लखनऊ: उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024 में कुछ ऐसी घटनाएं हुई, जो इतिहास के काले अध्याय के रूप में हमेशा याद रहेंगी. इस साल यूपी में हुई तीन बड़ी घटनाओं ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया. इसके साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी यूपी की छवि धूमिल हुई. इन हादसों में जान गंवाने वालों के परिजनों को 2024 ऐसा गम दे गया है कि जो जिंदगी भर याद रहेगा, कभी भूल नहीं पाएंगे. हाथरस सत्संग भगदड़ हादसा, बहराइच हिंसा और संभल हिंसा पुलिस-प्रशासन के लिए चुनौती भरा रहा. इसके साथ ही इन तीनों हादसों से राजनीति में भूचाल मचा.
कभी नहीं भूलेगा हाथरस भगदड़ हादसाः 2 जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश हाथरस-एटा मार्ग स्थित फुलरई गांव में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा का सत्संग था. कार्यक्रम में हजारों लोगों के आने का अनुमान था, लिहाजा आयोजकों ने लगभग 100 बीघा खाली खेत पर सत्संग की व्यवस्था की थी. आयोजन मे सभी भक्तों के लिए खाने पीने की निःशुल्क व्यवस्था थी. इतना ही नहीं जीटी रोड पर सैकड़ों दुकानें भी लगी थी. दावा किया गया कि इस आयोजन में यूपी, हरियाणा और राजस्थान के एक लाख से भी अधिक लोग शामिल हुए थे.
भोले बाबा दोपहर बाद सत्संग खत्म कर निकलने लगे तो पंडाल के बाहर लोग उनके पैरों की धूल को छूने के लिए एक दूसरे को पीछे कर आगे बढ़ने लगे. चरण रज लेने की होड़ में भक्त एक दूसरे पर चढ़ गए और देखते देखते भगदड़ मच गई. खेत में पानी पड़ा हुआ था, ऐसे में लोग फिसलते गए और पीछे से आने वाले लोग एक दूसरे को रौंदते चले गए. इस हादसे में 121लोगों की मौत हो गई. हर ओर चीख पुकार मच गई, चारों तरफ लोगों के सामान बिखरे हुए थे. इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था.
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भगदड़ के बाद हुई कार्रवाई, कमेटी भी गठितः हाथरस में हुई इस भगदड़ में न सिर्फ सत्संग आयोजकों बल्कि पुलिस और जिला प्रशासन की लापरवाही साफ दिखाई. मुकदमे दर्ज हुए और करीब 25 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया. लेकिन जिन भोले बाबा की वजह से भगदड़ मची उनका नाम FIR में नहीं है. इस घटना की न्यायिक जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई, जिसमें इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज बृजेश कुमार श्रीवास्तव (द्वितीय) अध्यक्ष और रिटायर्ड आईएएस हेमंत राव व रिटायर्ड आईपीएस भवेश सिंह को सदस्य नियुक्त किया गया है. कमेटी को दो माह के भीतर इस भगदड़ के जिम्मेदारों की भूमिका और भविष्य में ऐसे हादसे न हो इसके लिए सिफारिश की रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया. जांच कमेटी ने 3200 पेज की रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसमें आयोजकों और स्थानीय पुलिस व जिला प्रशासन के अफसरों को दोषी बताया गया. हालांकि भोले बाबा को क्लीन चिट मिल गई.
दो दिनों तक भड़कती रही बहराइच में हिंसाः 13 अक्टूबर 2024 को बहराइच के महराजगंज में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान डीजे पर बज रहे एक गाने को लेकर दो समुदायों के बीच नोक झोंक हुई. इस दौरान राम गोपाल मिश्रा नामक एक युवक की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. जिसके बाद पूरा पूरा महराज गंज समेत बहराइच के अलग अलग हिस्सों में हिंसा भड़क उठी. दूसरे दिन 14 अक्टूबर को राम गोपाल मिश्रा की एक फेक पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस हिंसा में पेट्रोल डालने का काम किया और महराजगंज में एक समुदाय के घरों और दुकानों को फूंक दिया गया. इस घटना के बाद राम गोपाल की हत्या करने वाले अब्दुल हमीद ,सरफ़राज़ फ़हीम, साहिर ख़ान और ननकऊ वमारूप अली के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया. दो दिन तक भड़की हिंसा की आग को शांत करने के लिए ADG कानून व्यवस्था अमिताभ यश खुद बहराइच में ग्राउंड जीरो पर उतरे और हिंसकों को शांत किया. इतना ही नहीं सभी राम गोपाल मिश्रा की हत्या के आरोपियों की भी गिरफ्तारी की गई.
बहराइच हिंसा में 87 लोग गिरफ्तारः हिंसा के तीसरे दिन 15 अक्टूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतक राम गोपाल मिश्रा के परिजनों से लखनऊ में मुलाकात की. इस हिंसा के बाद हुई कार्रवाई में कुल 87 लोगों की गिरफ्तारी की गई. इतना ही नहीं हिंसा प्रभावित इलाके में 23 लोगों के घरों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में नोटिस चस्पा कर तीन दिन में घर खाली करने को कहा गया. जिसमें 20 लोग एक ही समुदाय के थे. हालांकि इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका की गई, जिस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया.
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सम्भल में मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसाः हाथरस भगदड़ और बहराइच हिंसा की ही तरह पश्चिमी यूपी के सम्भल जिले में हुई हिंसा ने भी वर्ष 2024 में यूपी को पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना दिया. दरअसल, संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद को लेकर सम्भल सिविल कोर्ट में एक याचिका हुई. दावा किया गया कि मुगल शासक बाबर ने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में हरि मंदिर को ध्वस्त कर वहां मस्जिद का निर्माण कराया गया है. दावा किया गया कि इसी जगह कल्कि अवतार हुआ है. सिविल कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया. जिसके लिए एडवोकेट कमिश्नर, डीएम और पुलिस की टीम मस्जिद पहुंची. एक दिन का सर्वे होने के बाद जब टीम दूसरे दिन शुक्रवार 24 नवंबर 2024 को टीम सुबह पहुंची तो धीरे धीरे भीड़ जुटने लगी. इसके बाद अचानक सर्वेक्षण टीम पर पथराव शुरू हो गया. देखते ही देखते आगजनी और फायरिंग होने लगी. पुलिस ने भी मुंहतोड़ जवाब दिया.
संभल हिंसा में 4 युवकों की मौतः इस हिंसा में चार उपद्रवियों की मौत हो गई. दावा किया गया कि इन चारों की मौत पुलिस द्वारा की गई फायरिंग से हुई है. वहीं, 20 से अधिक पुलिसकर्मियों को गोली और पत्थर लगे, जिससे गंभीर रूप से घायल हो गए. इस मामले में 2500 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई और 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया. इस हिंसा के बाद सैकड़ों घरों और मस्जिदों में बिजली चोरी, अवैध कब्जे और अतिक्रमण को लेकर हुई कार्रवाई ने पूरे देश में हलचल मचाई. संभल हिंसा की जांच के लिए योगी सरकार ने एक न्यायिक आयोग गठित किया. जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस डीके अरोड़ा अध्यक्षता और रिटायर्ड आईएएस अमित मोहन प्रसाद व पूर्व डीजीपी एक जैन सदस्य थे. ये आयोग अभी इस हिंसा की जांच कर रही है.
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