बिलासपुर :बिलासपुर लोकसभा 1952 में अस्तित्व में आई थी. 1952 से लेकर 1978 तक कांग्रेस का एक तरफा कब्जा रहा. माना जाता था कि कांग्रेस की तरफ से जिस नेता को टिकट मिल जाता था वह चुनाव लड़ने से पहले ही जीत जाता था. बिलासपुर में कांग्रेस की लहर ऐसी रही कि असली लड़ाई टिकट की रहती थी. टिकट मिलने के बाद प्रत्याशी आसानी से जीत जाते थे.
1978 के बाद बदले समीकरण :1978 के बाद बीजेपी ने राजनीति शुरु की. साल 2014 में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी. 2014 में लखनलाल साहू बड़ी जीत लेकर संसद भवन तक पहुंचे थे. बिलासपुर लोकसभा सीट में 2014 के चुनाव में बीजेपी ने मुंगेली के रहने वाले लखनलाल साहू को अपना प्रत्याशी बनाया था. लखनलाल साहू मुंगेली जिला के रहने वाले थे. बिलासपुर जिले से उनका राजनीतिक नाता तो नहीं रहा, लेकिन उनकी जीत को देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए थे.
लखनलाल साहू को मिली बड़ी जीत :बिलासपुर में सबसे बड़ी जीत बीजेपी को साल 2014 में मिली थी. जिसमें बीजेपी के लखनलाल साहू ने कांग्रेस प्रत्याशी करुणा शुक्ला को हराया था. लखनलाल ने इस सीट को 1 लाख 76 हजार से अधिक मतों से जीता था. आपको बता दें कि करुणा शुक्ला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी थी. जिन्होंने बीजेपी छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली थी. 2014 के चुनाव में इतनी बड़ी जीत के बाद भी बीजेपी ने लखनलाल साहू को दोबारा टिकट नहीं दिया. इस जीत को मोदी लहर भी कहा जाता है.