Biography of Brij Bhushan Sharan Singh: हैदराबादः- कैसरगंज सीट के सांसद बृजभूषण शरण सिंह एक बार फिर चर्चा में हैं. इस बार चर्चा का विषय है उनकी जगह उनके पुत्र करण भूषण सिंह को बीजेपी द्वारा टिकट देना. सोशल मीडिया पर इसे लेकर लोग पहलावन साक्षी मलिक से लेकर कई लोग अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं. चलिए जानते हैं आखिर बृजभूषण शरण सिंह ने इतना नाम और शोहरत कैसे कमाई और किस तरह वह आरोपो से घिरे.
बृजभूषण शरण सिंह का जन्म 8 जनवरी 1957 को गोंडा में हुआ था. उनका विवाह 1981 में केतकी देवी सिंह से हुआ था. 2004 में उनके बेटे शक्ति शरण सिंह ने 23 साल की आयु में खुद को पिस्तौल से गोली मारकर जान दे दी थी. वहीं उनके अन्य बेटे प्रतीक भूषण सिंह 2017 में गोंडा से भाजपा विधायक के रूप में चुने गए. वहीं बेटे करण भूषण सिंह को डब्ल्यूएफआई के उपाध्यक्ष के तौर पर चुना गया. बृजभूषण शरण सिंह के एक पुत्री भी है. उनके बेटे करण भूषण सिंह अब अब अपने पिता की कैसरगंज लोकसभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
जवानी से ही पहलवानी का शौकःबृजभूषण शरण सिंह को छात्र जीवन से ही पहलवानी का शौक था. वह गोंडा में दंगल का आयोजन करते थे.. साथ ही दंगल के खर्च को खुद उठाते थे. यहीं नहीं वह दंगल जीतने वाले पहलवानों को अपने खर्च पर इनाम देते थे. कहा जाता है कि नंदिनी नगर में पहलवानों के लिए प्रशिक्षण और रहने-खाने की व्यवस्था उनकी ओर से की गई है.
राम मंदिर आंदोलन में आया नामः बृजभूषण शरण सिंह 1985 से ही राम मंदिर आदोलन में कूद गए थे. 1992 में बाबरी विंध्वस में भी उनका नाम आया था. लंबी सितंबर 2020 में उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया था. वह विहिप के अब दिवंगत नेता अशोक सिंघल के काफी करीबी माने जाते थे. सिंघल की वजह से ही वह बीजेपी में आए थे.
नंदिनी नगर कॉलेज की स्थापना के बाद फैला साम्राज्यःगोंडा से करीब 45 किमी. दूर नवाबगंज में नंदिनी नगर कॉलेज की स्थापना उन्होंने की थी. इसके बाद अगले दो दशकों में उनका साम्राज्य बढ़ता ही चला गया. स्कूल, कॉलेज, होटल और अस्पताल वह खोलते चले गए. दावा किया जाता है कि वह करीब 50 से अधिक कॉलेजों से जुड़े हुए हैं. ये कॉलेज गोंडा, बलरामपुर, बहराईच और श्रावस्ती से जुड़े हुए हैं. इस वजह से इन सीटों पर उनका प्रभाव काफी माना जाता है.
छह बार कमल से चुनाव जीते, एक बार की साइकिल की सवारीःबृजभूषण शरण सिंह बीजेपी की टिकट से पांच बार और सपा के टिकट से एक बार (2009) लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. 2011 में वह भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बने थे. 2023 में यौन शोषण के आरोप में घिरने के बाद वह चर्चा में रहे. उनके खिलाफ साक्षी मलिक समेत कई पहलवानों ने आंदोलन शुरू किया. परिणाम स्वरूप उन्हें वह कुर्सी छोड़नी पड़ी.
बाबा रामदेव पर भी बोल चुके हैं हमलाःबृजभूषण शरण सिंह बाबा रामदेव पर भी हमला बोल चुके हैं. कभी गो उत्पादों तो कभी गोंडा को महर्षि पंतजलि की जन्मस्थली बता कर बृजभूषण शरण सिंह ने बाबा रामदेव पर तीखे प्रहार किए हैं. बाबा रामदेव की ओर से भी इसका जवाब दिया गया है.