लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज सड़क परिवहन निगम चालकों को बड़ी सहूलियत देने जा रहा है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चालक अब लोनी में टेस्ट दे सकेंगे तो पूर्वी उत्तर प्रदेश के चालकों को कानपुर नहीं आना पड़ेगा. एक जुलाई से बनारस में ही टेस्टिंग ट्रैक पर चालक टेस्ट दे सकेंगे. अभी तक सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था यही है कि पूरे प्रदेश के चालकों को टेस्ट के लिए कानपुर की केंद्रीय कार्यशाला में ही आना पड़ता था. इस फैसले से चालकों के पैसे के साथ ही समय की भी बचत होगी. परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने बताया कि एक जुलाई से ये नई व्यवस्था पहली बार लागू हो जाएगी.
दो तरह के होते हैं टेस्ट
परिवहन निगम के चालकों को भर्ती के दौरान दो तरह के टेस्ट से गुजरना पड़ता है. पहले अप्लाई करने के बाद उनकी सभी तरह की अर्हताओं की जांच परिवहन निगम के अधिकारी करते हैं. उनकी आठवीं की शिक्षा के साथ ही दो साल पुराना हैवी ड्राइविंग लाइसेंस चेक किया जाता है. कागजात वेरीफाई करने के बाद उनका प्री टेस्ट लिया जाता है, जिसमें गाड़ी चलवा कर देखी जाती है. यहां टेस्ट में पास होने के बाद उन चालकों को कानपुर कार्यशाला में टेस्ट देने के लिए भेजा जाता है. यहां पर कई चरणों के टेस्ट से गुजरने के बाद उन्हें परिवहन निगम की बसों को चलाने का ग्रीन सिग्नल दे दिया जाता है. इसके बाद चालकों की भर्ती हो जाती है और बस का संचालन करने लगते हैं. टेस्ट के लिए अभी तक पूरे प्रदेश के चालकों को कानपुर स्थित रोडवेज की केंद्रीय कार्यशाला में टेस्ट देने के लिए आना पड़ता था. दो दिन तक उन्हें यहां रुकना पड़ता था, लेकिन अब जुलाई माह से पूर्वांचल के सभी रीजन के डिपो के चालक टेस्ट देने के लिए कानपुर के बजाय बनारस में ही सुविधा प्राप्त कर सकेंगे.
चालकों को कई दौर से गुजरना पड़ता है