नई दिल्ली:दिल्ली विधानसभा के नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता के नेतृत्व में BJP विधायकों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से राजधानी में चल रहे संवैधानिक संकट में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की. प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को राष्ट्रपति से भेंट की और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए उन्हें एक ज्ञापन दिया. प्रतिनिधि मंडल में विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय महावर, अभय वर्मा, अनिल वाजपेयी, जितेंद्र महाजन, करतार सिंह तंवर और पूर्व मंत्री राजकुमार आनंद शामिल थे. इन्होंने राष्ट्रपति से संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मौजूदा AAP सरकार को बर्खास्त करने का आग्रह किया.
विपक्ष का मानना है कि राष्ट्रीय राजधानी में संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक मानदंडों के और अधिक पतन को रोकने के लिए राष्ट्रपति का तत्काल हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है. ज्ञापन में दिल्ली की पंगु हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था का मुद्दा उठाते हुए कहा गया कि आबकारी नीति घोटाले से संबंधित गंभीर भ्रष्टाचार के आरोपों में सीएम केजरीवाल चार महीने से अधिक समय से जेल में हैं. जेल में बंद होने के बावजूद केजरीवाल ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. इससे एक गंभीर स्थिति पैदा हो गई है. इसी कारण दिल्ली में प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. जिसका खामियाजा दिल्ली की जनता को भुगतना पड़ रहा है.
ज्ञापन में AAP सरकार द्वारा किए गए महत्वपूर्ण संवैधानिक उल्लंघनों का मुद्दा उठाते हुए कहा गया कि दिल्ली सरकार द्वारा छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन न करना इसकी विफलता है. आयोग का गठन जो अप्रैल 2021 से लंबित है, न करना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243-I और 243-Y का गंभीर उल्लंघन है, जिसके चलते दिल्ली के लिए वित्तीय योजनाओं और संसाधनों का आवंटन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. विशेष रूप से दिल्ली नगर निगम पर इसका व्यापक असर पड़ा है. इसके अलावा दिल्ली सरकार CAG की 11 रिपोर्ट्स को विधानसभा के सदन पटल पर रखने में बार-बार विफल रही है.
अपील में AAP सरकार के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं का भी विस्तृत ब्यौरा दिया गया है. करोड़ों रुपये का दिल्ली शराब घोटाला, जिसके कारण सीएम केजरीवाल समेत सरकार के शीर्ष मंत्रियों की गिरफ्तारी हुई है. दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं के हालिया खुलासे और 2021-22 और 2022-23 की इसकी बैलेंस शीट तैयार न होना जैसे मुद्दे इन समस्याओं की गंभीरता को दर्शाता है. इसके अलावा, दिल्ली सरकार पर केंद्र की कई कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में जानबूझकर बाधा डालने का आरोप है.