जयपुर.लोकसभा चुनाव भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. तपते जून माह में पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने बेरोजगारों के भत्ते का मुद्दा उठा कर सियासी पारे और चढ़ाने का काम किया है. गहलोत ने बेरोजगारी भत्ते के मामले को उठाया तो भाजपा ने भी इस पर तीखा पलटवार किया. भाजपा ने सवाल किया कि गहलोत ने अपने पांच साल के कार्यकाल में तो बेरोजगारों की सुध नहीं ली, लेकिन अब सत्ता से बाहर होते ही युवाओं को गुमराह करने के लिए राग अलाप रहे हैं. उन्हें अच्छी तरह से पता है कि प्रदेश में बनी भजनलाल सरकार किस तरह से युवाओं के लिए पहले दिन से काम कर रही है.
5 साल भत्ते के नाम पर भटकाया :भाजपा प्रदेश प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेरोजगारी भत्ते को लेकर दिए बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि पूर्व सीएम गहलोत को सत्ता से बाहर होने के बाद बेरोजगारों की याद आ रही है. 2018 में सत्ता पाने के लिए कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के समय अपने घोषणापत्र में प्रदेश के 30 लाख युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था. सत्ता में आने के बाद गहलोत सरकार ने बेरोजगारों के हितों पर कुठाराघात किया और प्रदेश के 28 लाख से अधिक बेरोजगारों को भत्ते के नाम पर भटकाया.
इसे भी पढ़ें -सीएम भजनलाल बोले- पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में जल जीवन मिशन में हुई भारी अनियमितता - CM Big Attacks On Gehlot
प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को भत्ते के नाम पर सरकारी कार्यालयों में इंटर्नशिप के लिए बुलाया गया और उन्हे भत्ते से भी वंचित रखा गया. भारद्वाज ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने पेपर लीक माफियाओं को सरंक्षण देकर प्रदेश के 70 लाख से अधिक युवाओं के सपनों पर पानी फेरने का काम किया. वहीं, प्रदेश में भजनलाल सरकार आने के बाद युवाओं के साथ न्याय हो रहा है और पेपर लीक माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. अभी तक पेपर लीक के मामलों में 100 से अधिक अपराधियों को पकड़कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज गया है.
बेरोजगारी दर 32.3 प्रतिशत पहुंची :लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने कहा कि अशोक गहलोत शायद भूल गए हैं कि उनके शासनकाल में प्रदेश बेरोजगारी के मामले में देशभर में सबसे आगे पहुंच गया था. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआईई) के अनुसार जहां देश में बेरोजगारी दर 6 फीसदी से 8 फीसदी के बीच थी तो वहीं कांग्रेस के समय में राजस्थान में बेरोजगारी दर 32.3 प्रतिशत पहुंच गई थी. विधानसभा में एक सवाल के जवाब में जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार से बेरोजगारी भत्ता पाने वाले बेरोजगारों की संख्या पूछी गई तो जवाब में पता चला कि महज 1.60 लाख युवाओं को ही बेरोजगारी भत्ता दिया गया, और वो भी कुछ समय के लिए.
इसे भी पढ़ें -आचार संहिता हटने के साथ ही भर्ती परीक्षाओं को लेकर गंभीर हुई भजनलाल सरकार, सीएम ने दिए ये निर्देश - CM Instructions
पिछली कांग्रेस सरकार ने आंकड़ों के नाम पर प्रदेश के युवाओं को गुमराह और परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और उसी का परिणाम रहा कि प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बाहर फेंक दिया. भारद्वाज ने कहा कि कांग्रेस ने 2018 के चुनावों से पहले अपने घोषणापत्र में संविदाकर्मियों को नियमित करने का भी वादा किया था, जिसमें एनआरएचएम, एनयूएचएम कर्मियों, पैराटीचर्स, लोक जुबिंश कर्मचारी, आंगनबाड़ी, शिक्षाकर्मियों, विद्यार्थी मित्रों, पंचायत सहायकों सहित अन्य विभागों के कर्मचारी शामिल थे. तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय जब इन लोगों ने कांग्रेस को वादा याद दिलाया तो उन पर लाठियां भांजी गई. यहां तक कि महिला कर्मचारियों को भी बेरहमी से पीटा गया. ऐसे में अब किस मुंह से पूर्व सीएम बेरोजगारों के हितों की बात कर रहे हैं.
जानें क्या कहा था गहलोत ने :बता दें कि पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा था कि राजस्थान में हमारी सरकार के दौरान युवाओं को 4500 रुपए महीने तक का बेरोजगारी भत्ता देना शुरू किया गया था, जो उनके लिए बड़ा संबल होता है. मुझे बहुत सारे युवाओं ने बताया है कि बीते कई महीनों से उन्हें बेरोजगारी भत्ता नहीं मिल रहा है, जिससे उन्हें अपनी पढ़ाई जारी रखने में परेशानी आ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव में गारंटी दी थी कि भाजपा सरकार आने पर हमारी किसी योजना को बंद नहीं किया जाएगा, बल्कि और मजबूत किया जाएगा. अब राजस्थान के युवाओं ने इस गांरटी पर भरोसा कर भाजपा को वोट तो दे दिया था, लेकिन अब उन्हें नौकरी या बेरोजगारी भत्ता नहीं केवल अफसोस मिल रहा है. मुख्यमंत्री भजनलाल से कहना चाहूंगा कि युवाओं का बेरोजगारी भत्ता जल्द से जल्द पुन: शुरू करें, जिससे युवाओं को राहत मिल सके.