देहरादून:हर साल 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है. ऐसे में नष्ट होती जैव विविधता के प्रति लोगों को जागरूक किए जाने को लेकर भी अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है. जीव जंतुओं और पेड़ पौधों में पाए जाने वाली अलग-अलग विशेषताओं को ही जैव विविधता कहा जाता है. जोकि वैश्विक स्तर पर काफी महत्वपूर्ण है. मानव जीवन के लिए जैव विविधता काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में इसके संरक्षण और संवर्धन को लेकर काम करने की जरूरत है. वहीं उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की जैव विविधता पर बड़ा असर देखने को मिल रहा है.
क्लाइमेट चेंज से पड़ रहा जैव विविधता पर असर:जैव विविधता पर (जिसमें वनाग्नि, ग्लेशियर का पिघलना, आपदा और क्लाइमेट चेंज शामिल है) सीधे असर डाल रहे हैं. उत्तराखंड राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आपदा जैसे हालात बनते रहते हैं. मौजूदा स्थिति यह है कि है हर साल राज्य को आपदा का दंश झेलना पड़ता है. जिसका असर जैव विविधता पर पड़ता दिखाई दे रहा है. यही नहीं, क्लाइमेट चेंज का जैव विविधता पर बड़ा इंपैक्ट पड़ रहा है. वाडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. कालाचंद साईं ने बताया कि सभी तरह के जीवन यानी जानवरों, पौधों, कवक और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मजीव की विविधता, हमारी प्राकृतिक दुनिया को बनाते हैं.
मानव जीवन में अहम योगदान:जैव विविधता, प्रकृति में हर उस चीज को सपोर्ट करती है, जिसकी जरूरत हमें जीवित रहने के लिए होती है. साथ ही कहा कि अगर जैव विविधता सही रहेगा तो पेड़ पौधे, जीव जंतु और मानव जीवन का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. ऐसे में जैव विविधता के प्रिजर्वेशन और कंजर्वेशन करना का रोल है. उत्तराखंड राज्य में करीब 70 फीसदी हिस्सा फॉरेस्ट कवर है जो ना सिर्फ हमे ऑक्सीजन देता है, बल्कि कार्बन डाई ऑक्साइड को सींक करता है. ऐसे में इकोसिस्टम में सभी एक बड़ा रोल है, ताकि लोगों के जीवन से जुड़ी चीजें उपलब्ध हो पाती है. ऐसे में जैव विविधता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 22 मई को इंटरनेशनल बायोडायवर्सिटी डे (International Day for Biological Diversity) के रूप में मनाया जाता है.