नई दिल्ली: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के सिविल लाइन स्थित अरविंद केजरीवाल द्वारा खाली किए गए सरकारी आवास में शिफ्ट होने को लेकर सियासी बवाल शुरू हो गया है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया है कि जिस सरकारी बंगले में रहने के लिए आतिशी ने आदेश जारी किया है, वह अभी पूरी तरह से लोक निर्माण विभाग को हैंडओवर ही नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि 4 अक्टूबर को दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकारी आवास खाली करने का शोऑफ किया है, वह आवास अभी तक पूरा खाली नहीं हुआ है. सिर्फ एक वीडियो जारी कर नाटक रचा गया.
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बंगले की चाबी लोक निर्माण विभाग के अधिकारी विजय कुमार को दी जानी चाहिए थी. मगर जैसा कि वीडियो में देखा अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल ने मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव प्रवेश रंजन झा को चाबी दे दी, जिनसे कुछ घंटे बाद फिर वापस ले ली गई. इस संबंध में लोक निर्माण विभाग का एक पत्र भी प्रवेश रंजन झा को भेजा गया है.
इसमें जिक्र है कि इस सरकारी आवास के कंस्ट्रक्शन को लेकर विजिलेंस जांच चल रही है और जब तक सभी कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक सरकारी आवास किसी को आवंटित नहीं किया जा सकता. यह पत्र 6 अक्टूबर को लिखा गया है और इसमें कहा गया है कि मुख्यमंत्री आवास की चाबियां उन्हें अभी तक हैंडोवर नहीं की गई है.
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भाजपा ने दिखाया अफसर का लेटरः वीरेंद्र सचदेवा ने लोक निर्माण विभाग द्वारा प्रवेश रंजन झा को लिखा एक पत्र जारी करके कहा है कि यह आश्चर्यजनक है कि अरविंद केजरीवाल ने अपने भ्रष्टाचार के प्रतीक 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित शीश महल बंगले को कभी खाली ही नहीं किया है. चार दिन पूर्व जो नौटंकी अरविंद केजरीवाल ने अपने माता-पिता का हाथ पकड़ कर बाहर निकलने की की, वह हम सब ने देखी लेकिन सरकारी नियमों के तहत उस शीश महल पर आज तक अरविंद केजरीवाल का कब्जा है. सचदेवा ने कहा कि 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास कोई मुख्यमंत्री आवास के रूप में आरक्षित बंगला नहीं है. वह एक कॉमन पूल बंगला है जिसका स्वामित्व लोक निर्माण विभाग के पास है. और उसके पुनर्निर्माण एवं विस्तार को लेकर एक सतर्कता विभाग जांच चल रही है.
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नियमों का दिया हवालाःसचदेवा ने कहा कि नियमानुसार सरकारी आवास खाली करके उसके मुख्य द्वार की चाबी लोक निर्माण के सेक्शन आफिसर विजय कुमार को सौंपी जानी थी. पर उनको चाबी केवल कैमरे पर दिखावे के लिए सौंपी गई और कुछ ही मिनट बाद चाबी मुख्यमंत्री कार्यालय के विशेष सचिव प्रवेश रंजन झा ने वापस ले ली. नियमानुसार जब भी कोई सरकारी बंगला खाली होता तो उसकी इन्वेंट्री बनती है, सही हालत मे बंगला मिला इसकी विडियोग्राफी होती है पर यहाँ ऐसा कुछ नही हुआ.
मात्र एक दिन बाद ही वर्तमान मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना ने बंगले का आवंटन खुद के लिए मांग लिया और आज कब्जा लेने का प्रयास भी किया जबकि 6 फ्लैग स्टाफ स्थित यह शीशमहल बंगला कोई मुख्यमंत्री के लिए आरक्षित बंगला नही है. दिल्ली की जनता यह नहीं समझ पा रही कि मुख्यमंत्री आतिशी आखिर इस शीशमहल का कौन सा सच छुपाना चाहती हैं जो वह मात्र एक दिन बाद ही बंगले का कब्जा लेने को उत्सुक हो गईं.
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