पटना:बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष की ओर से विधानसभा में आरक्षण को लेकर कार्य स्थगन प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन उसे विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार नहीं किया. हालांकि विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष को इस पर बोलने का मौका दिया. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई.
आरक्षण को लेकर विधानसभा में तीखी बहस: इस दौरान नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव जब बोलने लगे तो उस समय बीजेपी के दोनों डिप्टी सीएम से नोकझोंक हुई. इसके बाद विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया. बाहर मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा हम साथ में थे, तब जातीय आधारित गणना करवाई. सर्वे के आधार पर आरक्षण सीमा 65 फीसदी बढ़ाने का काम किया. संविधान दिवस पर कम-से-कम सरकार यह बताएं कि उच्च न्यायालय ने रोक लगाया. हमने अंदेशा जाहिर किया था कि भाजपा के लोग कोर्ट जाकर निरस्त करायेंगे.
सरकार से तेजस्वी का सवाल: वहीं तेजस्वी यादव ने विधानसभा में कहा कि आज संविधान दिवस के अवसर पर सरकार से अपेक्षा है कि वह बताएं कि इसे फिर से लाने के लिए क्या किया जा रहा है? तेजस्वी यादव ने कहा कि 09/11/2023 को मेरे जन्मदिन के मौके पर यह पारित हुआ था. 20/06/24 को इसको लेकर हाईकोर्ट का आदेश आया और मना कर दिया गया. कोर्ट से कहा गया कि इसपर पूरी तरह से स्टडी नहीं की गई थी. बढ़ाए गए आरक्षण को निरस्त कर दिया गया.
"हमलोगों के अनुरोध के बावजूद नौवीं अनुसूची में क्यों नहीं डाला? कोर्ट ने स्टडी नहीं होने का हवाला देकर रोक लगाया है तो एक कमेटी विधानसभा की बनाने की मांग करते हैं. विधानसभा सत्र बढ़ाया जाय ताकि कमेटी की स्टडी रिपोर्ट के आधार पर प्रस्ताव पास करके सरकार पेश करके इस आरक्षण पर लगी रोक का रास्ता निकाले."- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष, बिहार विधानसभा
सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा से नोकझोंक:इसपर सम्राट चौधरी ने जवाब देते हुए कहा कि उस समय और आज भी नीतीश कुमार की सरकार है. विजय सिन्हा ने हस्तक्षेप करते हुए राजद पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया. हंगामे के बीच तेजस्वी यादव ने कहा कि सवाल है कि आरक्षण के तहत बहाली नहीं होने से सबका भारी नुकसान हो रहा है. १७ महीने की हमारी सरकार ने देश में पहली सरकार है, जिसने सर्वे कराकर उस आधार पर आरक्षण बढ़ाने का निर्णय लिया.