जयपुर.राजस्थान लोकसेवा आयोग की उपनिरीक्षक (एसआई) भर्ती-2021 में बड़े पैमाने पर पेपर लीक और डमी अभ्यर्थी से परीक्षा पास करवाने वाले गिरोह का एसओजी ने खुलासा किया है. इस गिरोह के तार प्रदेश में 2014 की एसआई भर्ती और 2015 की कांस्टेबल भर्ती में हुई धांधली से भी जुड़ रहे हैं. अब एसओजी एसआई भर्ती-2021 के साथ ही एसआई भर्ती-2014 और कांस्टेबल भर्ती-2015 में हुई धांधली के उलझे हुए धागे भी सुलझाने में जुटी है. एसओजी को इस पूरी गुत्थी का एक सिरा ट्रेनी एसआई से पूछताछ में मिला है. इसके बाद एसओजी एक-एक कर सभी धागे खोलने में जुटी है.
जांच में अब तक सामने आया है कि लेक्चरर वर्षा ने डमी अभ्यर्थी बनकर 15-15 लाख रुपए लेकर रिश्ते में बहन लगने वाली भगवती और इंदुबाला के लिए एसआई भर्ती-2021 की परीक्षा दी थी. इसके बाद वह खुद भी इस भर्ती परीक्षा में बैठी थी. दोनों बहनें और खुद भी पास हो गई. उसे डमी अभ्यर्थी के रूप में बैठने के लिए भरतपुर एसपी ऑफिस में तैनात एसआई जगदीश सिहाग ने राजी किया था. एसओजी ने उसे और इंदुबाला को गिरफ्तार कर लिया है. भगवती पहले ही एसओजी के हत्थे चढ़ चुकी है. जबकि डमी अभ्यर्थी के रूप में परीक्षा में बैठने वाली वर्षा (लेक्चरर) अभी फरार है.
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बहनों को एसआई बनाने के लिए रचा षड्यंत्र :एसओजी की पड़ताल में सामने आया है कि भरतपुर एसपी ऑफिस में तैनात जगदीश ने अपनी दो कांस्टेबल बहनों भगवती और इंदुबाला को एसआई बनाने के लिए पूरी साजिश रची. उसने अपनी रिश्तेदार वर्षा (लेक्चरर) को डमी अभ्यर्थी के रूप में भगवती और इंदुबाला की जगह परीक्षा दिलवाई और 15-15 लाख रुपए रुपए दिए. एसआई भर्ती की परीक्षा तीन दिन हुई. उसने पहले दो दिन डमी अभ्यर्थी के तौर पर परीक्षा दी. फिर आखिरी दिन खुद भी एसआई की परीक्षा दी.
जगदीश खुद भी 10 लाख देकर बना थानेदार :एसओजी की पड़ताल में सामने आया है कि जगदीश का साल 2014 में एसआई के पद पर चयन हुआ था. यह भी खुलासा हुआ है कि उसने नकल कर परीक्षा पास की थी और बदले में दस लाख रुपए दिए थे. नकल कर उसने उस परीक्षा में 23वीं रैंक हासिल की थी. उसे पहली पोस्टिंग बालोतरा में मिली थी. जहां वह रिश्वत लेने के आरोप में एसीबी के हत्थे चढ़ा था. हालांकि, इस मामले में बाद में वह बरी हो गया था. उसे एसओजी ने भरतपुर एसपी ऑफिस से गिरफ्तार किया है. फिलहाल वह 19 मार्च तक रिमांड पर है.