पटनाः बिहार के 18 जिलों में आई बाढ़ को देखते हुए प्रशासन 24 घंटे अलर्ट मोड पर है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बाढ़ प्रभावित इलाकों का कई बार एरियल सर्वे कर चुके हैं. राहत सामग्री वितरित की जा रही है. मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री इसका जायजा ले रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दशहरा से पहले सभी बाढ़ पीड़ितों को मुआवजा के तौर पर 7000रु देने का ऐलान किया था. सरकार की घोषणा के बाद विपक्ष सवाल उठा रही है.
राजद ने कहा- 'ऊंट के मुंह में जीरा': बिहार सरकार द्वारा बाढ़ पीड़ित परिवारों को 7000 रुपया देने की घोषणा पर सवाल उठाते हुए आरजेडी प्रवक्ता का कहना है कि यह ऊंट के मुंह में जरा जैसा है. बाढ़ प्रभावित लोगों को कम से कम 25 हजार रुपये की सहायता मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 2008 में जब भीषण बाढ़ आई थी तो लालू प्रसाद यादव केंद्र में मंत्री थे, उन्होंने बिहार में आई बाढ़ को आपदा घोषित करवाया था. प्रधानमंत्री का दौरा हुआ था. लोगों की सहायता के लिए भरपूर अनाज भेजा गया था.
मुआवजा राशि पर सियासत तेज. (ETV Bharat) "बिहार में डबल इंजन की सरकार है और मुआवजे के तौर पर 7000 रुपये देने की घोषणा हो रही है. 7000 रुपये में तो जानवरों का चारा भी नहीं मिलेगा. बाढ़ प्रभावित लोगों को कम से कम 25 हजार रुपये की सहायता मिलनी चाहिए."- मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता
अधिकारी किसी की नहीं सुनतेः राष्ट्रीय जनता दल का कहना था कि बाढ़ पीड़ितों को इस डबल इंजन की सरकार में कोई मदद नहीं मिल रही है. राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि लोग भूखे हैं, सरकार के अधिकारियों को लोग खोज रहे हैं, लेकिन कोई दिख नहीं रहा है. आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाके के अधिकारी जब सांसद का फोन नहीं उठा रहे हैं, तो बाढ़ पीड़ितों की कितनी सहायता कर रहे होंगे, यह सोचने वाली बात है.
सीएम ने राहत कैंप का निरीक्षण किया. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) कांग्रेस ने भी उठाए सवाल: बाढ़ पीड़ितों की मुआवजा राशि पर कांग्रेस ने भी सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह का कहना है कि "7000 रुपये में आजकल क्या हो सकता है, यह सबों को मालूम है. सरकारी स्तर पर जो मदद होनी चाहिए उसमें कुछ देरी हुई है." कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सरकार को बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए और तत्पर होना चाहिए. तभी बाढ़ पीड़ितों को राहत मिल सकती है.
उचित मुआवजा राशि दी जा रहीः आरजेडी और कांग्रेस के नेताओं के द्वारा उठाए गए सवाल पर जदयू के विधान पार्षद संजय कुमार का कहना है कि विपक्षी पार्टी के नेताओं को कुछ करना नहीं है. उनके शासनकाल में जब बाढ़ आई थी तो कुछ करते नहीं थे. बिहार में बाढ़ आने से पहले ही मुख्यमंत्री इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं. आपदा की घड़ी में मुख्यमंत्री खुद तत्पर रहकर पूरी समीक्षा करते रहते हैं.
