पटना :एक झटके में बिहार सरकार ने हजारों अतिथि शिक्षकों की नौकरी छीन ली है और बेरोजगार कर सड़क पर ला दिया है. शनिवार को बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने इस संबंध में पत्र जारी कर दिया है. इसमें कहा गया है कि प्रदेश में 1 अप्रैल से उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की सेवा नहीं ली जाएगी. बता दें कि साल 2018 से अतिथि शिक्षक प्रदेश के उच्च माध्यमिक विद्यालयों में सेवा दे रहे थे.
शिक्षा विभाग ने सभी DEO को लिखा पत्र :माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को लिखे पत्र में कहा है कि अभी के समय प्रदेश के कक्षा-09वीं-10वीं के लिए 37847 और कक्षा-11वीं-12वीं के लिए 56891 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है. यानी की उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कुल-94738 शिक्षकों की नियुक्ति कर उन्हें विद्यालयों में पदस्थापित किया जा चुका है. यह शिक्षक अब विद्यालयों में कार्यरत हैं. ऐसी स्थिति में अतिथि शिक्षकों को सेवा में बनाये रखने की कोई आवश्यकता नहीं है.
''सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देशित किया है कि किसी भी परिस्थिति में एक अप्रैल 2024 से विद्यालयों में अतिथि शिक्षकों की सेवा नहीं ली जाएगी. 3 अप्रैल तक सभी जिला के डीईओ अनिवार्य रूप से शिक्षा विभाग को यह प्रमाण उपलब्ध कराएंगे कि उनके जिला में एक भी अतिथि शिक्षक कार्यरत नहीं है.''- शिक्षा विभाग
4257 अतिथि शिक्षक हुए बेरोजगार :शिक्षा विभाग के फैसले के बाद प्रदेश के 4257 अतिथि शिक्षक एक झटके में बेरोजगार होकर सड़क पर आ गए हैं. अतिथि शिक्षकों के प्रदेश प्रवक्ता कुमार संजीव ने बताया कि साल 2018 से वह शैक्षणिक कार्य में लगे हुए हैं. इंटरमीडिएट रिजल्ट की खराब स्थिति के कारण बिहार जब पूरे देश में बदनाम होता था तब हमलोगों की बहाली हुई थी. हमलोगों ने अपने परिश्रम से इंटरमीडिएट के रिजल्ट को सुधारा. हमलोगों के आने के बाद 6 वर्षों में कई बार बिहार बोर्ड के अध्यक्ष आनंद किशोर शिक्षा मंत्रालय से सम्मानित हो चुके हैं.
''शिक्षा विभाग के इस फैसले से सभी अतिथि शिक्षक काफी मर्माहत और हताश महसूस कर रहे हैं. पिछले कई दिनों से हमलोग शिक्षा मंत्री से मिलने की कोशिश कर रहे थे लेकिन चुनावी व्यस्तता का हवाला देते हुए समय देने के बावजूद शिक्षा मंत्री नहीं मिल रहे हैं. अतिथि शिक्षकों की अब कोई भी नौकरी करने की उम्र समाप्त हो गई है. उम्र के जिस पड़ाव पर अतिथि शिक्षक हैं, उन पर पारिवारिक जिम्मेदारियां भी काफी अधिक हैं. ऐसे में कई शिक्षक इतने हताश हो गए हैं कि जीवन लीला समाप्त करने तक की सोच रहे हैं.''- कुमार संजीव, प्रदेश प्रवक्ता, अतिथि शिक्षक