लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी का एक्शन प्लान, क्या राजनीतिक गुरु की राह पर चलेंगे शिवराज - shivraj election from chhindwara
BJP Action Plan For Lok Sabha: एमपी में बीजेपी लोकसभा चुनाव को लेकर पूरा जोर लगा रही है. पार्टी की नजर कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा पर है. सियासी गलियारों में खबर है कि क्या पूर्व सीएम शिवराज अपने राजनीतिक गुरु की राह पर चलेंगे और छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ेंगे.
भोपाल।एमपी में 29 सीटों पर जीत के साथ 29 कमल के फूल की माला पीएम मोदी को पहनाने का दावा कर चुके पूर्व सीएम शिवराज क्या अपनी इस ख्वाहिश को पूरा करने छिंदवाड़ा से चुनाव मैदान में उतरने तैयार हो जाएंगे. 2019 के लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा अकेली सीट थी, जहां कमलनाथ के होते बीजेपी का कमल नहीं खिल पाया था. बीजेपी की चुनाव समिति की बैठक के बाद सियासी गलियारों में ये अटकलें तेज हो गई हैं कि 2023 के विधानसभा चुनाव में लाड़ली बहना योजना के बूते बीजेपी की जीत का दावा कर चुके मामा यानि शिवराज की लोकप्रियता का एक टेस्ट छिंदवाड़ा में भी किया जाना चाहिए.
विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत के बाद शिवराज ने 29 सीटों पर कमल खिलाने जो अभियान शुरु किया था. उनमें शुरुआती सीटों में वे छिंदवाड़ा भी गए थे. क्या 26 साल बाद अपने राजनीतिक गुरु की तरह छिंदवाड़ा में कमलनाथ की चुनौती शिवराज बनेंगे.
क्या मामा देंगे मोदी को जीत की गारंटी
देश में चार सौ पार और एमपी में 29 सीटों पर जीत का दम भर रही बीजेपी के लिए एमपी की छिंदवाड़ा सीट सबसे बड़ी चुनौती है. ये वो सीट है, जहां 1998 का लोकसभा चुनाव छोड़ दें तो 2004 के बाद से तो अब तक लगातार कांग्रेस और कमलनाथ को ही इस सीट से जीत मिलती रही है. 2014 और 2019 की मोदी की आंधी में भी छिंदवाड़ा कांग्रेस और कमलनाथ का हाथ मजबूती से थामे रहा. जब पूरे प्रदेश में बीजेपी की आंधी चली तब भी 2019 में अकेली छिंदवाड़ा सीट थी जहां से नकुलानाथ चुनाव जीते थे. इस लिहाज से देखिए तो बीजेपी के लिए ये एक सीट सबसे बड़ी चुनौती है.
लाड़ली बहनों से मिलते पूर्व सीएम
हाल में हुए विधानसभा चुनाव के बाद अघोषित रुप से पार्टी को ये बताने की कोशिश कर रहे शिवराज कि मास अपील नेता पार्टी में वे अकेले हैं, जिनका मजबूत जनाधार है. इस लिहाज से देखिए तो बीजेपी की चुनाव समिति में मोहन सरकार के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का ये प्रस्ताव गलत नहीं कि छिंदवाड़ा से शिवराज को मौका दिया जाना चाहिए. विधानसभा चुनाव में पार्टी को मिली जीत के बाद से किनारे चल रहे शिवराज के लिए फिर खुद को साबित करने का मौका है, लेकिन सवाल वही है कि क्या प्रदेश की बेटियों के मामा मोदी को छिंदवाड़ा में जीत की गारंटी देंगे.
बीजेपी की जीत के साथ छिंदवाड़ा पहुंचे थे शिवराज
एमपी में बीजेपी की बंपर जीत के तुरंत बाद शिवराज सिंह चौहान ने छिंदवाड़ा का ही रुख किया था. विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा की सातों विधानसभा सीटें बीजेपी के हाथ से निकल गई थी. छिंदवाड़ा में शिवराज ने महिलाओं के पैर धोए थे और दावा किया था कि लाड़ली बहना योजना विधानसभा चुनाव में गेम चेंजर साबित हुई है. शिवराज का प्लान कम अंतर से हारी विधानसभा सीटों पर पहुंचने का भी था, लेकिन कुछ लोकसभा सीटों का दौरा करने के बाद उनकी ये मुहिम ठंडी पड़ गई.
1998 में दिवंगत नेता सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को शिकस्त दी थी. अब सवाल ये है कि क्या शिवराज सिंह चौहान भी अपने राजनीतिक गुरु की तरह कमलनाथ को चुनौती देने छिंदवाड़ा के मैदान में उतरेंगे. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश भटनागर कहते हैं, इसमें दो राय नहीं कि शिवराज की जनता के बीच लोकप्रियता उनके कुर्सी से उतर जाने के बावजूद भी मौजूद है. फिर छिंदवाड़ा का जनादेश बदलने बीजेपी को एड़ी चोटी का जोर तो लगाना ही है. छिंदवाडा और कमलनाथ के बीच के तिलस्म को तोड़ने एक ऐसा चेहरा चाहिए, जिसकी लोकप्रियता का ग्राफ बहुत ऊंचा हो. शिवराज बेशक बेहतर विकल्प हो सकते हैं. बशर्ते वे विकल्प बनने तैयार हों.