"बिहार सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित लोगों को 7000 रुपए की मुआवजा राशि जो सरकार दे रही है वह उचित है. उनके (लालू प्रसाद और राबड़ी देवी) शासनकाल में जब बाढ़ आई थी तो यह मुआवजा राशि भी नहीं दी जाती थी."- संजय कुमार, विधान पार्षद, जदयू
NDA से सीख लेने की जरूरतः विपक्षी दलों द्वारा सत्ता पक्ष पर उठाए गए सवाल पर भाजपा ने भी पलटवार किया है. भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों की सेवा कैसे की जाती है, ये NDA से सीखने की जरूरत है. कल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने DBT के माध्यम से 4.5 लाख बाढ़ पीड़ितों के खातों में 7-7 हज़ार रुपये भेज दिये. भाजपा प्रवक्ता ने तेजस्वी पर निशाना साधते हुए कहा कि एनडीए के नेता आपदा की घड़ी में तेजस्वी यादव की तरह विदेश में बैठकर ट्वीट नहीं करते हैं.
सीएम ने राहत कैंप का निरीक्षण किया. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) "आपको (तेजस्वी यादव) न बिहार की चिंता है, न अपने विधानसभा क्षेत्र राघोपुर की. कम से कम अपने विधायक फंड से ही राघोपुर की जनता का कल्याण कीजिए. एक बार वहां जाइए, अपने दल की तरफ से कम्युनिटी किचन ही चलवा दीजिए. केवल ट्वीट करने से बिहार की जनता आपके झांसे में नहीं आने वाली."- नीरज कुमार, भाजपा प्रवक्ता
नेपाल में हुई बारिश का असरः बता दें कि नेपाल में पिछले दिनों हुई भारी बारिश से कोसी और गंडक सहित उत्तर बिहार की अधिकांश नदियां उफान पर हैं. नेपाल में बारिश के कारण कोसी में रविवार को सुपौल के वीरपुर कोसी बराज से 6 लाख 61 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. कोसी वीरपुर बराज और गंडक बाराज में इस बार 56 साल के बाद रिकॉर्ड पानी डिस्चार्ज हुआ है. इस कारण ही उत्तर बिहार के बड़े इलाकों में बाढ़ का पानी फैल गया है.
सीएम ने राहत कैंप का निरीक्षण किया. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) बिहार के 18 जिले बढ़ प्रभावितः बिहार की गंडक, कोसी, बागमती, महानन्दा एवं अन्य नदियों में आई बाढ़ के कारण 18 जिले प्रभावित हैं. पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा, गोपालगंज, सारण एवं खगड़िया में लगभग 16.5 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं. लगभग 88 प्रखंडों की 479 पंचायतों में बाढ़ का पानी फैल गया है. पिछले 5 दिन से बाढ़ प्रभावित जिलों में राशन सामग्री बांटी जा रही है.
बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव कार्यः बिहार के बाढ़ प्रभावित जिलों से लोगों की सुरक्षा के लिए एनडीआरएफ की कुल 17 और एसडीआरएफ की कुल 19 टीमों को तैनात किया गया है. लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए प्रभावित इलाकों में करीब 930 नावें संचालित की जा रही हैं. भीषण बाढ़ के कारण करीब 91817 हेक्टेयर भूमि की खेती प्रभावित हुई हैं. बाढ़ के कारण खरीफ की फसलें- धान, मक्का और दलहन के अलावे मिथिलांचल की नकदी फसल मछली एवं मखाना बुरी तरह प्रभावित हुई है.
सीएम ने राहत कैंप का निरीक्षण किया. (फाइल फोटो) (ETV Bharat) केंद्र सरकार ने दी सहायता राशिः बाढ़ पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार ने 656 करोड़ रुपये की तत्काल राशि बिहार सरकार को दी है. बाढ़ से हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए केंद्रीय टीम जल्द ही बिहार आएगी. इसके अलावा बिहार सरकार भी बाढ़ से हुए नुकसान की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी. बाढ़ प्रभावित इलाकों में बिहार सरकार की तरफ से रिलीफ कैंप चलाए जा रहे हैं. सरकार के द्वारा कम्युनिटी किचन चलाया जा रहा है. हेल्थ कैंप लगाया गया है. पशुओं के लिए अलग से कैंप और चारा की व्यवस्था की गई है.
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