पटनाःबिहार के चर्चिच और दबंग पूर्व आईपीएस डीपी ओझा का निधन हो गया. डीपी ओझा (ध्रुव प्रसाद ओझा ) राबड़ी देवी सरकार में बिहार के डीजीपी बने थे. गुरुवार की रात उन्होंने पटना में अंतिम सांस ली. ओझा सांस की बीमारी से जूझ रहे थे. इनके निधन से पुलिस विभाग के साथ-साथ शुभचिंतकों में शोक का माहौल है.
राबड़ी सरकार में छोड़ी थी नौकरीः भूमिहार जाति से आने वाले 1967 बैच के आईपीएस डीपी ओझा वाम विचारधारा के व्यक्ति थे. इतने कड़क थे कि अपराधी ओझा का नाम सुनते ही अपना रास्ता बदल लेते थे. राबड़ी देवी की सरकार में रहते हुए लालू यादव के खिलाफ बयान दिया था. इसके बाद इन्हें पद से हटा दिया गया था. इससे आहत होकर इन्होंने भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था. इस्ताफा के बाद पटना में ही रह रहे थे.
शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी में अहम भूमिकाः आपको बता दें कि 2003 में राबड़ी देवी की सरकार वरीयता के आधार पर बिहार के डीजीपी बने थे. हालांकि राजद सुप्रीमो लालू यादव से इनकी नहीं बनती थी. डीजीपी रहते हुए सिवान के तत्कालीन सांसद शहाबुद्दीन पर कार्रवाई की थी. हत्या, फिरौती, अपहरण जैसे कई आपराधिक मामलों में शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी अभियान चलाया और गिरफ्तारी भी की गयी थी.
पद पर रहते सत्ता के खिलाफ दिए थे बयानः एक समय ऐसा आया कि डीपी ओझा को सरकार ने पद से हटाकर डब्लूएच खान को डीजीपी बना दिया था. दरअसल, 2003 में शहाबुद्दीन जेल में बंद थे. इस दौरान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव मिलने के लिए जेल गए थे. इसपर डीपी ओझा ने सार्वजनिक मंच से कहा था कि सत्ता लफंगों के हाथों में चली गयी है. सत्ताधारी नेता अपराधियों के पैर पखारने चले जाते हैं. बयान के बाद राबड़ी देवी की सरकार ने पद से हटा दिया था.