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लालू यादव और शहाबुद्दीन की नाक में दम करने वाले पूर्व DGP डीपी ओझा नहीं रहे - DP OJHA PASSED AWAY

बिहार के पूर्व डीजीपी डीपी ओझा का निधन हो गया. पहले आईपीएस थे जिन्होंने, लालू यादव और शहाबुद्दीन की नाक में दम कर दिया था.

Former DGP DP Ojha Passed Away
पूर्व डीजीपी डीपी ओझा (File Photo)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 6, 2024, 12:43 PM IST

Updated : Dec 6, 2024, 1:40 PM IST

पटनाःबिहार के चर्चिच और दबंग पूर्व आईपीएस डीपी ओझा का निधन हो गया. डीपी ओझा (ध्रुव प्रसाद ओझा ) राबड़ी देवी सरकार में बिहार के डीजीपी बने थे. गुरुवार की रात उन्होंने पटना में अंतिम सांस ली. ओझा सांस की बीमारी से जूझ रहे थे. इनके निधन से पुलिस विभाग के साथ-साथ शुभचिंतकों में शोक का माहौल है.

राबड़ी सरकार में छोड़ी थी नौकरीः भूमिहार जाति से आने वाले 1967 बैच के आईपीएस डीपी ओझा वाम विचारधारा के व्यक्ति थे. इतने कड़क थे कि अपराधी ओझा का नाम सुनते ही अपना रास्ता बदल लेते थे. राबड़ी देवी की सरकार में रहते हुए लालू यादव के खिलाफ बयान दिया था. इसके बाद इन्हें पद से हटा दिया गया था. इससे आहत होकर इन्होंने भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था. इस्ताफा के बाद पटना में ही रह रहे थे.

शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी में अहम भूमिकाः आपको बता दें कि 2003 में राबड़ी देवी की सरकार वरीयता के आधार पर बिहार के डीजीपी बने थे. हालांकि राजद सुप्रीमो लालू यादव से इनकी नहीं बनती थी. डीजीपी रहते हुए सिवान के तत्कालीन सांसद शहाबुद्दीन पर कार्रवाई की थी. हत्या, फिरौती, अपहरण जैसे कई आपराधिक मामलों में शहाबुद्दीन की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी अभियान चलाया और गिरफ्तारी भी की गयी थी.

पद पर रहते सत्ता के खिलाफ दिए थे बयानः एक समय ऐसा आया कि डीपी ओझा को सरकार ने पद से हटाकर डब्लूएच खान को डीजीपी बना दिया था. दरअसल, 2003 में शहाबुद्दीन जेल में बंद थे. इस दौरान राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव मिलने के लिए जेल गए थे. इसपर डीपी ओझा ने सार्वजनिक मंच से कहा था कि सत्ता लफंगों के हाथों में चली गयी है. सत्ताधारी नेता अपराधियों के पैर पखारने चले जाते हैं. बयान के बाद राबड़ी देवी की सरकार ने पद से हटा दिया था.

पद से हटने के बाद दे दिया था इस्तीफाः डीपी ओझा एक साल बाद 2004 में रिटायर होने वाले थे, लेकिन राबड़ी सरकार के द्वारा पद से हटाए जाने के कारण आहत हुए थे. उन्होंने भारतीय पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था. वे सरकार के अधीन होकर काम करना नहीं चाहते थे. पद पर रहते हुए सत्ताधारी नेता के खिलाफ तेवर से इनकी खूब चर्चा हुई थी और समर्थकों ने इस सरकार के इस फैसले का विरोध भी की थी.

राजनीति में नहीं मिली थी सफलताः बता दें कि पद से इस्तीफा देने बाद डीपी ओझा ने राजनीति में अपना भविष्य तलाशा लेकिन सफलता नहीं मिली. 2004 में बेगूसराय लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें बुरी तरह हाल मिली थी. इसके बाद कभी दोबारा चुनाव नहीं लड़े. पटना में ही अपना पूरा जीवन बिताया.

चारा घोटाला में जुड़ा नामः बता दें कि बिहार का चर्चित चारा घोटाला में भी डीपी ओझा का नाम जुड़ा था, लेकिन कोर्ट से इन्हें राहत मिल गयी थी. सीबीआई ने इन्हें भी आरोपी बनाया था. 2017 में सीबीआई कोर्ट ने वारंट भी जारी कि था. जांच अधिकारी को कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया था. हालांकि 23 दिसंबर 2017 को कोर्ट में पेश नहीं हुआ थे. बाद में इन्हें कोर्ट से राहत दे दी गयी थी.

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Last Updated : Dec 6, 2024, 1:40 PM IST

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