के साथ जो नया प्रयोग होने जा रहा है. आखिर उसकी वजह क्या है. 2003 में जब बीजेपी में कप्तान सिंह सोलंकी मंगठन महामंत्री थे. उस समय मंत्रियों को कार्यकर्ताओं की शिकायतें सुनने बीजेपी मुख्यालय में भी दो दिन बिठाया जाता था. अब नई व्यववस्था में जो सोमवार और मंगलवार का दिन बीजेपी के विधायकों को भोपाल बुलाया जा रहा है. सवाल ये है कि बीजेपी में अचानक लिए गए इस कॉल की वजह क्या है. इसी मंगलवार से ये व्यवस्था शुरु होने जा रही है.
48 घंटे राजधानी में ही रहें माननीय..माजरा क्या है
एमपी में अमूमन चुनाव के दौरान फूटने वाले गुस्से को क्या बीजेपी संगठन और सरकार ने इस बार समय से बहुत पहले ही साध लिया है. विधायकों की नाराजगी अमूमन इस बात को लेकर होती है कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. पिछले दिनों जो संभागवार बैठकें हुई. उसमें भी इसी तरह की शिकायतें आई. इस बार क्या समय से पहले विधायकों की शिकायतों के समाधान की ये तैयारी है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, 'देखिए 2005 से अब तक देखें तो एमपी में बीजेपी सरकार का चेहरा कमोबेश एक सा ही रहा है. अब जब बदलाव हुआ है, तो महत्वपूर्ण बात ये है कि वो बदलाव दिखाई भी दे रहा है. हफ्ते में दो दिन विधायकों का राजधानी में रहना और अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को लेकर प्रयास करना. इस दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है. सीएम डॉ मोहन यादव ने निर्णय लेने में देर नहीं लगाई. अब हाथ के हाथ काम हो सके, उसका सिस्टम बना दिया गया है.'
सोमवार मंगलवार के दिन ही क्यों
डॉ मोहन यादव के साथ पूरे मंत्रिमण्डल और बीजेपी विधायकों के लिए आखिर सोमवार और मंगलवार को ही भोपाल में रहने की व्यवस्था क्यों की गई. सवाल ये भी है. वरिष्ठ पत्रकार पवन देवलिया कहते हैं, 'असल में मंगलवार को ही भोपाल में कैबिनेट की मीटिंग होती है. तो इस दिन विधायकों का मंत्रियों से मिलना सुलभ हो जाएगा. दूसरे सप्ताह की शुरुआत के दिन अधिकारियों से भी ये अपने काम के संबंध में चर्चा कर सकेंगे.