पटना:शराबबंदी वाले बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब की वजह से कई घरों में मामत पसर गया है. छपरा और सिवान में जहरीली शराब पीने से मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 35 तक पहुंच गई है. वहीं, कुछ के आंखों की रोशनी चली गई है. सारण और सिवान जिले के इलाके में ये मौतें हुई हैं. इसको लेकर बिहार में जहरीली शराब से हुई मौत पर सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस ने इस घटना के लिए बिहार की सरकार को दोषी ठहराया है
मौत के लिए कांग्रेस ने नीतीश सरकरा को घेरा: कांग्रेस के प्रदेश अध्य्क्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने गुरुवार को प्रेस वार्ता करके बिहार सरकार को इसके लिए दोषी ठहराया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि सिवान के भगवानपुर प्रखंड के सोनधानी गांव में जहरीली शराब से मौत की खबर बहुत दुखद घटना है. जिस राज्य में शराबबंदी लागू है उस राज्य में स्थिति इतनी भयावह है कि लोग जहरीली शराब से खुद को बचा नहीं पा रहे हैं. इसका सीधा जिम्मेदार राज्य प्रशासन बनता है. कांग्रेस पार्टी की मांग है कि खामियों से भरी शराब नीति देने पर मुख्यमंत्री को सामने आकर माफी मांगनी चाहिए.
कांग्रेस ने की मुआवजे की मांग:डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने मांग रखी कि मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपए. आंख गंवाने वालों को 15 लाख रुपये और मासिक 10 हजार रुपए मुआवजे के रूप में आजीवन गुजारा भत्ता मिले ताकि वे सम्मान से जीवन जी सके. उन्होंने नीतीश कुमार के शराब नीति को लेकर प्रश्न उठाते हुए कहा कि आप इसे निश्चित तौर पर लागू रखिए लेकिन ऐसी नौबत मत बनाइए कि लोगों को जहरीली शराब बनाने वाले अपने आगोश में ले लें और बिहार में शराबबंदी कानून का माखौल बन जाएगा.
"सिवान के भगवानपुर प्रखंड के सोनधानी गांव में जहरीली शराब से मौत की खबर बहुत दुखद घटना है. खामियों से भरी शराब नीति देने पर मुख्यमंत्री को सामने आकर माफी मांगनी चाहिए. बिहार सरकार मृतक परिजन को 25 लाख मुआवजा दे."- अखिलेश प्रसाद सिंह,प्रदेश अध्य्क्ष, कांग्रेस
सिवान और सारण में जहरीली शराब ने लील ली 35 जिंदगियां: सिवान और सारण जिलों में जहरीली शराब से मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. अब तक 35 लोगों की मौत की खबर है. सिवान और सारण जिला प्रशासन मे अब तक 25 लोगों की मौत की पुष्टि कर दी है, जिनमें सिवान के 20 और सारण के 5 मृतक शामिल हैं.
बिहार में शराब पर कब लगा था बैन?:नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने 5 अप्रैल 2016 को शराब की बिक्री और सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. हालांकि, इसके बाद खुद बिहार सरकार ने स्वीकार किया था कि अप्रैल 2016 में राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद अवैध शराब पीने से 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.